कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01
बोर्ड परीक्षा का आखिरी दिन होने से बच्चे बहुत खुश थे।अमन और विनय अपने मम्मी पापा को देखकर उछल पड़े। उनके पापा ने उन्हें गले लगाते हुए कहा ” तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है। ” दोनों की मम्मी ने एक पेपर दिखाते हुए बताया – ” तुम लोगों का एक बहुत बड़े म्यूजिक टीचर की वर्कशॉप में रजिस्ट्रेशन कराया है। उसके लिए तीन दिन बाद हम तुम्हें हिल स्टेशन छोड़ आएंगे। तुम्हारी घूमने की और सीखने की दोनों इच्छाएं पूरी हो जाएंगी। “
” अरे नहीं, अभी नहीं…, यह सब बाद में करेंगे ” दोनों के मुंह से एक साथ निकला । ” पर क्यों तुम्हारी बहुत इच्छा थी इसलिए हमने यह व्यवस्था की है। ” अमन के पापा ने उसके चेहरे पर नजर डालते हुए पूछा। विनय के पापा भी बोल पड़े – “हां हम लोगों ने मिलकर प्लान बनाया था।”
” सॉरी पापा.. ” कहकर दोनों शांत स्वर में बताने लगे – ” हमारे टीचर ने 15 दिन का एक समर कैंप लगाया है। क्लास के सब बच्चे ज्वाइन करेंगे प्लीज..।” कहते हुए दोनों कुछ भावुक होने लगे तो बाकी बच्चों ने भी समर्थन किया – ” जी अंकल, हम सब आएंगे ..।” यह सब देख उनकी मम्मियों ने उनके हाथ पकड़ते हुए पापा की तरफ देखा तो उन्होंने कुछ निराश होते हुए हां कर दी।तो खुशी से उछल कर पापा के गले लगते हुए बच्चे बोले -” थैंक्यू..। “
पास ही स्कूल होने से बच्चों ने खुद ही पैदल और साइकिल से आना शुरू कर दिया। कैंप की फीस के साथ बच्चों ने घर से ज्यादा से ज्यादा खाने पीने का सामान लाना शुरू कर दिया। अभिवावकों को तसल्ली थी कि बच्चे व्यस्त हैं और खुश भी हैं।
समर कैंप का आखरी दिन संडे था। सबके घरों में सूचना दे दी गई कि निश्चित समय पर सब लोगों को स्कूल पहुंचना जरूरी है। अतः सभी स्कूल पहुंचने लगे।परंतु गेट पर ताला लगा देखकर सन्न रह गए।परेशान होकर आपस में चर्चा कर ही रहे थे कि नोटिस बोर्ड पर उनकी नजर पड़ी। उसमें लिखा था – ‘ आप सब स्कूल के पीछे वाले भवन में पधारें।’ यह पढ़कर घबराते हुए सब उधर चल दिए।
वहां पहुंचकर देखा कि यह तो अनाथालय है और किसी फंक्शन की तैयारी चल रही है। नजर उठा कर अपने बच्चों को तलाशते अभिभावक अंदर पहुंचे तो चपरासी ने मंच के सामने सबको कुर्सियों पर बैठाया। इससे पहले कि वह कुछ समझते मंच का पर्दा खुला और प्रिंसिपल जी ने हाथ जोड़कर बोलना शुरू किया-” क्षमा प्रार्थना के बाद गर्व से बताना चाहूंगा कि अमन और विनय ने पूरी कक्षा के साथ समर कैंप का प्लान बनाया और यहां मेहनत करके सफाई रंग-रोगन में मदद की और अपनी टैलेंट को इन बच्चों को सिखा कर कार्यक्रम तैयार कराया। जिसका फल आज आपके सामने आएगा।
उनके इशारा करते ही क्लास के सारे बच्चे एक सी ड्रेस में मंच पर हाथ जोड़कर खड़े हो गए ।यह सब देख कर अभिभावकों का गुस्सा व डर खुशी व गर्व के आंसुओं के रूप में बह निकला। इस पर बच्चों ने माफी की मुद्रा में कान पकड़े तो सब मुस्कुरा उठे।तभी टीचर ने घोषणा की-” इस समर कैंप में बच्चों की मेहनत का रिजल्ट आपके सामने प्रस्तुत है। “
मंच पर रंग बिरंगी ड्रेस में अनाथालय के कई बच्चे नृत्य करते हुए एक साथ आए तो सब खड़े होकर ताली बजाने लगे और गाना बज उठा – ” बच्चे तो भगवान की मूरत होते हैं….। “
अंजना बाजपेई
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