कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द “सिया….जल्दी रसोईघर में आ जाओ बेटा…याद है न? आज रविवार है…”हाँ, हाँ डैड,….आज संडे है, तो आज माॅम की पसंद का कश्मीरी छोले और राइस बनेगा। ““यस। …सिया, यू नो? खाना बनाना भी एक आर्ट है।…और कश्मीर छोले बनाना तो बेहद स्पेशल है… कौन से …
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बनारसी साड़ी-डॉ प्रदीप
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द पहली तनख्वाह मिलते ही रमेश सीधा जा पहुँचा उस कस्बेनुमा एक छोटे से शहर रायपुर के स्टेशन रोड पर स्थित अपने पिता जी की छोटी – सी चाय – नास्ते की दुकान पर। रुपयों से भरा हुआ एक लिफाफा अपने पिता जी को थमाकर उनके …
Read More »बनारसी साड़ी- गरिमा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द वह देवदूत सा आया था जीवन में। “देवदूत!” बड़े मध्यमी से होते हैं हम मध्यम वर्ग वाले। पल में तोला पल में माशा। ना पूरे काइयां कंजूस, ना पूरे उदार।निम्न के यथार्थ की ज़मीन और उच्च के विराट आसमानों के बीच में लटके त्रिशंकु। निम्न …
Read More »जब मैं छोटी बच्ची थी-गरिमा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। बड़े से महानगर में उनका घर छोटा सा था। घर के बाहर एक कटहल का पेड़ था।वह एक बंगाली परिवार था। मेरे नाना के घर के ठीक सामने वाला घर। गर्मियों में जब हम अपने ननिहाल जाते तो वह इकलौता कटहल का पेड़ कटहलों से …
Read More »कोई सुनता भी होगा-गरिमा जोशी पंत
कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात। कभी धूप के उछाह कीचाह कीकभी बादल के फाहे कीचाह की।चाहा कभी भीगूंबारिशों में तरबतरकभी प्रेम की खिलीधूप में छीलूं मटर।हरी दूब पर नंगेपांव झूमती चलूंपढ़ एक प्रेम कविताकि मैं कली सी खिलूंमेरे जैसे कोई औरभी ऐसे ख्वाब बुनता ही होगा।इतनी भीड़ हैमैंने कह तो दी दिल कीबात ।कोई …
Read More »जब मैं छोटा बच्चा था-डॉ. प्रदीप कुमार
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। यह बात तब की है, जब मैं पाँचवीं कक्षा में पढ़ रहा था । एक दिन पिताजी ने मुझे अपने पास बुलाकर कहा, “बेटा प्रदीप, अब तुम बड़े हो चुके हो । तुम्हारी दीदी भी शादी के बाद अपनी ससुराल चली गई है । इसलिए मैं …
Read More »स्वास्थ ही सुख का आधार है-ममता सिंह
आज फिटनेस व स्वास्थ का नाम लेते ही सामने से एक आवाज आती है हम तो पूरी तरह फिट है देखीये या हम तो पूरी तरह स्वस्थ है, देखीये। चाहे वह अंदर ही अंदर कितनी भी स्वास्थ समस्याओं से ग्रसित होगा लेकिन कहेगा यही। यह कोई एक आदमी की बात नहीं है यह बात 99 प्रतिशत लोगों में देखी जाती …
Read More »प्रेम में डूबी स्त्री-संदीप
प्रेम करके दरअसल अपने जीवित होने का यकीन दिलाती है खुद को कि अभी भी संवेदनाएं जीवित हैंवह चेतनाविहीन,कठपुतली, फर्नीचर सी नही बनी है अभी सबके प्रयत्न के बाद भी नही छोड़ती है वह अपने अस्तित्व की लकीरप्रेम करती स्त्री गुलाब हो जाती हैवह हवा,अहसास,जल सी निर्मल और खुशियों से भर जाती है उसमें आत्मविश्वास आता हैवह आसमान छू आती …
Read More »दोस्ती न हो-संदीप
दोस्ती न होकृष्ण सुदामा सी, जहां सदा रहे एक याचक न हो दोस्ती कर्ण दुर्योधन सी जो खड़े रहे अन्याय के पक्ष में दोस्ती कभी नही होती पति पत्नी में भी जान एक दूसरे के अवगुणोंको कभी न करते लिहाज ,बस वार पर वार दोस्ती न हो कभी हाकिम से क्योंकि खा जाएगी आपका सुखी संसार दोस्ती हो तो ऐसी …
Read More »तंदुरूस्ती हजार नियामत
इस संसार में ईश्वर की अनेक सृष्टियों में मानव की सृष्टि उत्कृष्ट मानी जाती है। मानव की बुद्धि कौशलता, चिंतनशीलता, आत्मबल एवं मनोबल में उसे अन्य जीवजंतुओं की तुलना में उच्चकोटि की एक सृष्टि के रूप में प्रतिपादित किया है। संपूर्ण विश्व की ही नहीं,सौरमंडल तक की उसकी पहुंच,भूगर्भ में उसके अनुसंधान एवं खोज,नए-नए आविष्कारों से सुख – सुविधाओं को …
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