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मौसम-गौरीशंकर

झूठ मक्कारों का बेड़ा पार है।

सत्यवादी का ही बंटाधार है।

कंटकों का है बिगड़ता कुछ नहीं

पुष्प पर मौसम की पड़ती मार है।

धनी – निर्धन के नियम होते अलग

पक्षपाती न्याय को धिक्कार है।

मिलन स्त्री – पुरुष का फैशन बना

हो रहा अब प्यार का व्यापार है।

भावना – संवेदना का मूल्य क्या

व्यक्ति का अति स्वार्थी व्यवहार है।

कभी सुख – दुख में न होता सम्मिलित

मित्र का दूरस्थ शिष्टाचार है।

भरा बटुआ हो, खरीदो शान से

नई दुनिया का सजा बाजार है।

खा रहा स्वादिष्ट व्यंजन रात – दिन

हर कोई फिर भी बहुत बीमार है।

फेसबुक पर साथियों की भीड़ है

शाब्दिक संदेश की भरमार है।

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ 226022
दूरभाष 09956087585

About sahityasaroj1@gmail.com

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