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कथनी और करनी-नीतू

रिया अपने मां-बाप की इकलौती संतान है। वह एक बैंक में जॉब करती है। रिया की मम्मी ने एक दिन रिया से कहा,”बेटा अब तो तुम्हारी जाॅब भी लग गई अब तुम शादी के लिए हां कर दो” रिया बोली,”मां मैं आपको और पापा को अकेला नहीं छोड़ सकती, अगर आप दोनों भी मेरे साथ चलते हो तो मैं शादी के लिए तैयार हूं”।मां बोली,”रिया तुम कैसी बात करती हो, भला कहीं मां बाप भी शादी के बाद  बेटी के साथ जाते हैं। दुनिया क्या कहेंगी। “रिया बोली,”मां मुझे कुछ नहीं पता, और हंसने लगी।”एक दिन रिया की मां बहुत खुश होती हुई रिया के पास आई और बोली,”बेटा कल तुम्हें लड़के वाले देखने आ रहे हैं। बहुत अच्छा लड़का है तुम शादी के लिए हां कर देना।”रिया बोली,”मां आपको मेरी शर्त याद है ना”।मां ने कहा,”शर्त वरत कुछ नहीं, बेतुकी बातें मत करो,बस तुम लड़का देखो पसंद हो तो हां कर देना।”विवेक रिया को देखने के लिए आता है। उसको रिया पसंद आ जाती है।

विवेक रिया से बोला,”रिया मुझे तुम पसंद हो, मैं शादी के लिए तैयार हूं। तुम्हें कुछ पूछना हो तो पूछ सकती हो।” रिया बोली ,”विवेक मैं अपने मम्मी पापा की इकलौती संतान हूं। मेरी शादी के बाद मां-पापा अकेले रह जाएंगे, मैं उनको अकेला नहीं छोड़ सकती। क्या तुम उनको भी साथ में रखने के लिए तैयार हो।” विवेक उस समय रिया की हां में हां मिला देता है। दोनों की शादी हो जाती है। कुछ दिन बाद रिया विवेक से अपनी मां पापा को लाने की बात करती है। तो विवेक यह कह कर टाल देता है कि, “देखो रिया दुनिया वाले क्या कहेंगे, और पता नहीं मेरे मम्मी पापा को कैसा लगेगा।”रिया बहुत दुखी हो जाती है और कहती है,” विवेक मैनें तो शादी से पहले ही पूछा था और तुमने हां कहा था।”तब विवेक ने कहा,”रिया वह तो मैंने वैसे ही कह दिया था। तुम मुझको बहुत पसंद थी और तुम शादी के लिए हां कर दो, मैं तुम को छोड़ना नहीं चाहता था “।

रिया रोते हुए विवेक से कहती है,” विवेक तुमने मेरा विश्वास तोड़ दिया मैं तो तुम्हें बहुत अच्छा इंसान मानती थी,सच में तुम हाथी के दांतो के जैसे हो। जैसे हाथी के दांत खाने के और होते हैं और दिखाने के और होते हैं। ऐसे ही तुम कहते कुछ और हो और करते कुछ और हो। “तब दोनों की कहासुनी को सुनकर विवेक के माता पिता कमरे में आ जाते हैं और पूछते हैं,”क्या हुआ बेटा तुम दोनों क्यों लड़ रहे हो”तब विवेक सारी बात बताता है। विवेक की बातें सुनकर माता पिता बोले, “बेटा रिया गलत नहीं कह रही है। अब जमाना बदल गया है। सोचो अगर हमें भी इस तरह अकेला रहना पड़ जाता तो क्या तुम हमें छोड़ पाते, नहीं ना। चलो,जाओ और रिया के माता-पिता को भी ले आओ। हम सब साथ में रहेंगे। हमें भी अपने साथ हंसने बोलने वाले दोस्त मिल जाएंगे।”यह सुनकर रिया अपनी सासू मां के गले लग जाती है और खुशी से रोने लगती है। तभी रिया और विवेक तैयार होकर मां पापा को लेने चले जाते हैं।रास्ते में विवेक रिया से माफी मांगता है और कहता है रिया अब मत कहना, हाथी के दांत दिखाने के और,और खाने के और होते हैं। फिर दोनों हंसने लगते हैं।

नीतू रवि गर्ग 

चरथावल मुजफ्फरनगर (उत्तरप्रदेश)

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