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गर्मी की छुट्टी

“मम्मी.. ओ मम्मी… हुर्रे.. हुर्रे…”
“सुनो तो ..मेरा रिजल्ट आ गया ,और मेरे 95% अंक आए हैं कक्षा में प्रथम स्थान आया है।
“अरे वाह..वाह.. बेटा शाबाश ss ऐसे ही आगे बढ़ते रहो”! माँ सोनू को सीने से लगाते हुए बोली।
       माँ अब हम नानी के घर विदिशा चलेंगे ना?
    “हाँ बेटा जरूर”
   “और हाँ माँ मुझे छुट्टियों में करने के लिए एक प्रोजेक्ट भी दिया है जिसमें मुझे अपने दर्शनीय स्थानों का स्वच्छता के संबंध में प्रोजेक्ट तैयार करना है”।
“अरे वाह यह नंबर तुम्हें अगली कक्षा में काम आएंगे “।
पापा से पूछ कर माँ ने कहा
“बच्चों तुम अपनी प्रोजेक्ट की फ़ाइल वगैरह रख लो हम कल विदिशा चल रहे हैं”
दूसरे दिन सभी लोग ट्रेन से विदिशा के लिए निकले।
नानी और मामा उनके बच्चे उन्हें देखकर बहुत खुश हुए।
“तुम लोग अभी आराम कर लो शाम को हम सब बाढ़ वाले गणपति के दर्शन करने चलेंगे, शुरुआत विघ्नहर्ता गणपति से करते हैं”!
“वहीं पर  बेतवा नदी मैं स्नान  भी कर लेना”नानी बोली!
“अरे वाह फिर तो बड़ा मजा आएगा गणपति जी से लड्डू खाने को मिलेंगे या नहीं”? गोलू बोला!
“चटोरे …. जब करोगे खाने की बात ही करोगे” !माँ हंसकर बोली।
“पर नानी यह तो बताओ की गणेश जी को बाढ़ वाले गणेश जी क्यों कहते हैं?
    “अरे बेटा वहाँ ..एक बार बहुत भयानक बाढ़ आई थी ,परंतु  गणेश जी नदी की बाढ़ में नहीं बहे और उनकी मूर्ति सुरक्षित रही तब से उनका नाम बाढ़ वाले गणेश जी पड़ गया”।
शाम को सब  लोग गणेश मंदिर गये और जैसे ही पुल पर से निकले
गोलू बोला
“अरे राम कितनी गंदी बदबू आ रही है”।
“ऐसा लग रहा है जैसे लैब में किसी ने H2s गैस छोड़ दी हो”
नानी बोली “हाँ बेटा यहाँ पर  बदबू आती है सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है”।
“क्यों नानी”?
“अरे यहाँ पर चोर नाला जो बहता है”।
चोर नाला… ? गोलू और सोनू दोनों आश्चर्य से पूछने लगे।
 उन्होंने देखा की बेतवा नदी एकदम सूखी पड़ी है, और ऊपर खेतों से होता हुआ एक बदबूदार नाला जिसको देखकर ही उन्हें उल्टी और दम घुटने लगा, उसमें से तेज झाग उठ रहा था,वह बहकर पुल के पास इकट्ठे पानी में मिल रहा था।
वहीं लोगों ने गोभी , पत्तागोभी टमाटर,पालक और सब्जियाँ उगा रखी थी
सोनू ने पूछा “माँ इन सब्जियों को कौन खाता है?
“हम सब सब्जियों में भी  नाले का जहर धीरे-धीरे खा रहे है”।
मामा पंडित पर चिल्लाने लगे।
“अरे..क्यों बेटा मैंने तो अभी भागवत कथा खत्म की है  सारी जनता को उसका धर्म लाभ मिलेगा”।
“और यहाँ आपने यह जो झूठी पत्तल, गिलास, कटोरिया नदी में डालकर बेतवा को रुष्ट किया है उसका पाप किसे मिलेगा”?
पंडित जी का मुँह लटक गया।
सोनू ने पूछा “अंकल क्या आप इसी पानी में नहाते हैं”/
“हाँ बेटा”
गोलू बोला  “मामा जी मैं तो इस पानी में नहीं नहाउंगा” ।
सोनू भी बोला नहीं भाई इस बेतवा के पानी में नहाने से तो अच्छा है *चुल्लू भर पानी में डूब मरे*।
“पंडित जी आप तो यहाँ इतने सालों से हो अब बताओ कि यह सीवेज का गंदा पानी और खेतों के जहरीले रसायन इसमें क्यों मिल रहे हैं?
“बहन जी इसमें हमारा क्या दोष”?
सोनू ने देखा कुछ गाय और भैंस आकर उसी पानी को पीने लगी।
गोलू बोला “मैं तो नानी के यहाँ दूध भी नहीं पियूंगा” यह सबको चोरी से जहर पिला रहा है तभी तो इसे चोर नाला कहते हैं।
मामा बोले “बच्चों तुम सही कह रहे हो हम सब मिलकर इस चोर नाले को बेतवा नदी में मिलने से रोकेंगे”!
अब सब बच्चों ने तय किया कि हम इस जहर को इस नदी के पानी में मिलने से रोकेंगे और यहाँ की साफ सफाई करेंगे। उन्होंने एक दल बनाया सप्तऋषि ।
कुछ बड़े लोग भी उनके साथ शामिल हो गए थे 8 दिन की मेहनत के बाद बाढ़ वाले गणेश जी के आसपास का इलाका एकदम साफ हो गया था और उन्होंने वहाँ अपनी तरफ से एक बोर्ड भी लगा दिया था ।
*यहाँ गंदगी करने वालों को ₹500 का जुर्माना*
सब ने मिलकर कलेक्टर को ज्ञापन दिया और आसपास सब्जी उगाने वाले किसानों से भी बात की , नाले के पास *अमृत योजना *के तहत वहाँ सीवेज फिल्टर प्लांट लगाने का काम भी आरंभ हो गया था। सोनू के लिए तो एक पंथ दो काज हो गए थे।प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट भी बन गया और गर्मी की छुट्टी का सदुपयोग भी हो गया, सब ने मिलकर वहाँ श्रमदान किया।
       

सुधा दुबे भोपाल मध्य प्रदेश 94075 54249
मौलिक लिखित अप्रकाशित

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