Breaking News
"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

चित्र पर कहानी में -हेमलता

गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह 30 मई से 05 जून में आप सभी का स्वागत है* *आज दिनांक 01 जून को आनलाइन कार्यक्रम के तीसरे दिन चित्र पर कहानी*

अरे ,   हम झुग्गी- झौपडियों मे रहने वालों की भी  कभी कोई सुनेगा । हे भगवान, तेरी दुनिया में भांति-भांति के इंसान  । पूरे  दो घंटे  हो गये ।इस आग उगलती गर्मी  मे न जाने मेरी मासूम बच्ची  कहां भटक  रही होगीं। हे रामजी तेरी माया, कहीं धूप कहीं छायां।

बडबडा़ती  कमली   हांपती सी पसीनें में लथपथ काया  खोजती निगाहों से आगे बढ़ती ही जा रही थी। क्या हुआ ?इतनी घबराई हुई किधर जा रही है रास्ते मे आ रही उसकी सहेली चंपा ने पूछा । मत पूछ मेरा  हाल  मै दो घंटे से पानी की लम्बी लाईन मे लगी थी  । ये नल भी तो नाश मिटे दो दिन मे आते है। सोचा बिटिया  को यही  नहला दूगी थोडा़ कल के लिये पानी बच जायेगा,।  यहीं बैठा कर दो  चरवा घर पर रख कर आई ।पास वाली को बोली थी मै आऊं जितने इसका ध्यान रखना। परन्तु आकर देखा   तो न तो बाल्टी न बेटी यहां पर कोई नही ।मेरा दिमाक खराब हो गया। कब से ढूंढ़ रही हूँ।मैं थक गई हूँ,.ऊं..ऊं..ऊं मेरी मासूम बच्ची   न जाने ..कहीं कोई उठा न ले जाये ।मत रो कमली भगवान पर भरोसा रख ।मिल जायेगी। कहां  ,कब मिलेगी। मेरी जान निकली जा रही है। इसका बाप शाम को आकर  मेरी जान ले लेगा। चंपा ने ढा़ढस बंधाया। ले मैं तेरी मदद करती हूँ।अपन एरिया वाईज ढूंढते है। तूने किधर -किधर देख लिया बता ताकि कोई एरिया छुटे नही। दोनो निकलती हैं ।
कुछ आधे घंटे की मुश्कत के बाद एक  आदमी  उधर फैक्ट्री से काम करके निकल रहा था ।चंपा ने पूछा भईया ईधर किसी बच्ची को देखा क्या?  हां  एक  बच्ची बाल्टी मे रेत भरकर अकेली खेल रही थी। धन्यवाद आपका पिछले ढाई -तीन घंटे से इसे खोज रहे है। अरे ए..कमली तेरी लाडो  बेटी मिल गई कमली दौड़ कर आई ।हे भगवान मेरी बेटी मिल गई।लाख- लाख शुकर तेरा। अब कदी भी  एक मिनिट सूनी नी रखूंगी।चंपा मेरी बैन दोनो गले लग गई। बेटी को बांहो मे भर कर चुमने लगी। खुशी के मारे आँखोँ से अश्रु धारा बह कर गालों तक लुढ़क आईं।

हेमलता दाधीच उदयपुर (राज.) 73574 15790

पोस्ट को रेट करें:

12345


अपनी प्रतिक्रिया दें


    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    "साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

    अनोखी दोस्‍ती-प्रबुद्धो घोष

    रहस्यमय दुनिया में निश्चलरहस्यमय माहौल से भरी हवा में 55 वर्षीय निश्चल डूबे हुए थे। …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें