Monthly Archives: May 2023

फिटनेस क्यों जरूरी-डाॅ चन्द्रेश

कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -1 शारीरिक और मानसिक फिटनेस एक स्वस्थ जीवन शैली के दो महत्वपूर्ण घटक हैं। शारीरिक फिटनेस से तात्पर्य किसी व्यक्ति की बिना किसी थकान के दैनिक गतिविधियों को करने की क्षमता से है, जबकि मानसिक फिटनेस से तात्पर्य स्वस्थ और सकारात्मक मन की स्थिति को बनाए रखने की क्षमता से है। समग्र तंदुरूस्ती के लिए शारीरिक …

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मेरा मन-भाऊराव

साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -01 मेरा  मन  उतना  चंचल  है।। हिमगिरि के उत्तुंग शिखर से,गाया करती मधुरिम स्वर से,झरने  जो  झरते  झर-झर से,धारा करती ज्यों कल-कल है।मेरा   मन   उतना   चंचल  है।। वनराजा का सुनकर जब स्वर,मृग को जब भर  जाता है डर,और काँपने लगता थर–थर,उसका वह जो विस्मित पल है।मेरा  मन   उतना   चंचल है।। तेज हवा जब चलने लगती,तरु की …

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मेरा मन- सीमा

साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -01 शीर्षक– मेरा मन मेरा मन जहाज़ का पंछी  उड़ता फिरता यहाँ वहाँ  कभी पहुँच जाता बचपन में  आकांक्षाओं के उपवन में  सपनों के तुकडे चुनता मन जोड़ने की कोशिश है करता  फिर अम्मा की आवाज़ है आती  लौट आता अपने जहाज़ पर मेरा मन जहाज़ का पंछी  उड़ता फिरता यहाँ वहाँ। कभी पहुँच जाता विद्यालय वादविवाद प्रतियोगिता में  नारी स्वतंत्रता पर मैडल जीतता पति की चाय की गुहार सुन लौट आता अपने जहाज़ पर मेरा मन जहाज़ का पंछी उड़ता फिरता यहाँ वहाँ  कभी थिरकता नृत्य मंच पर कत्थक की सोलह ताल लिये मंत्रमुग्ध कर्तल ध्वनि सुनता तंद्रा टूटती बच्चों की पुकार पर लौट आता अपने जहाज़ पर मेरा मन जहाज़ का पंछी  उड़ता फिरता यहाँ वहाँ  सपनों के तुकडे लाया मन धो पोंछ कर साफ़ किये नई इबारत लिखी सपनों की पति की प्रगति, मेरी प्रगति, संतान का सुरक्षित भविष्य। अम्मा और बाबा की सेवा घर का मान ही मेरी आन। इठलाया अपनी क़िस्मत पर मन के सपने पूर्ण हुए। भूल गया उसके भी पंख हैं  अब रहता यहीं, उड़ता नही मेरा मन जहाज़ का पंछी  स्वरचित  सीमा पण्ड्या  ११, प्रशांति एवेन्यू  रुमाया होटल के सामने  इंदौर रोड  …

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गर्मी की छुट्टी-सीमा

कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 आदरणीय माँ ,चरण वंदनमहानगर की पचासवीं मंज़िल पर रहते रहते यहीं की मशीनी दुनियाँ में लिप्त हो गया। एक दिन ऑफिस से आ रहा था तब रेडियो पर एक विज्ञापन सुना- “ग्राम अनुभूति पार्क, जी हाँ, यहॉं आकर आप भूल जाएँगे प्रदूषण भरे महानगर को।स्वस्थ जलवायु, तालाब, झरनों के साथ प्राकृतिक वातावरण में बिताइये अपना …

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गर्मी की छुट्टी-अंजना

कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 बोर्ड परीक्षा का आखिरी दिन होने से बच्चे बहुत खुश थे।अमन और विनय अपने मम्मी पापा को देखकर उछल पड़े। उनके पापा ने उन्हें गले लगाते हुए कहा ” तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है। ” दोनों की मम्मी ने एक पेपर दिखाते हुए बताया – ” तुम लोगों का एक बहुत बड़े म्यूजिक टीचर की वर्कशॉप …

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मेरा मन-अंजना बाजपेई

फोटो अखंड गहमरी

कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -01 यादों के बादल पर चढ़कर,आज मेरा मन उड़ता जाए। फिर से दोहराएगा का बचपन , परी कथा किस्सों वाला। चांद सितारों से लाएगा , प्यार सभी हिस्सों वाला। बाबा की थपकी से सीखी, कोई धुन फिर गाता जाए। यादों के बादल पर….. चूरन चटनी की पुड़िया सब, बस्ते के अंदर रख लेंगे। मक्के की रोटी …

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गर्मी की छुट्टी-उपासना

कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 इकलौते बेटे के सिंगापुर बस जाने के बाद सुमित्रा ताई और अशोक जी इंदौर में अकेले पड गए थे। प्रतिदिन मंदिर जाना, सुबह-शाम घूमना और फिर बालकनी में बैठकर बाहर देखना इस तरह अपना टाइम पास किया करते थे। गर्मी की छुट्टियों में दादी-नानी के आए आस पड़ोस के नौनिहालों को देख कर सुमित्रा ताई …

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फिटनेस क्यों जरूरी-विवेक रंजन

कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -1  कहा गया है कि धन गया तो कुछ नहीं गया ,स्वास्थ्य  गया तो कुछ गया और चरित्र गया तो सब कुछ गया . यद्यपि यह उक्ति चरित्र के महत्व को प्रतिपादित करते हुये कही गई है किन्तु इसमें कही गई बात कि “स्वास्थ्य गया तो कुछ गया” रेखांकित करने योग्य है .  हमारा शरीर ही …

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गोलगप्पे खाने जैसा मजा : बातें कम स्कैम ज्यादा

गोलगप्पे खाने जैसा मजा : बातें कम स्कैम ज्यादापुस्तक चर्चा बातें कम स्कैम ज्यादाव्यंग्यकार … नीरज बधवारप्रभात प्रकाशन ,नई दिल्लीपृष्ठ .. 148 मूल्य 250 रुचर्चा … विवेक रंजन श्रीवास्तव , भोपाल बड़े कैनवास के युवा व्यंग्यकार नीरज उलटबासी के फन में माहिर मिले . किताब पर बैक कवर पर अपने परिचय को ही बड़े रोचक अंदाज में अपराधिक रिकार्ड के …

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फिटनेस क्यों जरूरी है-पुष्पराज

कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -01 हमारा शरीर प्रकृति का दिया हुआ सबसे अनमोल तोहफा है इसका ख्याल रखना आज के समय में और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है जब आज के समय में शारीरिक श्रम कम हो गया है प्रकृति ने हमारे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार बनाई है कि इसका जितना प्रयोग करें यह उतना ही फिट …

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