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Monthly Archives: February 2025

महाकुंभ में श्रद्धालुओं और मौत के बीच बने रहे सिपाही और दरोगा

"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

महाकुंभ जैसे आयोजन पर कलम चलाने से पहले बहुत कुछ सोचना पड़ता है। एक बार अधजल ज्ञान से इस पर लिखा जा सकता है, लेकिन उसकी प्रकृति, महत्त्व और रंगों पर लिखना हम साधारण मानव के बस की बात नहीं है। इसीलिए मैंने महाकुंभ में कई दिनों के प्रवास के बाद भी कुछ लिखने की हिम्मत नहीं जुटाई। परंतु अपने …

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मातृभाषा दिवस पर पटना बिहार से माधुरी सिंह

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मातृ भाषा को भी वही सम्‍मान प्राप्‍त होता है जो माँ को प्राप्‍त होता है। समाज में माँ के अमूल्य योगदान को सम्मान देकर और स्मरण कर हम जिस प्रकार खुद को सम्‍मानित करते हैं उसी तरह मातृभाषा का सम्‍मान कर हम अपने आप को एक विशेष पहचान देते हैं। जिस प्रकार मॉं  बच्चों के जीवन को आकार देने, नैतिक …

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सपना की कहानी अहसान

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“मैं इस आदमी की कुछ नहीं लगती,सुना आपने !.और ये रिश्ते की दुहाई देना बंद कीजिए आप मुझे।” स्वरा,जिसके स्वर में सुर नदी की तरह बहती थी.शास्त्रीय संगीत में जिसने खुब ख्याति पाई थी,आज उसकी आवाज में कितनी कठोरता दिख रही थी.जिंदगी उसके सामने ऐसी लकीर खिंचेगी जो आर या पार की होगी,उसने कभी सोंचा भी नहीं था.अचानक से उठे …

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मातृभाषा दिवस पर कुशराज की बुंदेली कहानी रीना

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रीना काछिन भोरे अपनी बखरी खों झार रई ती। बा गिनठी, गोरी – नारी फटी – पुरानी धुतिया पैरें; माओ के यी जाड़े में आठ साल पुरानो मैलो – कुचैलो साल ओढ़ें रोजीना कौ काम निपटा रई ती। बा बीए पास करकें आई ती सिरकारी बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी सें। यीके बाप – मताई गरीब हते ऐईंसें जा गांओं में बिया …

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मातृभाषा दिवस पर दीपमाला की छत्‍तीसगढ़ी कहानी सुरता

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सुरता हमर अउ हमर पुराना दिन के बीच के कतका सुग्घर रिश्ता हरे l सुरता नहीं रतीस त हमन कहाँ पुराना दिन ल समेटे रतेंन l आज मइके आहों मेहा बस में l बस ले उतरे हो बस स्टैंड म l लागिस कोनो ले बर आय होहीl फेर कहाँ कोई आ हे, फोन लगाय हों घर मा त भौजी ह …

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मातृभाषा दिवस पर उत्तराखंड से लक्ष्‍मी चौहान

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आज 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने, बढ़ावा देने और बहु -भाषावाद को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। 17 नवंबर 1999 को यूनेस्को ने इसे स्वीकृति प्रदान की थी। साल 2000 में पहली बार इसे पूरी दुनिया …

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अर्चना त्‍यागी की कहानी परवरिश

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साहित्‍य सरोज कहानी प्रतियोगिता 2025 की कहानी, इस कहानी पर अपना कमेंट अवश्‍य दें। आज सुबह जैसे ही सोकर उठा वृद्धाश्रम से फोन आया। जो सूचना मिली उसे सुनकर मेरा दिल बैठ गया। एक बार तो आंखों के सामने अंधेरा ही छा गया। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं ? घरवालों को कुछ बताऊं या नहीं ?पिछले रविवार …

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व्यक्तित्व विकास की आधारशिला है मातृभाषा-डॉ० रामशंकर भारती

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मातृभाषा दिवस पर विशेष – हिंदी हमारी राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान और राष्ट्रीय एकता की संवाहिका है। व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में मातृभाषा का अहम् योगदान होता है। मातृभाषा हमारी आंतरिक अभिव्यक्ति का सबसे विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं, मातृभाषा हमारी अस्मिता, सामाजिक -सांस्कृतिक पहचान और आंतरिक निर्माण-विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। अपने इतिहास, परंपरा और संस्कृति के अध्ययन …

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मोकौं लिखौ है का ? डॉ० रामशंकर भारती

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पत्र साहित्य गुजरे बीसियों साल से मेरे नाम किसी अपने-विराने की कोई चिट्ठी नहीं आई। हाँ, कुछ पत्रिकाओं तथा पुस्तकों के बण्डल जरूर मिलते रहते हैं। माना कि अब मैंसेजर, व्हाट्सएप्स आदि की आधुनिक तकनीकी सहूलियतें उपलब्ध हैं, जिनसे एक ही सेकंड में संदेश इधर से उधर तैर जाते हैं। अँगुलियाँ धरते ही सात समंदर पार कर जाते हैं। मगर …

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शान की कहानी न्‍याय

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का करूँ ! कहाँ जाऊँ !? गूलरपुरा का मजदूर बनवारी अपनी झोपड़ी में बैठा सोच रहा था ‘पास बैठा उसका तीन बरस का बेटा पिता को देख कर मुस्कुरा रहा था उसकी निश्छल मासूम मुस्कुराहट बनबारी की चिंता को और बढ़ा रही थी | आज वह बहुत परेशान था कारण… गाँव के बौहरेजी से लिए अपने कर्जा के रुपयों के …

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