लेख-आलेख

बच्‍चों का मोबाइल प्रयोग- लक्ष्‍मी

हिन्‍दी दिवस प्रतियोगिता- नौनिहालों के हाथों में पुस्तक की जगह मोबाइल। शिक्षा जहां देश विकसित वहां हमारा आने वाला कल आज की युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है। आज के बच्चे कल का भविष्य है।बच्चो का मन स्वभाविक रूप से बहुत चंचल होता है।जैसा हम उनको करने के लिए बोलते हैं या करवाते हैं वैसा ही बच्चे सीखते हैं। बच्चो …

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सबसे कीमती चीज-सिद्धार्थ शंकर

एक जाने-माने स्पीकर ने हाथ में पाँच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार -रु39यारू की, हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा, “ये पाँच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठाना शुरू हो गए। फिर उसने कहा, “मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये।“ और …

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मेरा गांव -टड़ई कला प्रस्‍तुति पिंकी प्रजापति

“थकान के कारण रात्रि विश्राम करते हुए लोग भोर का स्वागत नहीं कर पाते”। लेकिन हमारे गांव में कोई कितना भी गहन निद्रा में हो जैसे ही मंदिर के लाउडस्पीकर से माता की आरती -“भोर भए दिन चढ़ गया रे अम्बे” की धुन कानों के रास्ते से होते हुए मस्तिष्क को भोर के आगमन की सूचना देती है। कुछ इस …

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अधिकार-चित्रा

हमारे साहित्‍य सरोज के फेसबुक पेज को लाइक व फालो करें डिमरी दरवाजे में बैठे सूनी आंखों से आंगन में खेलते बच्चे को देख रही थी, देखकर कभी-कभी वह विचलित हो जाती तथा चीखने लगती और आंखों से आंसू बहने लगते उसकी आंखें उन बच्चों में कुछ तलाशते रहती थी,तीजन बाई से अपनी बेटी की यह हालत नहीं देखी जाती, …

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वर्तमान परिदृश्य में साहित्यकारों का दायित्व :

  “अंधकार है वहाँ, जहाँ आदित्य नही है। मुर्दा है वह देश,जहाँ साहित्य नही है।” वर्तमान युग में मानवता का आकाश एक बार फिर घुटन से भर उठा है। चारों ओर अशांति व अविश्वास का वातावरण बन रहा है। ऐसी स्थिति में आज साहित्यकार भी निराशा व अनास्थाओं के कुहासे में भटकता हुआ दिखाई दे रहा है।साहित्यकार को आज फिर अपनी …

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राजनीति और नैतिक मूल्य-सलिल सरोज

  सन 1908 में गाँधी जी ने अपने विचार जनता के सामने “हिन्द स्वराज” के नाम से गुजराती में एक पुस्तक लिखकर व्यक्त किए और सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में अपने पत्र “इण्डियन ओपिनियन” में उन्हें प्रकाशित किया। गाँधी जी ने जिस स्वतंत्र भारत का सपना देखा था उसका आधार देश में केवल स्वतंत्रता दिलाना ही नहीं था, अपितु हर …

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ऑनलाइन हैं बच्चे-डॉ राकेश चक्र

यंत्र – तंत्र – सर्वत्र बच्चों को ऑनलाइन देखा जा सकता है। बच्चों का जीवन और उनकी दिनचर्या पूरी तरह बदली – बदली नजर आ रही है । पहले माता – पिता ने बच्चों को खेल – खेल में मोबाइल पकड़ाया और कंप्यूटर पर बैठाया तथा अब बिना मोबाइल बच्चों का जीवन उसी प्रकार हो गया है , जैसे पानी …

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वर्तमान समय में शिक्षकों के समक्ष चुनौतियाँ

शिक्षक दिवस पर विशेष लेख परिचय-शिक्षण को अक्सर एक उत्तम कार्य माना जाता है, और शिक्षकों को समाज में ज्ञान और प्रगति का पथप्रदर्शक माना जाता है। भारत में, जहां शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, शिक्षक देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, भारतीय विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में …

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हम भी ज़िंदा हैं-डॉ प्रिया सूफ़ी

भारत चांद पर पहुंच गया। पर क्या हमारा समाज भी इतना ही उन्नत हो पाया है? चलिए आज इसी पर विचार किया जाए। भारतीय समाज में आज भी भूत प्रेत की नौटंकी चली आ रही है। न जाने कितनी औरतें चुड़ैल घोषित कर मार दी जाती हैं और कितनी भूत द्वारा ग्रसित बोल कर ओझाओं से पिटवाई जाती हैं।नहीं मैं …

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पढ़ने में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका: प्रो अखिलेश पांडेय

मध्य प्रदेश लाइब्रेरी एसोसिएशन एवं पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में लाइब्रेरी आटोमेशन एवं रिसर्च सपोर्ट टूल्स फार एकेडमिक कम्यूनिटी विषय दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन डॉ अखिलेश पांडेय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन एवं अध्यक्षता डॉ कपिल देव मिश्रा ने की कार्यशाला के संयोजक डॉ प्रभात पांडेय सह संयोजक डॉ संदीप कुमार पाठक …

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