“कुंती! ये कॉफ़ी दीदी को रूम में दे आना”। “कुंती! ये फाइल जरा टेबिल पर रखदो न”। “कुंती! जरा एक ग्लास पानी तो पिला दे यार”। घर में सभी से चर्चा कर उसे बुलाने का कह दिया। अगले दिन शाम को ही चौकीदार दादा अपने साथ 13-14 साल की गोरी चिट्टी, तीखे नयन नक्श की, तेल लगे लम्बे बालों की …
Read More »Monthly Archives: April 2023
समीक्षा- गुलाबी कमीज़ रहस्य रोमांच से भरपूर उपन्यास
उपन्यास-गुलाबी कमीज़ उपन्यासकार- कामना सिंह प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, 18- इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोधी रोड, नई दिल्ली- 110033 मोबाइल नंबर 93505 36020 पृष्ठ संख्या- 135 मूल्य- ₹270 बच्चों के लिए उपन्यास लिखना टेढ़ी खीर है। इसको लिखते समय बहुतसी बातों का ध्यान में रखना पड़ता है। उसका कथानक बड़ों से अलग होता है। उसकी कहानी सीधी, सरल व सहज हो। भाषा शैली …
Read More »यौन अपराध-अशिक्षा से बढ़ते दुष्कर्म
कई न्यूज चैनल में 15 से 16 वर्ष की आयु से लेकर 18 से 20 वर्ष की आयु तक के कुछ लड़के वॉट्सऐप वगैरह के ग्रुप में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार करने जैसी बातें, नाबालिग लड़कियों के आपत्तिजनक फोटो और नाबालिग लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो शेयर करने के आरोप में पकड़े गए हैं। नाबालिग लड़कों के विरुद्ध नाबालिग कानून …
Read More »समझदारी-सुवर्णा जाधव
राहुल की शादी हो गई वह भी खुश था कि उसे सुजाता जैसी पढी लिखी सुशिल पत्नी मिली ,जो मां का ख्याल भी रखती थी । घर मे खुशी का माहौल था। धीरे-धीरे दिन बितने लगे और हर घर में होता है वैसे सास बहू की कहासुनी शुरू हो गई। राहुल की मां को लगता था कि सुजाता आजकल मुझे …
Read More »बिखरी राहें -मिनाक्षी
राहें बिखरी हुई थी फूल और कांटे सजे हुए थे किसीने राहों मैं फिर कांटे ही कांटे बिछा दिएपैर हुए लहू लुहान दिल को किया कठोरजिंदगी बनी कारावाससजा जो मुक्कमल की गयी वो यह थीउनकी हंसी की पात्र बनीअपनी बेबसी की गुलाम हुईचुप चाप एक तमाशबीन की तरहहर पल अपने खोजती रहीउदासी मेरी जीवन की साथी बनीजो मुझे सबसे ज्यादा प्यारी लगीजब हंसती हुन तो …
Read More »अति महत्त्वकांक्षा की भेंट चढ़ती ज़िंदगी-सीमा रानी
‘अति महत्त्वकांक्षा की भेंट चढ़ती ज़िंदगी’अपनी पहचान बनाने के लिए,सर पर एक जुनून होता है।निस्वार्थ जग कल्याण के लिए,महत्त्वकांक्षी व्यक्ति जीता है।‘महत्त्वकांक्षा’ का अर्थ- उन्नति करने की प्रबल इच्छा, बड़ा बनने की इच्छा है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को लेकर कोईन कोई सपना देखता है। अधिकांश लोग केवल सपने ही देखते रह जाते हैं और करते कुछ नहीं। किंतु कुछ …
Read More »वर्तमान समय में हिंदू त्योहारों का बदलता स्वरूप
धन्य है वह देश, धन्य है वह प्रदेश, धन्य है वह धरती, और धन्य है वह भारतीय संस्कृति, जहा मानव को उच्च उदार और भगवत भक्त बनाने में सहायक व्रत और त्योहारों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। कालिदास ने उचित कहा है…. *उत्सव प्रिया: खलु मनुष्या:* सभी को उत्सव या त्योहार मनाना अच्छा लगता है …
Read More »पुस्तक चर्चा-कोणार्क
पुस्तक चर्चाकोणार्कडा संजीव कुमारइंडिया नेट बुक्स ,नोयडामूल्य १७५ रु , पृष्ठ ११६चर्चा … विवेक रंजन श्रीवास्तव , भोपाल कोणार्क पर हिन्दी साहित्य में बहुत कुछ लिखा गया है . कोणार्क मंदिर के इतिहास पर परिचयात्मक किताबें हैं . प्रतिभा राय का उपन्यास कोणार्क मैंने पढ़ा है . जगदीश चंद्र माथुर का नाटक “कोणार्क” भी है . स्फुट लेख और अनेक …
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