कविता में कल्पना तत्व की प्रधानता होती है, कवि एक कल्पनाशील प्राणी है, प्रजापति की तरह वह स्वयं की कल्पना लोक का निर्माण करता है| शब्द मानव ध्वनियों का पहला संगठन और भाषा की पहली ईकाई है, शब्द का अपना जादू होता है, इसमें संदेह नहीं है| कवि शब्द रूपी ईंटों से काव्य की इमारत खड़ा करता है| मानव की …
Read More »स्वतंत्रता सेनानी-तिरुप्पूर कुमरन
मानव जीवन को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहला जो अपने लिए ‘स्वांतः सुखाय’ के आदर्श के अनुरूप जीता हो। अपने लिए जीते हुए दूसरों के लिए भी जीना दूसरी श्रेणी का माना जाता है। खुद के लिए न जीकर अन्य लोगों के लिए अपना संपूर्ण जीवन बिताना तीसरी श्रेणी का जीवन माना जाता है। खुद …
Read More »अनिश्चय में झूलती हिंदी-डॉ. राधा दुबे
भाषा उन महत्वपूर्ण इकाईयों में से एक है जो मानव जाति को एक सूत्र में पिरोकर रखती है। भाषा के स्वरूप का निर्धारण मानव समाज द्वारा होता है। निश्चित रूप से भाषा मानव की सहचारिणी है। शौक, आवश्यकता या कार्य की बाध्यता पड़ने पर जब मानव विश्व के दूसरे देशों में प्रस्थान करता है तो उसकी भाषा भी भौगोलिक विस्तार …
Read More »फ़्रीडम -रश्मि
सुबह से शीला तरह-तरह के व्यंजन बनाकर बच्चों को खिलाती जा रही थी। साठ वर्ष की उम्र में वो पच्चीस वर्ष की लड़की की तरह फुर्तीली हो गई थी। बहुत दिनों बाद सावन के महीने में उसके घर में बेटियों की हॅंसी गूॅंज रही थी। डिनर के लिए पूछने का विचार बना कर वह बच्चों के कमरे के बाहर पहुॅंची …
Read More »मेरा नगर मिर्जापुर-रंजना जायसवाल
विंध्य की ऊंची श्रृंखलाएं पीतल के बर्तनों की सुमधुर ठक-ठक, दरी,गलीचों के ताने-बाने में बुनते हसीन सुनहरे सपनों के मध्य से प्रवाहित होती मोक्षदायिनी, पतित पावनी, शीतल, मनोहारी गंगा के तट पर बसा एक छोटा सा शहर मिर्जापुर। मिर्जापुर शहर दक्षिण और उत्तर उत्तर मध्य भारत वाराणसी से पहले दक्षिण पश्चिम में गंगा नदी के तट पर विंध्याचल की कैमूर …
Read More »पुस्तक की जगह मोबाइल-प्रभा
‘हिन्दी दिवस प्रतियोगिता 2023 बालकृष्ण के चित्रों में उनके हाथ में सदैव बांसुरी नजर आती हैl सुदामा की कांख में पोथी नजर आती हैl पौराणिक कहानियों में हम किसी बालक का चित्र देखेंगे तो उसके हाथ में धनुष, तलवार, लखोटी, स्लेट,पाटि, बस्ता जैसी वस्तुएं नजर आएंगीl समय बदला फिर बच्चों के हाथों में खेल के साधन बल्ला, रैकिट, गेंद, सायकिल,टोपी आदि …
Read More »अपनी दुनिया-राजेन्द्र कुमार सिंह
तकरीबन दस साल के बाद गांव के बस स्टैंड पर उतरा है रामधन।जब गांव छोड़ा था तो यह सड़क जहां अब बस स्टैंड के रूप में अवस्थित है वह मात्र खंडहर था।आजू-बाजू झुग्गी- झोपड़ी से सुसज्जित अस्थाई दुकान था जिसमें सिगरेट,बीड़ी, पान,गुटखा,चाय,पकौड़ी वगैरह इत्यादि मिलता था। कभी-कभी इक्के-दुक्के सब्जी वाले भी आकर जम जाते थे। किंतु वह अपने लिए झुग्गी …
Read More »मेरा गाँव मेरा नाज-छगन लाल व्यास
हिन्दी दिवस लेखन प्रतियोगिता 2023 विक्रम संवत 1515(सन 1458) में अक्षय तृतीया, सोमवार को पांच परिवार से बसे इस ग्राम में आज करीब एक हजार से ज्यादा घर आबाद हैं।जनसंख्या का यह आंकड़ा जहाँ मन प्रफुल्लित करता है वहीं कुछ प्रश्न भी छोड़ता है कि आखिर यह आज तक शहर की श्रेणी में क्यों न आया!इसके कई कारण रहे ।यथा …
Read More »पुस्तक की जगह मोबाइल-प्रतिभा शर्मा
हिन्दी दिवस प्रतियोगिता 2023 प्रस्तावना-वर्तमान युग में विज्ञान द्वारा अनेक आश्चर्य जनक आविष्कार किए गए हैं जिसमें मोबाइल फोन का विशेष महत्व है।मोबाइल रखने और आवश्यकता से अधिक मोबाइल का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है । सकारात्मक उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने से बच्चे को कुछ हद तक फायदा हो सकता है लेकिन यह उनके …
Read More »मेरा गाँव चीरवा, उदयपुर
प्रज्ञा पालीवाल मेरा देश मेरा गाँव चलचित्र की शूटिंग चीरवा गाँव में हुई। जिससे यह गाँव प्रसिद्ध हो गया। चीरवा गाँव उदयपुर से। 8 किमी. की दूरी पर स्थित है। राजस्थान के इतिहास में सबसे पुराना अभिलेख है। इस शिलालेख के समय मेवाड़ का शासक समर सिंह था । भुवनसिंह सूरि के शिष्य रत्नप्रभसूरी ने चित्तौड़ में रहते हुए चीरवा …
Read More »