भारत चांद पर पहुंच गया। पर क्या हमारा समाज भी इतना ही उन्नत हो पाया है? चलिए आज इसी पर विचार किया जाए। भारतीय समाज में आज भी भूत प्रेत की नौटंकी चली आ रही है। न जाने कितनी औरतें चुड़ैल घोषित कर मार दी जाती हैं और कितनी भूत द्वारा ग्रसित बोल कर ओझाओं से पिटवाई जाती हैं।नहीं मैं …
Read More »Monthly Archives: August 2023
बनारसी साड़ी-डॉ निशा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द एक बार की बात है, बनारस की गलियों एक छोटे से दुकान में अनुपमा काम करती थी । वह बड़े साधारण दिखने वाली हिला थी, वह अपने मीठी जबान से और बनारसी साड़ियों की काफी जानकारी होने से वह लोगों को अपनी दुकान की तरफ …
Read More »दिल की बात -पूनम झा
जब कभी अकेले बैठते हैं हम,मन के पिटारे खोल लेते हैं हम,हर पिटारे का अलग ही रंग होता है,सबका ही अलग-अलग ढंग होता है,कुछ जाने-पहचाने,कुछ अनजाने से होते हैं,जाने-पहचाने तो अब बेगाने से लगते हैं,अनजानों का बोल-बाला है,खुला जैसे उसका ही ताला है,मन को भी बतियाते सुनते हैं,पिटारे भी कुछ ऐसे कहते हैं,एक पिटारे से…कितने मासूम थे तुम,अपनों को अपना समझते थे जो तुम, दूसरे पिटारे से….मासूम …
Read More »बनारसी साड़ी- यशोधरा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द चारों ओर उदासी और अवसाद…सब कुछ बिखरा-बिखरा… मेरे जीवन की तरह। बालों को एक जूड़े में समेटने की असफल सी कोशिश कर,अनमनी सी कमरे को कुछ व्यवस्थित करने में जुट गई।फैले हुए कपड़े तहा कर,रखने के लिए अलमारी खोली तो साड़ियों के ढेर में सबसे …
Read More »बनारसी साड़ी -डॉ. वर्षा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द यूं तो विवाह वर्षगांठ तारीख के अनुसार मनाना चाहिए ,परंतु करवा चौथ के दिन ही इस घर में ब्याह के आई थी तो भला इस दिन से शुभ कौन सी तिथि होगी परिणय दिवस मनाने की। बड़ी ही मुश्किल परिस्थितियों में हुआ था हमारा विवाह …
Read More »जब मैं छोटी बच्ची थी- अलका
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 लेख-आलेख विषय- जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण) शब्द सीमा (700-1000) कभी-कभी बचपन की कुछ घटनाएं मानस पटल पर कुछ इस तरह अंकित हो जाती हैं कि लाख चाहो,परंतु इसकी स्मृति धूमिल नहीं होती। ऐसी ही एक घटना मेरी भी स्मृति में वो रात एक चमगादड़ की तरह चिपक कर रह गई है। यह घटना …
Read More »दिल की बात-अलका
कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात। किसी को आदत बनाने से डरते हैं।देखा है हाल इश्क वालों का,इसीलिए इस गली से बचकर गुज़रते हैं ।किसी को अपना बनाने से डरते हैं।।देखा है हाल……..है फ़रेब ये दुनियां, फ़रेबी लोग यहाँ,सजा कर सपना,बनाकर अपना, फिर देखो कैसे वो मुकरते हैं ।इसीलिए किसी को अपना बनाने से डरते …
Read More »बनारसी साड़ी -अलका
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द बरसात के बाद, एक दिन सागर की मां ने अच्छी धूप निकलती देख अपने पुराने बक्सों को धूप दिखाने के लिए लाइन से छत पर खोल खोल कर रख दिए। तभी सागर को न जाने क्या हुआ उसने मां की साड़ियों के बीच से एक …
Read More »डाॅ बिपिन पाण्डेय की कविताएं
करनी होगी जंग दहशत भरकर दुनिया में जो,करते हैं जीवन बेरंग।करनी होगी उनसे जंग।डाल गले में पट्टा घूमें,लगता जैसे धर्म अफीम।गर्हित सोच बवंडर लाती,घूमें बच्चे बने यतीम।जो मजहब की पगड़ी बाँधे,चले न कोई उनके संग।वहशी लोगों के प्रति जिनकेउमड़ रहा है दिल में प्यार,ऐसे लोगों को नरता का,माना जाता है गद्दार।मिलकर उन्हें सिखाना होगादुनिया में रहने का ढंग।कोई गद्दी बचा …
Read More »प्रगति की बनारसी साड़ी
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द “अलका तुमने सारी पैकिंग कर ली? परसों सुबह की ट्रेन से हमें लखनऊ निकलना है।” रवि ने ऑफिस जाते हुए पूछा।अलका ने बुझे मन से ‘हां’ कह दिया। रवि ऑफिस के लिए निकल गया। रवि बैंक में एक मामूली क्लर्क था। किसी तरह घर का …
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