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गोपाल राम गहमरी साहित्‍यकार महोत्‍सव में मैं।

हिन्दी साहित्याकाश में अद्यतन दैदीप्यमान बाबू देवकीनन्दन खत्री के समान ही २०० से अधिक उपन्यास, ८८ अनुवाद व अन्यान्य विधा में रचना कर हिन्दी को जनमानस में लोकप्रिय बनाने में महती भूमिका निभाने वाले जिनका उल्लेख इसी सन्दर्भ में ‘तार सप्तक’ में भी किया गया है “गोपाल राम गहमरी” जी का ग्राम ‘गहमर’ जिला गाजीपुर (उ.प्र.) जो घोषित रूप से एशिया का सर्वाधिक वृहद् ग्राम भी है में ‘गोपाल राम गहमरी’ की पुनीत स्मृति में आत्मीय मित्र Akhand Gahmari जी ने एक विशाल अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक समारोह, सम्मान समारोह एवम् पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन १९ सितम्बर से २२ सितम्बर तक आयोजित किया… अखिल भारतीय से अन्तर्राष्ट्रीय बनाने के लिये अमेरिका के कैलिफोर्निया से मित्र माननीया Archana Panda जी पधारी थीं… देश के कोने कोने से पधारे साहित्यकारों में फेसबुक पर कवितालोक के संस्थापक सञ्चालक गुरुश्रेष्ठ Om Neerav जी, मुक्तक लोक के संस्थापक सञ्चालक आद. प्रो. विश्वम्भर शुक्ल जी, विगत दिनों वरिष्ठ साहित्यकार आद. रंगनाथ मिश्र जी ने जिस कार्यक्रम में सत्ता की चरणवन्दना की उसी कार्यक्रम में सम्मानित मित्र Pankaj Prasun जी, अट्टहास हास्य पत्रिका के सम्पादक अनूप श्रीवास्तव जी, मित्र हरीश लोहुमी जी, मित्र Rahul Dwivedi Smit जी लखनऊ से, मित्र मनोज मानव जी बिजनौर से, हिन्दी की सेवा ओ बी एम बेवसाइट के माध्यम से सतत कर रहे संस्थापक सञ्चालक मित्र Er Ganesh Jee Bagi जी पटना (बिहार) से, प्रसिद्ध कहानीकार गिरीश पंकज जी सम्भवतः दिल्ली से, प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चन्दर जी दिल्ली से, दीदी Nilam Srivastava एवम् मित्र Samir Parimal जी सीवान (बिहार) से, मित्र Dheeraj Srivastava जी मनकापुर (उ.प्र.) से, मित्र सागर प्रवीण जी सूरत (गुजरात) से, मित्र Mahendra Bhishma जी एवम् मित्र माननीया Githika Vedicka जी इन्दौर से, माननीया रमा वर्मा जी नागपुर से, मित्र Suresh Goswami Sureshji जी जयपुर से, नवोदित जी चित्रकूट से, प्यासा अञ्जुम जी जम्मू से, मित्र Kamlesh Dwivedi जी जो प्रख्यात सञ्चालक भी हैं कानपुर से, माननीया Pramila Arya जी कोटा (राजस्थान) से, साहित्यकार व यू जी सी नेट परीक्षा के विशेषज्ञ डॉ. संदीप अवस्थी अजमेर (राजस्थान) से, विजय मिश्र दानिश जी एवम् मैं भोपाल (म.प्र.) तथा अनेक मित्र साहित्यकार जिनका नाम स्मरण नहीं कर पा रहा हूँ ने कार्यक्रम को गरिमामयी कर अविस्मरणीय बना दिया…
गहमर के ही मित्र कवि मिथिलेश गहमरी जी से भेंट उपरान्त हृदय उनके व्यवहार व उनकी विद्वता जो उनके सञ्चालन व काव्यपाठ से प्रकट हुयी से गदगद हो गया… स्मृति में स्थायी हुये हैं वे… उन्हें विस्मृत करना कठिन है…
अनेक विज्ञजनों के साथ भोपाल की माँ स्वरूपा माननीया कान्ति शुक्‍ला जी को हिन्दी साहित्य की सेवा व संगीत हेतु स्व. सोना देवी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया… आपके मित्र को इस कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य के सम्वर्धन हेतु स्व. इन्द्रदेव सिंह सम्मान से सम्मानित किया गया अतिथि कवि दानिश जयपुरी जी भोपाल को भी मेरे समकक्ष ही सम्मानित कर मान दिया गया…
इस अवसर पर देश के चुनिन्दा कवियों की रचनाओं का एक निःशुल्क साझा संकलन “तेरी यादें” भी विमोचित किया गया जिसमें मेरे भी एक गीत को स्थान देकर मान दिया गया है…

गोपालराम गहमरी की माटी माथे पर लगा धन्य हुआ हूँ… मित्र अखण्ड गहमरी जी का प्रेम पा धन्य हुआ हूँ… अनेक मित्रों व गुरुजनों के समागम से धन्य हुआ हूँ… बहुत बधाई व शुभकामानायें.

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