किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को परिभाषित करने में उसके द्वारा प्रयुक्त लफ्ज़ो या शब्दों का महत्वपूर्ण स्थान होता है।क्योंकि ये लफ्ज़ आईने हैं, जो इंसान के चरित्र को दर्शाता है। हमारे पास कितनी डिग्रियाँ हैं या हम कितने शिक्षित हैं इसका पता कागज के बने इन प्रमाण पत्रों से नहीं बल्कि हमारे आचरण द्वारा होता है। हमारे विचार, हमारी भाषा, हमारी आवाज़,हमारे द्वारा प्रयोग में लाए गए लफ्ज़ या शब्द हमारी असलियत को बयाँ करते हैं। जब हम किसी व्यक्ति को सुनते हैं तो बिना उन्हें देखे सिर्फ उनकी आवाज को सुनकर या उनके द्वारा प्रयुक्त लफ्ज़ो से ही हम उनके चरित्र का अंदाजा लगा लेते हैं। कोई भी व्यक्ति अपने साथ अपनी डिग्रियाँ लेकर नहीं घुमता। घुमता है तो अपने लफ्ज़ो के साथ और उसके ये लफ्ज़ ही दूसरों को उसका परिचय देते हैं।
हमारा बाहरी सौंदर्य कुछ समय के लिए लोगों को प्रभावित कर सकता है परंतु अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिए आवश्यक है कि हम अपने लफ्ज़ यानी शब्दों को प्रभावशाली बनाएँ। क्योंकि हमारे नहीं रहने के बाद भी हमारी आवाज़ ही हमारी पहचान होगी। इसलिए बोलते वक्त हमें हमेशा ऐसा शब्दों का चयन किया जाना चाहिए जिससे हमारे मन की सुंदरता परिलक्षित हो ।लफ्ज़ो को मन का आईना कहा जाता है। हमारा मन कितना सुंदर है या फिर हम अंदर से कितने खोखले हैं इसका बयाँ हमारे मन के आईने यानी हमारे द्वारा प्रयुक्त लफ्ज़ कर देते हैं।
इसलिए हमें हमेशा अपने लफ्ज़ो को सजाना होगा यानी मन को सुंदर बनाना होगा और मन को सुंदर बनाने के लिए अच्छे-अच्छे शब्दों को प्रयोग में लाना होगा। जब हम अच्छे लफ्ज़ो का प्रयोग करेंगे तो निःसंदेह हमारे चारों ओर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और हम वास्तविक में सुंदर बन पाएँगे। तो आइए हम अपने मन की आईनों को चमकाए और अपनी लफ्ज़ो को अपनी पहचान बनाएँ।
कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
योगनगरी मुंगेर, बिहार
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