ये लफ्ज़ आईने हैं-कुमकुम कुमारी

हमारा बाहरी सौंदर्य कुछ समय के लिए लोगों को प्रभावित कर सकता है परंतु अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिए आवश्यक है कि हम अपने लफ्ज़ यानी शब्दों को प्रभावशाली बनाएँ। क्योंकि हमारे नहीं रहने के बाद भी  हमारी आवाज़ ही हमारी पहचान होगी। इसलिए बोलते वक्त हमें हमेशा ऐसा शब्दों का चयन किया जाना चाहिए जिससे हमारे मन की सुंदरता परिलक्षित हो ।लफ्ज़ो को मन का आईना कहा जाता है। हमारा मन कितना सुंदर है या फिर हम अंदर से कितने खोखले हैं इसका बयाँ हमारे मन  के आईने यानी हमारे द्वारा प्रयुक्त लफ्ज़ कर देते हैं।

इसलिए हमें हमेशा अपने लफ्ज़ो को सजाना होगा यानी मन को सुंदर बनाना होगा और मन को सुंदर बनाने के लिए अच्छे-अच्छे शब्दों को प्रयोग में लाना होगा। जब हम अच्छे लफ्ज़ो का प्रयोग करेंगे तो निःसंदेह हमारे चारों ओर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और हम वास्तविक में सुंदर बन पाएँगे। तो आइए हम अपने मन की आईनों को चमकाए और अपनी लफ्ज़ो को अपनी पहचान बनाएँ।

कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
योगनगरी मुंगेर, बिहार

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