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दिल की बात-डॉ वर्षा महेश

कमलेश द्विवेदी काव्‍य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात।
निर्जन मन की आशा तुम

कोरे कागज़ की जिज्ञासा तुम

तरस रहा मन मीत मिलन को

इस पलाश की अभिलाषा तुम!

बरसों से है मन की प्यास बड़ी

दूर किनारे  प्रीत की नांव खड़ी 

जलतरंग है मन का सूना- सूना 

बूंदें  अब तक सागर से नहीं मिली

स्वेत वर्ण जीवन का रंगवासा तुम

इस पलाश की अभिलाषा तुम!

मेरी अभिव्यक्ति तुमको है भाती

तुम पढ़ लो न प्रिये मन की पाती

शब्दों से कितना,और,क्या समझाऊं

तुम समझो मौन मेरा, तो मान जाऊं

प्रेम की सहज,सरल परिभाषा तुम

 इस पलाश की अभिलाषा तुम!

प्रस्तुति

डॉ वर्षा महेश
आईटी बॉम्बे,पवई
9987646713

About sahityasaroj1@gmail.com

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