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Yearly Archives: 2024

कब, कैसे, कहॉं की फिक्र में कब पहुँच गई गहमर-संगीता गुप्‍ता

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

कवि और कवयित्रीयों के बीच मुझे रहने और उनके अनुभवों को जानने का मौका मुझे पहली बार मॉं कामाख्या की धरती गहमर में मिला। पहला दिन शुक्रवार 20 दिसम्बर को मैं गहमर पहुॅंची। रास्ते में फिक्र हो रही थी कि कहाँ जाना है? जगह कैसा होगा? लोग कैसे होगें? मैं तीन दिनों तक वहाँ रह पाँऊगीं कि नहीं ? सब …

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ऐसा कार्यक्रम “ना भूतो ना भविष्यति-डॉ शीला शर्मा

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

साहित्‍य सरोज पत्रिका द्वारा आयोजित गोपालराम गहमरी साहित्‍य व कला महोत्‍सव 20 से 22 दिसंबर 2024 तक चलने वाली तीन दिवसीय कार्यक्रम एक अनोखी, विविध कला एवं साहित्यकारों का एक अनुपम संगम था जिसे हम साहित्यकारों का महाकुंभ भी कह सकते हैं। एक साथ विविध कार्यक्रम का, व्यवस्थित ढंग से संयोजन अद्भुत आश्चर्यजनक एवं दुस्साध्य कार्य है; जिसे कार्यक्रम के …

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ज्‍योति की कहानी

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

अश्वित बड़े दिनों से आइसक्रीम खाने की जिद कर रहा था। आज आखिरकार उसके घर वालों ने उसे दस रुपये दे ही दिए। मगर पैसे देते समय उसकी माँ ने कहा, “ये लो दस रुपये! अब तुम भले इससे आइसक्रीम खरीदना या अपने लिए नया पेन। ” अश्वित घर से तो आइसक्रीम खरीदने ही निकला था लेकिन कुछ देर चलकर …

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संस्कृति की जड़ों में आधुनिकता की हवा

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 भारतीय संस्कृति अपने आप में एक गूढ़ और व्यापक धरोहर है, जिसका प्रभाव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में सदियों से महसूस किया जा रहा है। यह संस्कृति मानवीय मूल्यों, आध्यात्मिकता, नैतिकता, सहिष्णुता और परोपकार जैसे तत्वों का समुच्चय है, जिसने न केवल भारतीय समाज को गढ़ा है, बल्कि दुनिया भर को एक संतुलित और संयमित जीवन …

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बुरे लम्हे-शीला श्रीवास्‍तव

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एकता ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी फोन की घंटी घनघना उठी एकता झुंझलाते हुए कहा “पता नहीं इस समय किस का फोन आ गया”आज तो जरूर ऑफिस पहुंचने में देर हो जाएगी । “हैलो” एकता मैं अरुण बोल रहा हूं! मैं ऑफिस के बाहर तुम्हारा इंतजार करूंगा ऑफिस खत्म होते गेट पर  मिलना। “ठीक है”। फोन …

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शब्द-संधान : शब्दों के सम्यक् प्रयोग का विवेचन करती पुस्तक-प्रमोद दीक्षित मलय

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शब्द केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, अपितु जीवन के संगीत और रचनात्मकता के राग का प्रतीक भी होते हैं। अर्थ की धरोहर लिए हुए ये शब्द न केवल लोक-चेतना को परिष्कृत करते हैं, बल्कि उसे परिमार्जित भी करते हैं। हम जानते हैं कि परस्पर पर्याय होने के बावजूद शब्दों के अर्थ में सूक्ष्म भिन्नताएँ होती हैं। यह भिन्नता, किसी शब्द …

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बच्चों में बढ़ती अवसाद की भावना-सीमा रानी

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आज के समय में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। बच्चों पर जरूरत से ज्यादा पढ़ाई का दबाव बढ़ता जा रहा है , माता-पिता की अपेक्षाएं भी बच्चों से बढ़ती जा रही है। सामाजिक प्रतिस्पर्धा की भी वही स्थिति है और तकनीकी युग में बढ़ता स्क्रीन टाइम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी …

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भारतीय साहित्य-संस्कृति और विरासत को सहेजने का अद्भभुत प्रयास-रामबाबू मैहर देव

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 कहते हैं कि कहीं पर आप जाते नहीं है,बल्कि पहुंचाये जाते है।यह सबकुछ पहले से तय है।मां सरस्वती के आशीर्वाद से मां कामाख्या की नगरी व उपन्यासकार गोपालराम गहमरी की नगरी और सैनिकों के लिए प्रसिद्ध एशिया द्वीप के सबसे बड़े गांव गहमर मेरा अचानक जाना तय हुआ। इस यात्रा में पहले से बिल्कुल तय नहीं था,मैं पहुंच भी पाऊंगा …

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उपभोक्ता और डिजिटल मार्केटिंग-अवनीश

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आज के समय में डिजिटल तकनीक ने हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है, और यह बदलाव उपभोक्ता व्यवहार और डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में भी गहराई से महसूस किया जा रहा है। उपभोक्ताओं की पसंद और आदतें अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आकार ले रही हैं।डिजिटल क्रांति ने दुनिया को बदलने में अहम भूमिका निभाई है। इंटरनेट और …

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10वें गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव गहमर की यादें

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

 मुझे जैसे ही 10 वें गोपालराम गहमरी साहित्य और कला महोत्सव की जानकारी मिली मैंने तभी तय कर लिया की मुझे गहमर आना है। बीते वर्ष मेरे साथ लखनऊ की कुछ महिलाएं और भी गयी थी जिनका सम्मान भी हुआ ।उनके गाये गीत सबकी जुबान पर चढ़ गये ‌। इसलिए मैंने फिर उनसे गहमर चलने के लिए पूछा तो ,कोई …

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