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दिल की बात-विजयानंद विजय

कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता – 02 गीत शीर्षक – दिल की बात

एहसासों की तपिश लिए,

मैं ढूँढ़ूँ  साँसों-साँसों  में।

बैठे – बैठे  देख  रहा हूँ,

ख़्वाब तुम्हारी आँखों में।

यादों  के  रपटीले  पल,

जब अपनी ओर बुलाते हैं।

कतरा-कतरा घुल जाता,

मधुमास तुम्हारी आँखों में।

सपनों की उन गलियों में,

मन यायावर-सा फिरता है।

मिल जाता  है  जीने का, 

अंदाज़ तुम्हारी आँखों में।

एहसासों की इस वादी में

तेरी ही खुशबू बसती है।

इस क्लांत-श्रांत मन-उपवन का

चिर हास तुम्हारी आँखों में।

तुमसे मिलकर जीवन की,

सारी उलझन मिट जाती है।

मिलता है, इस जीवन का,

विस्तार तुम्हारी आँखों में।

तुम्हीं बता दो, कैसे भूलूँ,

उन उजियाली यादों को।

बिन बोले, सब कहने का,

अभिप्राय तुम्हारी आँखों में।

– विजयानंद विजय
पता –  आनंद निकेत 
बक्सर (बिहार) – 802103

ईमेल – vijayanandsingh62@gmail.com
फोन  – 9934267166

About sahityasaroj1@gmail.com

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