जौहर शब्द जीव और हर से मिलकर बना है , जिसका तात्पर्य है , अपनी अस्मिता की अपनी पवित्रता की सुरक्षा के लिए किया गया आत्मोसर्ग | यह भारतीय पुरातन संस्कृति की उच्चतम मान्यताओं और परम्पराओं में से एक कही जा सकती है | जिसमे अपनी सात्विकता और यौनिक शुचिता को सर्वोपरी मानते हुए उसकी रक्षा के लिए स्वयम को …
Read More »Monthly Archives: June 2024
मेरी आजी -गीता चौबे
संस्मरण – बात उन दिनों की है जब हम छुट्टियों में अपने गाँव गए हुए थे। तब हमें हमारी छुट्टियाँ गाँव में ही बितानी होती थी। तब किसी पर्यटन स्थल पर जाने का चलन नहीं था। बहुत हुआ तो नजदीक के तीर्थ-स्थान पर चले गए। पर ऐसा बहुत कम होता था; क्योंकि तीर्थ-स्थानों की भीड़-भाड़ में बच्चों को लेकर जाना मेरे …
Read More »कहानी दयाल सिंह
वो गाँव के तीन पीढियों के सेतु थे। चार बीसी और तीन साल से अधिक की जात्रा (अवधि) पूरी कर चुके थे। पहला विश्व युद्ध, दूसरे विश्व युद्ध सहित, भारत पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान के कत्लेआम के जीवित दस्तावेज थे वो। देश दुनिया के घाट घाट का पानी पीकर सधे थे वो। गरीबी के कारण कुछ विशेष नहीं कर …
Read More »जिंदगी के रंग-व्यग्र पाण्डे
मैं मेरी किशोरावस्था से एक विशेष नाम का जिक्र सुनता रहा । वो नाम हमारे क्षेत्र का जाना-पहचाना नाम था । जब भी साहित्य पर चर्चा होती तो उनकी रचनाएँ अवश्य चर्चा में आती । उन्हें साहित्य के कई बड़े-बड़े सम्मान भी मिल चुके थे ।मैं बड़ों की बातों को सुन-सुनकर उस नाम का कायल हो चुका था । आप …
Read More »क्या यही प्यार है- अशोक
एक प्रश्न बार-बार बेचैन किये जा रहा है कि ऐसा क्यों हुआ ? और फिर वह सुरसा के मुँह की तरह फैलता ही जाता है या फिर कोढ़ की तरह सारे तन गलाये डाल रहा है। उफ़्फ़॥ जैसे पोर-पोर गल-गल कर गिरी पड़ रही है। समझ में नहीं आता कि यह कैसे हो गया ? सौभाग्यशालिनी निशीथ की शीतलता में …
Read More »नंदलाल का भय
भय अन्तर्मन कि गहराई से उतपन्न वह विचार है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को झकझोर देता है और विचारों को अशांत उद्वेलित करता है विचारो कि उतपत्ति मनुष्य कि कल्पनाशीलता कि योग्यता है जो उसे अपने परिवेश परिस्थितियों के कारण उसे विवश करती है जाग्रत करती है एव उसके विचारों के सृजन के लिए प्रेरित करती है ।विचारो के सृजन …
Read More »प्रकृति मै और यायावरी
पूर्वोत्तर के सभी राज्य हमेशा से मेरे लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। वहां के अनछुए ऊँचे –ऊँचे पहाड़, अलग-अलग तरह की वनस्पति, पहाड़ों से गिरते झरने, चट्टानों को काटकर बनाई हुई गुफाएं, इन सब के अलावा कल-कल कर बहती हुई नदियाँ जिनमें किसी भी तरह की गंदगी या प्रदुषण नहीं है। वहां की नदियों या झीलों के साफ़ …
Read More »राष्ट्रीय कवि दिनकर -सीमा रानी
हमारे देश में एक से बढ़कर एक साहित्यकारों का जन्म हुआ। सभी अपने समय के अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लेखक थे, जिनका योगदान हिंदी साहित्य में अद्वितीय है। उन्हीं में एक नाम आता है – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का। हिंदी साहित्य के महान कवि और निबंधकार, जिन्हें राष्ट्रकवि के रूप में जाना जाता है। जिनका जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के …
Read More »पैसा देकर सम्मान-सुनील
साथियों कई दिनों से मेरे मन में एक प्रश्न उठ रहा था जो आज आप सभी के समक्ष रख रहा हूं और आप सभी के विचार जानना चाहता हूं।जैसा कि आप सभी देखते हैं कि इन दिनों फेसबुक पर साहित्यिक मंचों का अम्बार सा लगा हुआ है। मातृभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार तथा साहित्य साधना के उद्देश्य से स्थापित इन फेसबुक …
Read More »दिल्ली का पानी-चंद्रवीर
मां ने चिल्लाते हुए कहा – “मेरे घर में इन गंदे और कीचड़ में सने पिल्लों के लिए कोई जगह नहीं है। तुझे इनका इलाज़ ही करना है तो घर से बाहर कर, समझा।”आज मां कुछ ज्यादा ही गुस्से में थी। वह प्रतिदिन पूजा पाठ करने वाली धार्मिक महिला हैं। प्रतिदिन रामायण का पाठ करती हैं। अनपढ़ होते हुए भी …
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