Monthly Archives: April 2024

नई सोच- डॉ. सुनीता श्रीवास्तव

राशि आज सुबह से ही बहुत खुश थी, मानो उसमें आत्मविश्वास पुनः जागृत हो गया था… जल्दी-जल्दी घर के कार्यों से निवृत होने के बाद वह दफ़्तर से छुट्टी लेकर एक उद्योग के उद्घाटन समारोह के लिए जाने को तैयार होने लगी। अपने शैक्षिक कार्यकाल से ब्रेक लेने के लिए मीडिया इंडस्ट्री ज्वाइन कर ली, इस क्षेत्र में जाने के …

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फूलदेई पर्व की एक विशेष रस्म – फुलछोला या अट्वाड़ा

हेमंत चौकियालरा० उ० प्रा० वि० गुनाऊँब्लॉक-अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयागउत्तराखण्ड

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बूढ़ा बचपन-सुनीता

सौरभ आफिस लौटकर ताज़े फलों का जूस पी रहा था तभी अंतरिक्ष दौड़ता हुआ आया और कहने लगा— ‘पापा आज दादू ने हमारी अलमारी के ड्राज में से इत्र की शीशी निकाल कर अपने  बक्से में  छुपा कर रख दी हैं।सौरभ अंतरिक्ष की बात सुनकर थोडा आश्चर्य चकित होकर अपने काम में लग गया और वह बोला—‘अच्छा ठीक है बेटे …

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एक पत्रकार की यात्रा

धर्म कर्म के प्रति हिन्दुत्व आस्था और विश्वास पूर्वजों द्वारा स्थापित सदियों पुरानी एक जीवंत आदर्श परंपरा है। जिसमें निर्जीव प्रतिमाएं सजीवता का दर्शन कराते हुए सनातनी परंपरा को पुख्ता कर अकाट्य उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। सनातन धर्म के विश्वास- पथ पर बलवती होती हिंदुत्व की उत्कट अभिलाषाएं आस्तिक जनों के अन्तर्मन् को बर्बस आह्लादित करती रहती हैं।हिन्दू धर्म की …

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अभिभावक की महत्वाकांक्षा पर खोता बचपन-सुनीता

“बचपन से ही तो रूठ गईबचपन की मासूमियतजब अभिभावकों की महत्वाकांक्षाका सैलाब हर सपने को समेट गयारह गई केवल माँ पिता की इच्छाजिन्हें पूरा करने में उम्र गुजर गई l”विश्व के किसी भी देश में जा कर सर्वेक्षण कर लीजिए अविभावक और बच्चों लेकर सभी जगह एक जेसी स्थिति है lसच तो यही है कि हर अभिभावक का सपना होता …

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साहित्‍य सरोज लेखन एवं मेंहदी प्रतियोगिता के परिणाम घोषित

02 अप्रैल को साहित्‍य सरोज पत्रिका की संस्‍थापिका श्रीमती सरोज सिंह की सातवीं पुण्यतिथि पर आयोजित सरोज सिंह लेखन प्रतियोगिता में लेखको ने दिये हुए विषय पर अपने लेख, शीर्षक पर कहानी एवं वाक्‍शं पर अपने विचार लिखें। इस प्रतियोगिता की सबसे मजेदार बात यह रही कि लेखकों ने मेहनत तो किया मगर वह कम पढ़ना अधिक समझना वाक्‍य को …

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आखिर क्यूं बिगड़ रहा आज हमारा फिटनेस? पूजा

आखिर क्यूं बिगड़ रहा आज हमारा फिटनेस? पूजा

“आखिर क्यूं बिगड़ रहा आज हमारा फिटनेस? “ लोगों को आलस्य इतना घेर लिया है अपनी दिनचर्या में शामिल होने वाली गलत वस्तुओ का प्रयोग करके अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने लगे हैं। अपनी फिटनेस को दरकिनार कर नए रोगों को निमन्त्रण दे रहे हैं। समय की कमी कहें या आधुनिकता का तकाजा! मुंँह में लगे इस स्वाद का …

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अभिवावक की महत्वाकांक्षा में खोता बचपन-राज फौजदार

बच्चे देश की धरोहर होते हैं ।परिवार में आने वाले भविष्य की नींव माता-पिता की उम्मीद की पूंँजी होते हैं ।बच्चों का मानसिक स्तर कैसा है? उसकी रुचि क्या और किस तरफ है? रूचि सब की एक समान नहीं होती कहते हैं –(1)”पूत के पांँव पालने में ही दिख जाते हैं।”(2) हौन हार बिर वान के होत चीकने पात”  बच्चा …

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वो रिक्शा-अवनीश

वो रिक्‍सा वाला

बहुत पुरानी याद आप के साथ बांटना चाहता हूँ, ये याद है बालपन की। ये बालपन भी अजीब है, रहता है हम सभी के अन्तर्मन में, बहुत सी भूली बिसरी व कुछ पत्थर की अमिट लकीर सी खिंची यादों के रूप में।अब तो मैं  भी वरिष्ठ नागरिक की कैटेगरी में आ गया हूँ,दिखता भी वैसा ही हूँ, जब उम्र 65-70के …

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बेदर्द दिल -पूजा

बेदर्द दिल

अभी हम हवन करके उठे थे हवन में मेरे साथ मेरे पति राकेश दोनों पुत्र लव एवं कुश भी बैठे थे। वह शांति हवन हमने बाबूजी के लिए रखा था। सभी रिश्तेदार मित्र एवं परिचित भी इस अवसर पर आए हुए थे। पूजन हवन के पश्चात भोज का आयोजन किया गया था। हलवाई अपने सहयोगियों के साथ पकवान खीर पूरी …

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