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अनपढ़ता की सज़ा

अरे ! राधिका के पापा जल्दी- जल्दी हाथ चलाओ ना ।बहुत काम बाकी है यह सब करके मुझे बहुत खाना भी बनाना हैं ।आखिरकार हमारी बिटिया को देखने आ रहे हैं। पिछली बार की तरह ना नहीं होनी चाहिए। रमा बोले जा रही थी। पिछली दफा तो आपके सच की वजह से हमारी बेटी का रिश्ता नहीं हुआ अबकी बार आप बस चुप रहना सारी बातें मैं करूंगी ।मैंने तो सोच रखा है ,राधिका को पूरी दसवीं पास ही बताऊंगी ।अरे ! राधिका की मां, कुछ तो भगवान से डरो ।इतनी भी झूठ मत बोलो कि आगे बात संभालनी मुश्किल हो जाए ।बाद में पछताना पड़े। तुम चुप रहो जी, रमा चिल्लाते हुए बोली। हम लड़के का मुंह पैसे से भर देंगे। भले ही शहर में पढ़ कर आया हो । हमारा सब कुछ राधिका का ही है ।राधिका इकलौती औलाद जो ठहरी हमारी।
लाड_ दुलार से पाला है हमने इसे।मेरा काम तुम्हें समझाना था बाकी तुम्हारी मर्जी ।राजू -मालकिन, साहब सही बोल रहे है ।झूठ के दम पर रिश्ता ज्यादा नहीं चलता ।चुप रह ! साहब के चमचे। जल्दी -जल्दी हाथ चलाओ।राजू चुप हो गया और काम करने लगा।

आखिरकार वह घड़ी आ ही गई जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था ।रोहन -राधिका को देखने आ गया, उसे मेहमान कक्ष में बिठा दिया गया और 50 तरह के पकवान रख दिए ।परंतु वह समझदार लड़का था । उसने कुछ नहीं खाया।आप कुछ खा लो यह सब राधिका ने बड़े प्यार से बनाया है । राधिका की मां ने कहा ।उधर सुरेश(राधिका के पापा )को खांसी आ गई ।मन ही मन बुदबुदा रहा था ।इतनी झूठ राम-राम! कितना झूठ बोलोगी भाग्यवान? रमा- राधिका को लेने अंदर चली गई और राधिका को बोली ; जैसे मैंने बोला है वैसे ही करना। हां के लिए सिर्फ सिर हिलाना ।मुंह से कुछ नहीं बोलना। हां -हां; बस भी करो मां और कितनी बार बताओगी ? कल से 50 बार बता चुकी हो । चुप रह पागल फालतू बोलती रहती है। बस एक बार तेरी इस लड़के से शादी हो जाए। राधिका को रोहन के पास बिठा दिया । रोहन जो भी सवाल करता राधिका की मां खुद उत्तर देती।जी मैं शहर में रहता हूं शादी के बाद राधिका को भी साथ में लेकर जाऊंगा।

हां- हां बेटा ले जाना राधिका दशवी तक पढ़ी है ।सिलाई ,कढ़ाई -बुनाई ,खाना बनाना आता है।पर मां मुझे तो खा खा तू चुप रह । मैं बात कर रहीं हूं ना। रोहन ने कहा ; क्या में राधिका से कुछ बात कर सकता हूं? हां पूछो, राधिका बताओ अगर मुझे महीने में ₹5000 मिले और हमारा खर्चा 4000 का हो तो तुम बाकी के ₹1000 का क्या करोगी? मैं तो सभी का सामान लेकर पूरे एक दिन में खत्म कर दूंगी राधिका ने कहा।मान लो मैं तुम्हें 5000 दे दूं और सामान आए 3000 का तो तुम्हारे पास कितने बचेंगे ?
एक भी नहीं; मैं तो तुझे वापिस दूंगी ही नहीं। चलो ठीक है! तुम्हारा पसंदीदा विषय कौन सा है? मैं तो एक ही दिन स्कूल गई थी और उसी दिन अध्यापक को मार कर आ गई थी ।राधिका की मां ने कहा ; ये क्या बोल रही है? तूने ही तो कहा था; ठीक किया जो मास्टर को मार कर आ गई । रोहन को समझते देर न लगी कि राधिका अनपढ़ है । रोहन हाथ जोड़कर बोला; जी मैं जा रहा हूं ।तो बेटा क्या हम रिश्ता पक्का समझे? आप पहले इसे पढ़ाएं। शिक्षा के बिना जीवन कैसे निर्वाह करेगी? बोल कर चला जाता है। सुरेश को भी बोलने का मौका मिल गया ।अब समझी भाग्यवान!लड़कों में खराबी नहीं। बस अपनी बिटिया को सब कुछ दिया पर जो देना चाहिए था ; शिक्षा , वह नहीं दी। शिक्षा ही असली सम्पत्ति है।

सीमा रंगा इन्द्रा
हरियाणा

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