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Monthly Archives: April 2024

एक यादगार सफ़र-रागिनी

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

बात 1999 की है जब मैं पानीपत रहती थी। कटनी मध्यप्रदेश से जाते समय मुझे दो ट्रेन बदलनी पड़ती थी। बहुत ही मुश्किल का सफर होता था । एक बार में मैंने दिल्ली से आगे की जब ट्रेन बदली और दूसरी ट्रेन में मैं चढ़ने लगी।तभी मैंने देखा कि बहुत अधिक भीड़ है। मैं परेशान हो गई। किसी तरीके से …

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मेरा गांव मेरा बचपन-अजय

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

“वर्षों पहले पीछे छूट गया वो पुस्तेनी गांव?”कह मिस्टर डिसूजा ने अपनी बात पूरी की तो विस्मृति स्मृति की रेखाएं बरबस ही चेहरे पर खिंच गई। हां अवश्य केबिन में लगे पंखे की खटखट की ध्वनि विचारों में दखल दे रही थी, जिस पर माघमास ने अपना डेरा समेटा तो फागुन ने अपना पैर पसार लिया था,अतः वातावरण में गर्मी …

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अभिभावक  की महत्वाकांक्षा में खोता  बचपन-मनोरमापंत 

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

आज की दुनिया पूर्ण बनने के पीछे पागल है और इसी धुन में दुनियां अवसाद तथा दुःख से गुजर रही है । भारत  जैसे देश में  बच्चों को  पूर्ण बनने की धुन में  अभिभावक  उनका बचपन  स्याह  कर रहे हैं ।  जिससे  आत्महत्याओं  का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। दुनियाभर  की आत्महत्याओं में भारतीय  किशोरों तथा  युवाओं  का 17.5 …

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न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा’ मक़बूल शायर राहत इंदौरी साहब की ग़ज़ल का यह मिसरा अपने आप में गहरे अर्थ समेटे बहुत कुछ कहता है।आस और उम्मीद एक ऐसा शब्द है जो इंसान को शिथिल और निष्क्रिय बनाता है। यही आस और उम्मीद जब हम दूसरों से बांध लेते हैं ।तो हम अपनी …

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संदीप तोमर की कहानी बदनुमा दाग

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

वह एक लाइब्रेरीनुमा कमरा था। मैंने कमरे को हैरत भरी निगाह से देखा। इतनी सारी किताबें किसी के घर पर पहली बार देख रही थी। इतनी किताबें तो पढ़ते हुए कॉलेज की लाइब्रेरी में ही देखी थी।मैंने एक सोफ़े की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया। तभी एक छोटी सी बच्ची कमरे में दाखिल हुई। “गुड इवनिंग मैडम।“-उसने बड़ी दबी सी आवाज …

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मनीष की कहानी संशय

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बांध वाले रोड पर चलते हुए विमल जी घोष दा के साथ काफी दूर निकल आए थे। सामने गंगा का धवल प्रवाह डूबते सूरज की हलकी धूप में चमक रहा था। घोष दा तर्जनी से उन्‍हें नदी के दूसरे तट पर पेड़ों की कतारों से निर्मित पृष्‍ठभूमि को दिखा रहे थे। सब कुछ बेहद प्राकृतिक और आकर्षक था। ऐसे में …

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हनुमान जन्मोत्सव पर सुंदरकांड विशेष-सोनल मंजू

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       हिंदू पंचांग के अनुसार, हनुमान जन्मोत्सव हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 23 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस बार हनुमान जन्मोत्सव मंगलवार को पड़ने से यह और भी खास हो जाता है क्योंकि माना जाता कि हनुमान जी का अवतार दिवस मंगलवार ही था। इसीलिए मंगलवार को …

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वो नया मेहमान-गोवर्धन

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आज से पचास साल पहले मेरा दोस्त मेरा मुहँ मीठा कराते हुये बताया कि उसके घर में आज नया मेहमान आया है। जब मैंने पूछा लड़की हुयी है या लड़का  तो उसने कहा कि मैं खुशी के चलते भाई साहब से विस्तार में बात ही नहीं की।आगे चलकर मैंने अनुभव किया कि उस बच्चे को किसी दूसरे को देते नहीं …

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भारतीय संस्कृति -हिंदी सिनेमा, बाजारवाद और नारी

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नारी हमारे घर, परिवार, समाज, देश व दुनियां की वह धुरी है जिसके बगैर इस सृष्टि की कल्पना करना ही संभव नहीं है। ब्रह्मा जी अवश्य इस सृष्टि के रचयिता हैं किन्तु उनके लिए भी नारी के बिना इस सृष्टि की रचना कर पाना असंभव ही था। एक नारी ही है जिसे प्रकृति ने इतना सक्षम व सशक्त बनाया है …

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स्वच्छ रहो,निरोग रहो-डोली शाह

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पूतनी गांव में पली- बढ़ी एक साधारण परिवार की इकलौती बेटी थी। उसका छरहरा वदन ,साधारण एवं सरल व्यवहार हर किसी को भाता था । मां के साथ ही सूरज की लालिमा के साथ उठने वाली पूतनी घर के हर काम को बखूबी करती, मगर हां घर की साफ- सफाई, सजाने- संवारने से उसका दूर-दूर तक कोई वास्ता न रहता।पूरा …

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