रिया को किशोरावस्था से ही बनारसी साड़ी पहनने की बहुत इच्छा थी। जब वह अपनी माँ की मालकिन को किसी भी आयोजन में बनारसी साड़ी पहनकर जाते देखती तो उसके अंदर की इच्छा ओर भी प्रबल हो जाती परंतु माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपनी यह इच्छा मन में ही दबा कर रह जाती। धीरे-धीरे …
Read More »बनारसी साड़ी-डॉ निशा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द एक बार की बात है, बनारस की गलियों एक छोटे से दुकान में अनुपमा काम करती थी । वह बड़े साधारण दिखने वाली हिला थी, वह अपने मीठी जबान से और बनारसी साड़ियों की काफी जानकारी होने से वह लोगों को अपनी दुकान की तरफ …
Read More »बनारसी साड़ी- यशोधरा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द चारों ओर उदासी और अवसाद…सब कुछ बिखरा-बिखरा… मेरे जीवन की तरह। बालों को एक जूड़े में समेटने की असफल सी कोशिश कर,अनमनी सी कमरे को कुछ व्यवस्थित करने में जुट गई।फैले हुए कपड़े तहा कर,रखने के लिए अलमारी खोली तो साड़ियों के ढेर में सबसे …
Read More »बनारसी साड़ी -डॉ. वर्षा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द यूं तो विवाह वर्षगांठ तारीख के अनुसार मनाना चाहिए ,परंतु करवा चौथ के दिन ही इस घर में ब्याह के आई थी तो भला इस दिन से शुभ कौन सी तिथि होगी परिणय दिवस मनाने की। बड़ी ही मुश्किल परिस्थितियों में हुआ था हमारा विवाह …
Read More »जब मैं छोटी बच्ची थी- अलका
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 लेख-आलेख विषय- जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण) शब्द सीमा (700-1000) कभी-कभी बचपन की कुछ घटनाएं मानस पटल पर कुछ इस तरह अंकित हो जाती हैं कि लाख चाहो,परंतु इसकी स्मृति धूमिल नहीं होती। ऐसी ही एक घटना मेरी भी स्मृति में वो रात एक चमगादड़ की तरह चिपक कर रह गई है। यह घटना …
Read More »बनारसी साड़ी -अलका
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द बरसात के बाद, एक दिन सागर की मां ने अच्छी धूप निकलती देख अपने पुराने बक्सों को धूप दिखाने के लिए लाइन से छत पर खोल खोल कर रख दिए। तभी सागर को न जाने क्या हुआ उसने मां की साड़ियों के बीच से एक …
Read More »प्रगति की बनारसी साड़ी
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द “अलका तुमने सारी पैकिंग कर ली? परसों सुबह की ट्रेन से हमें लखनऊ निकलना है।” रवि ने ऑफिस जाते हुए पूछा।अलका ने बुझे मन से ‘हां’ कह दिया। रवि ऑफिस के लिए निकल गया। रवि बैंक में एक मामूली क्लर्क था। किसी तरह घर का …
Read More »नीलम की बनारसी साड़ी
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 पूरे मोहल्ले में इस बनारसी लाल साड़ी की बड़ी चर्चा थी। होती भी क्यों ना? उमा देवी अकसर अपने बक्से से अपनी लाल बनारसी साड़ी निकालतीं, उसे अपने बिस्तर पर रख कर निहारतीं, उलटती-पलटतीं, फिर करीने से तहा कर वापस बक्से में रखकर ताला डाल देतीं। …
Read More »जब मैं छोटी बच्ची थी-यशोधरा भटनागर
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। जब मैं छोटी बच्ची थी… नन्ही बच्ची की भोली-भाली छवि संग बचपन भी आँखों के सामने सजीव हो आया।उस सजीव बचपन से झाँकने लगी दो भूरीआँखें प्यारी सहेली गुड्डी की। गुड्डी!बचपन की पुस्तक में जुड़ा एक ऐसा पृष्ठ जिसे विलग कर पाना शायद संभव नहीं।समय …
Read More »बनारसी साड़ी-डॉ. पूजा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्दनिष्ठा स्कूल से आई और अपना बस्ता चटाई पर रखते हुए कहती है, “अम्मा देखो न बाबा के हाथों में कितनी कला भरी है । मैं तो बचपन से देखती आ रही हूँ कि बाबा कितनी सुंदर साड़ी बुनते आ रहे हैं । आज भी देखो …
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