‘कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -4 कहानी साहित्य सरोज पेज को लाइक एवं फालो करें, परिणाम व लिंक पेज पर https://www.facebook.com/profile.php?id=100089128134941 लगभग साल भर पहले रमेशचन्द्र-अंकल और रेखा-आंटी जिसे वहां सब पहले-पहल अकड़ू-आंटी कहते थे,ने इस दूधिया संगमरमरी मकान को खरीदा था। इसके असली मालिक सुभाषचन्द्रजी बड़े बिजनेसमैन थे, सो,अपने पुश्तैनी मकान को गिरवाकर ऐसी बढ़िया दोमंजिली कोठी बनवा ली कि …
Read More »वह ताँगे वाला-ओम प्रकाश नौटियाल
सोहना गाँव के राजेन्द्र बाबू का छोटा लड़का महेश पढने में बहुत होशियार था । स्नातक होने के बाद उसका चयन भारतीय वन सेवा में हो गया ।अब तो खैर इस बात को कई वर्ष गुजर गए हैं । राजेन्द्र बाबू तो बेचारे अब इस दुनियाँ मे रहे नहीं । महेश की पोस्टिंग पिछले तीन साल से अपने पैतृक …
Read More »बेदम साँस-नफे सिंह कादयान
जिस्म की बेचैनियों का कोई तो हल हो। एक आग सी है सीने में जो दिल से हरारत पा बुद्धि को रोशन रखती है। मस्तिष्क में फैली हुई हजारों मील लम्बी नाड़ियों की रक्तखुंबियों में हर समय जैसे बिजली सी चमकती है। ऐसे जैसे घनघोर काली घटाओं में कड़कती हुई विद्युत धाराएँ रोशनी के झमाके पैदा करती हैं। पहले जब …
Read More »मेरा अभिमान-अर्चना
सुमित को नौकरी मिल गई थी। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। आज सुबह ही उसे फोन के माध्यम से सूचना मिली थी। वह एक माह पूर्व इस नौकरी के साक्षात्कार के लिए गया था, अपने दोस्त अमित के साथ। साक्षात्कार की उसने बहुत तैयारी की थी। अपने विषय की पढ़ाई करने के साथ साथ कम्पनी के बारे में भी …
Read More »राम जी की फोटो-महेश शर्मा
दरअसल गलती मेरी ही थी । यदि उस दिन मेले में जाकर माँ के लिये रामजी का फोटु पसन्द करके मैं ना लाता तो घर में इतना बखेडा ही ना होता |रामजी के फोटो को लेकर घर में घमासान मचा हुआ था | माँ और छोटा बन्टी एक तरफ थे , तो बिन्नी और उसकी मम्मी यानी श्रीमती एक तरफ …
Read More »डॉ प्रदीप की लघुकथाएं
हमारे साहित्य सरोज के फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें “बेटा, यदि सारा खाना लग गया हो, तो यहां तुम भी अपनी प्लेट लगा लो।” रमा बोली।“पर मां जी, मैं यूं… आप लोगों के साथ…?” हिचकते हुए सुषमा बोली।“क्यों ? क्या हो गया ? क्या मायके में अपने मम्मी-पापा और भैया के साथ खाना खाने नहीं बैठती थी ?” रमा ने आश्चर्य से पूछा।“जी… बैठती तो थी।” सुषमा …
Read More »नशा-डा. अरविन्द दुबे
“वैसे तो दीपेश बुरा आदमी नहीं है पर कभी-कभी उसे न जाने क्या हो जाता है?”स्मिता ने सोचा, एक गहरी सांस ली और अपने शरीर पर पड़े निशानों को सहलाया। कुछ निशान ताजे थे जिन पर से खाल निकल गई थी उन पर हाथ फिराते उसे थोड़ी सी पीड़ा हुई पर उसे न जाने क्यों उसे वह पीड़ा बुरी नहीं …
Read More »ट्युशन-संतोष शर्मा शान
हमारे साहित्य सरोज के फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें अरे गीता! आज इधर कैसे, घूमने जा रही हो क्या? नहीं नीलू बहन, मैं तो रोज इधर आती हूँ अपने बेटे को ट्युशन से लेने।नीलू- यहाँ कहाँ ट्युशन लगा रखा है तुमने ? गीता वो यहाँ पास में एक आचार्य जी रहते हैं, वे हिन्दी और संस्कृत की …
Read More »दस पैसे-डॉ. राधा दुबे
हमारे फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें मैं बचपन में बहुत नटखट थी। दिनभर उछलकूद यहाँ से वहाँ, मम्मी को परेशान करती रहती। वह डाँटकर भगा देती तो मामा जी के पास चली जाती। उन्हें भी खूब परेशान करती, उस समय मामा जी हमारे साथ ही रहते थे। मैं उन्हें भी चैन से नहीं बैठने देती। नित नई माँग …
Read More »प्यार परीक्षा- सिद्धार्थ
हमारे फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें कहते हैं उपदेश देने में, दुसरों से उसका पालन करवाने में, और खुद उसका पालन करने में काफी अंतर होता है ।ये सौ प्रतिशत सच है ।हमारे इस कहानी के नायक #किशन और नायिका #सौम्या के साथ भी यहीं हुआ ।दोनों के मिलने की और उनके दोस्ती होने की कहानी में जो …
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