करनी होगी जंग
दहशत भरकर दुनिया में जो,
करते हैं जीवन बेरंग।
करनी होगी उनसे जंग।
डाल गले में पट्टा घूमें,
लगता जैसे धर्म अफीम।
गर्हित सोच बवंडर लाती,
घूमें बच्चे बने यतीम।
जो मजहब की पगड़ी बाँधे,
चले न कोई उनके संग।
वहशी लोगों के प्रति जिनके
उमड़ रहा है दिल में प्यार,
ऐसे लोगों को नरता का,
माना जाता है गद्दार।
मिलकर उन्हें सिखाना होगा
दुनिया में रहने का ढंग।
कोई गद्दी बचा रहा है,
पाना चाहे कोई ताज।
बस धरती के भूखे हैं सब,
करे न कोई दिल पर राज।
रास जिन्हें आता जीने का,
खास नज़रिया अपना तंग।
करनी होगी उनसे जंग।।
(2)
राजमार्ग से
प्रश्न कर रही,
गाँवों की पगडंडी।
कब पहुँचेगा
मेरे द्वारे,
यह विकास पाखंडी।
बूढ़े गाँवों में
दिखता है,
सुविधाओं का टोटा।
बच्चे मार रहे
तख्ती पर,
अब तक बैठे घोटा।
गुमसुम देख रहे
दादा जी,
पहने मैली बंडी।।
किंशुक जैसे
प्यारे वादे,
मन को हैं बहलाते।
घनी अँधेरी
बस्ती में पर,
नहीं उजाले लाते।
सुलग रही है अरमानों की,
धीरे-धीरे कंडी।।
चौपालों की
आँखों से है,
गायब सारी शोखी।
बिना आग के
हुक्का बैठा,
करे न बातें चोखी।
राजनीति का
दल-दल गाड़े,
द्वारे- द्वारे झंडी।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय
पी जी टी ( हिंदी)
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