कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात।निर्जन मन की आशा तुम कोरे कागज़ की जिज्ञासा तुम तरस रहा मन मीत मिलन को इस पलाश की अभिलाषा तुम! बरसों से है मन की प्यास बड़ी दूर किनारे प्रीत की नांव खड़ी जलतरंग है मन का सूना- सूना बूंदें अब तक सागर से नहीं मिली स्वेत वर्ण जीवन …
Read More »Monthly Archives: August 2023
नीलम की बनारसी साड़ी
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 पूरे मोहल्ले में इस बनारसी लाल साड़ी की बड़ी चर्चा थी। होती भी क्यों ना? उमा देवी अकसर अपने बक्से से अपनी लाल बनारसी साड़ी निकालतीं, उसे अपने बिस्तर पर रख कर निहारतीं, उलटती-पलटतीं, फिर करीने से तहा कर वापस बक्से में रखकर ताला डाल देतीं। …
Read More »जब मैं छोटी बच्ची थी-यशोधरा भटनागर
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। जब मैं छोटी बच्ची थी… नन्ही बच्ची की भोली-भाली छवि संग बचपन भी आँखों के सामने सजीव हो आया।उस सजीव बचपन से झाँकने लगी दो भूरीआँखें प्यारी सहेली गुड्डी की। गुड्डी!बचपन की पुस्तक में जुड़ा एक ऐसा पृष्ठ जिसे विलग कर पाना शायद संभव नहीं।समय …
Read More »दिल की बात-अनीता मिश्रा
आ जाओ अब साथी मेरे , पल -पल लगे वीराना । तुम आओ तो जीवन महके, मौसम बड़ा सुहाना।। चोरी -चोरी नेह लगाकर ,मन मे तुम्हें बसाया । प्यारी -प्यारी दिल की बातें , आकर तुझे सुनाया। तेरे आने की आहट सुन , चहके दिल दीवाना । तुम आओ तो जीवन महके , मौसम बड़ा सुहाना। सूना -सूना आँचल मेरा …
Read More »दिल की बात-विजयानंद विजय
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता – 02 गीत शीर्षक – दिल की बात एहसासों की तपिश लिए, मैं ढूँढ़ूँ साँसों-साँसों में। बैठे – बैठे देख रहा हूँ, ख़्वाब तुम्हारी आँखों में। यादों के रपटीले पल, जब अपनी ओर बुलाते हैं। कतरा-कतरा घुल जाता, मधुमास तुम्हारी आँखों में। सपनों की उन गलियों में, मन यायावर-सा फिरता है। मिल जाता है जीने का, …
Read More »बनारसी साड़ी-डॉ. पूजा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्दनिष्ठा स्कूल से आई और अपना बस्ता चटाई पर रखते हुए कहती है, “अम्मा देखो न बाबा के हाथों में कितनी कला भरी है । मैं तो बचपन से देखती आ रही हूँ कि बाबा कितनी सुंदर साड़ी बुनते आ रहे हैं । आज भी देखो …
Read More »प्रहार-शीला की कहानी
जब से रामदयाल जी की पत्नी का स्वर्गवास हो गया और वह अपने दोनों बेटों के यहां रहने लगे तब अक्सर बेटों के घर में उनकी पत्नियों से तकरार होती रहती थी पर वह समझ नहीं पाते थे कि आखिर क्या बात है? रामदयाल जी के दो बेटे किशन और मोहन एक बेटी राधा है, बच्चों के शादी विवाह हो …
Read More »पब्जी और प्रियतमा- विनोद कुमार विक्की
(हास्य-व्यंग्य ) जब से पब्जी खेलने वाले सचिन की जीवन में सीमा पार कर सीमा का पदार्पण हुआ है तब से आनलाइन गेम के प्रति पोपट चचा की आस्था बढ़ गई। मीडिया से मंडी तक सीमा और सचिन तथा उनके चार रेडीमेड छोटे पब्जी की ही चर्चा थी.सीमा के पाकिस्तान …
Read More »अर्चना की बनारसी साड़ी
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द “सिया….जल्दी रसोईघर में आ जाओ बेटा…याद है न? आज रविवार है…”हाँ, हाँ डैड,….आज संडे है, तो आज माॅम की पसंद का कश्मीरी छोले और राइस बनेगा। ““यस। …सिया, यू नो? खाना बनाना भी एक आर्ट है।…और कश्मीर छोले बनाना तो बेहद स्पेशल है… कौन से …
Read More »बनारसी साड़ी-डॉ प्रदीप
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द पहली तनख्वाह मिलते ही रमेश सीधा जा पहुँचा उस कस्बेनुमा एक छोटे से शहर रायपुर के स्टेशन रोड पर स्थित अपने पिता जी की छोटी – सी चाय – नास्ते की दुकान पर। रुपयों से भरा हुआ एक लिफाफा अपने पिता जी को थमाकर उनके …
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