यदि आप एक स्क्रिप्ट राइट हैं तो आपके लिए है इतिहास बनाने का एक शानदार मौका। गाजीपुर गहमर के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर मैगर सिंह के जीवन के एक मुख्य भाग पर एक डाकुमेंट्री फिल्म साहित्य सरोज पत्रिका द्वारा बनने जा रही है। फिल्म की कहानी का एक भाग यहॉं दिया जा रहा है, आपको उस पर स्क्रिप्ट लिखना है, डायलाॅग लिखना है। शूट कैसे हो हो दिशा निर्देश देना है। यदि आपकी स्क्रिप्ट अच्छी रही तो फिल्म में स्क्रिप्ट लेखन में आपका नाम दिया जायेगा, आपको सम्मनित किया जायेगा और आपको पुरस्कृत किया जायेगा।
कहानी जिस पर आपको स्क्रिप्ट लिखनी है नीचे दिया हुआ है।

गहमर गांव के सपूत वीर मैगर सिंह का नाम इतिहास में काफी गर्व से लिया जाता है। गहमर के किसान भंजन सिंह तथा धनेशा के घर 1820 में जन्मे मैगर सिंह शुरू से ही स्वाभिमानी थे। उन दिनों नील की फैक्ट्री गहमर, भदौरा, दिलदारनगर में स्थापित थी। गहमर नील फैक्ट्री को अंग्रेज राबर्ट स्मिथ चलाता था। उसके उत्पीड़न से आसपास के किसान एवं आम जनता परेशान थी। इसी दौरान चौसा के पास राजपुर गांव में नील फैक्ट्री के मालिक की हत्या कर दी गई। इसके बाद मैगर सिंह के नेतृत्व में लगभग तीन सौ विद्रोहियों ने राबर्ट स्मिथ के खिलाफ बागी अभियान छेड़ने का फैसला कर लिया। तीन जून 1857 को उनका दल गहमर पहुंचा। इसके पूर्व ही उनके भय के कारण राबर्ट स्मिथ भाग कर बिहार के बक्सर चला गया। अंग्रेजी सेना के दबाव के चलते मैगर सिंह नेपाल चले गए। अब मैगर सिंह के विद्रोह के कारण उन्हें पकड़वाने के लिए छह हजार का इनाम घोषित हुआ। उनके दोनों पुत्रों भिरगुन सिंह और संग्राम सिंह को अंग्रेजों ने अपने गिरफ्तार कर मार दिया। उसके उपरांत मेगर सिंह ने देश वापसी के बाद 27 नवंबर 1860 में उन्होंने बनारस के स्पेशल जज की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उनको गाजीपुर जेल में पीपल के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी गई थी।
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