कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -01
शीर्षक– मेरा मन
मेरा मन जहाज़ का पंछी
उड़ता फिरता यहाँ वहाँ
कभी पहुँच जाता बचपन में
आकांक्षाओं के उपवन में
सपनों के तुकडे चुनता मन
जोड़ने की कोशिश है करता
फिर अम्मा की आवाज़ है आती
लौट आता अपने जहाज़ पर
मेरा मन जहाज़ का पंछी
उड़ता फिरता यहाँ वहाँ।
कभी पहुँच जाता विद्यालय
वादविवाद प्रतियोगिता में
नारी स्वतंत्रता पर मैडल जीतता
पति की चाय की गुहार सुन
लौट आता अपने जहाज़ पर
मेरा मन जहाज़ का पंछी
उड़ता फिरता यहाँ वहाँ
कभी थिरकता नृत्य मंच पर
कत्थक की सोलह ताल लिये
मंत्रमुग्ध कर्तल ध्वनि सुनता
तंद्रा टूटती बच्चों की पुकार पर
लौट आता अपने जहाज़ पर
मेरा मन जहाज़ का पंछी
उड़ता फिरता यहाँ वहाँ
सपनों के तुकडे लाया मन
धो पोंछ कर साफ़ किये
नई इबारत लिखी सपनों की
पति की प्रगति, मेरी प्रगति,
संतान का सुरक्षित भविष्य।
अम्मा और बाबा की सेवा
घर का मान ही मेरी आन।
इठलाया अपनी क़िस्मत पर
मन के सपने पूर्ण हुए।
भूल गया उसके भी पंख हैं
अब रहता यहीं, उड़ता नही
मेरा मन जहाज़ का पंछी
स्वरचित
सीमा पण्ड्या
११, प्रशांति एवेन्यू
रुमाया होटल के सामने
इंदौर रोड
उज्जैन
मोबाइल नंबर 9406886389
Artificial intelligence creates content for the site, no worse than a copywriter, you can also use it to write articles. 100% uniqueness :). Click Here: https://google.com/amp/s/clck.ru/32oo8j