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प्रहार-शीला की कहानी

जब से रामदयाल जी की पत्नी का स्वर्गवास हो गया और वह अपने दोनों बेटों के यहां रहने लगे तब अक्सर बेटों के घर में उनकी पत्नियों से तकरार होती रहती थी पर वह समझ नहीं पाते थे कि आखिर क्या बात है? रामदयाल जी के दो बेटे किशन और मोहन एक बेटी राधा है, बच्चों के शादी विवाह हो चुके हैं और सब अपने-अपने घर में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।परंतु बेटों के घर में अशांति का माहौल अधिकतर रहता है, पति पत्नियों में अक्सर तकरार होती रहती है,”कारण पत्नी की मृत्यु के बाद रामदयाल जी छय,छय महीने दोनों बेटों के घर में रहते हैं, और जहां पर रामदयाल जी रहते हैं वहां उनकी बेटी राधा उनसे मिलने आती है जो बहुओं को गवारा नहीं होता।क्योंकि रामदयाल जी ने अपनी जायदाद की वसीयत तीनों बच्चों को बराबर बराबर कर दी है।जिसके अनुसार तीनों बच्चों को बराबर का हक मिला है, बहुओं का कहना है जब हक बराबर है तो कर्तव्य भी तो बराबर होना चाहिए राधा का भी कर्तव्य है कि वह पिताजी को अपने साथ भी रखें, उनका कहना है राधा छुट्टियों में यहां आकर रहती है जहां पर पिताजी होते हैं तो वह बहू अपनी छुट्टी मनाने कहीं नहीं जा पाती।”बहुये कहती हैं जब अधिकार बराबर मिला है तो कर्तव्य बराबर निभाओ”राधा को भी पिताजी को अपने पास रखना चाहिए और तीज त्यौहार अवसर काज हमारे घर आए उनका स्वागत है। इन्हीं बातों के झंझट से निपटने के लिए बेटों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

बड़ा बेटा किशन बोला रामदयाल जी से पिताजी आज आपको कोर्ट चलना है जल्दी तैयार हो जाइए। रामदयाल जी बोले क्यों? किशन बोला आपने जो बसीयत की है हम भाइयों ने उसी के लिए याचिका लगाई है।उसी की आज कोर्ट में सुनवाई है। रामदयाल जी बोले उसमें ऐसा क्या है जो तुम लोगों ने कोर्ट में याचिका लगा दी मैंने तो तीनों बच्चों को बराबर बराबर का हक दे दिया है फिर याचिका क्यों? किशन बोला आप कोर्ट चलिए् वहां सब पता चल जाएगा।कोर्ट के कार्रवाई शुरू हुई”जज साहब ने कहा किशन और मोहन की याचिका पर कोर्ट ने यह फैसला लिया है कि जब पिता ने अपने बच्चों को बराबर बराबर का जायदाद में हक दे दिया है तो बच्चों का भी कर्तव्य है कि वह भी बराबर अपना फर्ज निभाएं”। इसलिए कोर्ट रामदयाल जी को यह आदेश देता है कि उन्हें अपने तीनों बच्चों के घर चार,चार माह रहना चाहिए । यह सुनकर रामदयाल जी के सीने पर “ऐसा लगा कि किसी ने हथौड़े का “प्रहार “कर दिया हो अब क्या मुझे बुढ़ापे में बेटी के घर रहना पड़ेगा? राधा भी आश्चर्यचकित होकर जज साहब को देखने लगी, और उसे वास्तविकता समझने में देर नहीं लगी।

रामदयाल जी घर आए और पत्नी की फोटो के सामने बैठे गये, तुमने कुछ सुना, आज कोर्ट में क्या हुआ है?आज जज साहब ने बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया है कि मुझे तीनों बच्चों के यहां चार,चार माह रहना होगा। मैं यह बात कैसे सहन करूं मेरे सीने पर जज साहब के हथौड़े का प्रहार ऐसा लग रहा है कि मुझ से कह रहे हो”आर्डर ऑर्डर”काश यह सुनने से पहले तुमने मुझे अपने पास क्यों नहीं बुला लिया। राधा की आवाज सुनकर उनकी तंद्रा भंग हुई, पिता जी आप किस बात से परेशान हैं, जज साहब ने सही ही तो कहा है। जब आपने मुझे भाइयों की तरह पढ़ाई कराई ऊँंची शिक्षा  दिलाई, भाइयों के समान बराबर के अधिकार भी दिये तो मुझे भी भाइयों की तरह अपना कर्त्तव्य भी निभाना चाहिए, मेरा भी कर्त्तव्य है कि आपकी देखभाल कर करूं। अब आप जल्दी से तैयार हो जाइए मैं आपको अपने साथ ले चलूंगी, आजकल बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं मानता। रामदयाल जी बोले मैं तेरा कन्यादान कर चुका हूं अब तेरे घर रहने पर मुझे आप लगेगा?

राधा आपकिस जमाने की बात कर रहे है ?यह सब बेकार की बातें हैं, आज जब बेटा बेटी को जायदाद में बाबर का हक़ मिला है तब कर्तव्य भी बराबर निभाना चाहिए किस ने कह दिया कि बेटी कन्या दान करने से पराई हो जाती है, पर आप ने तो दूसरे का घर बसाने के लिए उपकार किया है।रामदयाल जी बोले देख बेटा यह तेरी बड़ी बड़ी बातें मेरे समझ के बाहर हैं। राधा बोली यदि हम बच्चों ने अपना कर्तव्य  नहीं निभाया तो हमें पाप जरूर लगेगा।रामदयाल जी बोले अच्छा एक बात बता, यदि मेरी मृत्यु तेरे घर पर हो गई और तेरे भाई नहीं आए तो मुझे कंधा कौन देगा मेरा किर्या कर्म कौन करेगा।राधा बोली आजकल यह अधिकार बेटी को भी मिल गया है परंतु आप ऐसी बातें मत करो मेरे भाई ऐसे नहीं हैं,अब आप आगे क्या होगा यह सब नहीं सोचिए, आप मेरे साथ चल रहे हैं तैयारी कर लीजिए। रामदयाल जी बोले आज तू बड़ी बड़ी बातें कर रही है तुमने अपने भाइयों से क्यों नहीं बात की यह सब बातें घर पर बैठकर भी हो सकती थीं फिर कोर्ट कचहरी जाने की क्या जरुरत थी? राधा बोली घर पर बात करने का असर कुछ और होता  और लड़ाई झगड़ा भी हो सकता था इससे तो कोर्ट ने मसला शांतिपूर्वक सुलझा दिया, जोभी हुआ है भविष्य के लिए अच्छा ही हुआ है। मुझे भी तो भाभियों का दर्द समझना चाहिए, मायका तो भाई भाभी से ही सलामत रहता है।

राधा ने अपने पति श्याम को फोन लगाया और यहां मायके में जो कुछ भी घटित हुआ उसके बारे में विस्तार पूर्वक बताकर उनसे उनकी राय मांगी।श्याम ने सोचा चलो ठीक है उनके आने से मेरी कुछ जिम्मेदारियां भी कम हो जाएंगी जैसे बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना बाजार का छोटा मोटा काम वह कर सकते हैं और और अपने विचारों को राधा को अवगत कराया। राधा बोली मेरे पिता भी हमारे घर में सम्मान पूर्वक रहेंगे यही सोच कर मैं अपने साथ लाने को तैयार हुई हूं? नहीं तो मैं शहर के अच्छे ओल्ड एज होम मैं 4 माह रखूंगी और उनकी देखभाल भी किया करूंगी, पिता ने जो जायदाद मुझे दी है वह मैं उनके ऊपर ही खर्च करूंगी, वह मेरे घर में अपनी मनमर्जी के माफिक रहेंगे उन्हें जो काम करने का मन हो करें अथवा नहीं? श्याम ने उत्तर दिया ठीक है “तुम जैसा चाहो”। श्याम यह सोचने में मजबूर हो गए कि कहीं बुढ़ापे में हमारी भी यही स्थिति न हो, हमारे भी एक बेटी और एक बेटा है। “कहते हैं कि इतिहास दोहराता है”। राधा से फोन पर बात करके शाश्वत हो गए। राधा को पति की बात अच्छी लगी कि समय के साथ सबको बदलना पड़ता है सुखी जीवन व्यतीत करने के लिए

श्रीमती शीला श्रीवास्तव

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मध्य प्रदेश पिन नं 46 20 10

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