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प्यार परीक्षा- सिद्धार्थ

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कहते हैं उपदेश देने में, दुसरों से उसका पालन करवाने में, और खुद उसका पालन करने में काफी अंतर होता है ।ये सौ प्रतिशत सच है ।हमारे इस कहानी के नायक #किशन और नायिका #सौम्या के साथ भी यहीं हुआ ।दोनों के मिलने की और उनके दोस्ती होने की कहानी में जो उतार चढ़ाव आया वो किसी भी हिंदी धारावाहिक की कहानी से कम नहीं रहा।  किशन, 23 साल का एक हसमुख, मिलनसार, दोस्तों के लिए जान तक हाज़िर करने वाला लड़का था ।पढ़ने में कुछ ज्यादा अच्छा तो नहीं था परन्तु दिमागदार बहुत था ।दोस्तों पे जान छिड़कना, अकेले बैठ के ख्यालों के समंदर में गोते लगाना, जिद पे अड़ के किसी काम को पुरा करना, इश्क़ से नफरत करना और अपने दोस्तों के ब्रेकअप करवाना, ये उसके आदतों में शुमार थे ।वो अक्सर कहा करता था।
“जिसने किया लड़कियों पे भरोसा, अक्सर उसने इस निर्णय को कोसा” उसका ये मानना था की लड़कियाँ भरोसे के काबिल नहीं होती हैं ।हालांकि मेरा भी यहीं मानना है, पर अभी कहानी की बात करते हैं ।किशन के दिल अज़ीज़ दोस्तों में से एक था, #रूद्र ।रूद्र में वो सारी खुबीयां थीं, जो कोई भी लड़की अपने ब्वॉयफ्रेंड में देखना चाहेगी ।स्मार्ट, हैंडसम, कूल और इंटेलिजेंट बंदा था रूद्र ।किशन से उसकी दोस्ती करीब 10 साल पुरानी थी ।दोनों की दोस्ती के काफी चर्चे होते थे ।कोई उन्हें जय-वीरु कह के बुलाता तो कोई विक्रम-बाला ।पर इधर कुछ दिनों से किशन कुछ नोटिस कर रहा था ।रूद्र का ध्यान अब कहीं और था ।न वो इससे मिलने आता था, और न हीं कई दिनों से इसे फोन भी कर रहा था ।कोशिश करने पर पता चला कि किशन का यार अब किसी और का प्यार बन चुका था ।उसपे आशिकी का परवान कुछ ऐसा चढ़ा था कि अब वो अपने भाई जैसे दोस्त के लिए भी समय नहीं निकाल पा रहा था| ये सब जानकार की रूद्र किसी लड़की के प्यार के जाल में पड़कर उससे दूर होता जा रहा है, किशन का मन खिन्न हो उठा, वो मन हीं मन बोल पड़ा, “आज तक कितने लड़कों के रिलेशनशिप मैंने तोड़े, पर मुझे क्या पता था कि सांप मेरे आस्तीन में हीं है ।कुछ तो करना पड़ेगा।”
अब किशन के जीवन का एक हीं लक्ष्य रह गया, कैसे भी कर के रूद्र का ब्रेकअप करवाना ।वो उस लड़की को अब अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानने लगा था ।किसी प्रसिद्ध विचारक ने कहा है, “शत्रु को यदि हराना हो, आप उसके मित्र बन जाइए, वो खुद ब खुद हार जायेगा|” अब रूद्र से उसने धीरे धीरे करके उस लड़की के बारे में सब पता कर लिया ।नाम #दिव्यांशी खुबसुरती ऐसी जिसके सामने स्वर्ग की अप्सराएँ भी पानी भरती नजर आयें ।रूद्र और दिव्यांशी की जोड़ी को जैसे साक्षात भगवान शिव और माँ पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त था ।उन्हें देखकर एक बार तो किशन का भी मन बदल गया, पर अगले हीं पल उसे अपने उद्देश्य का एहसास हुआ ।और वो लग गया इन दोनों के संबंध विच्छेद के तरिके ढुंढने में।रूद्र ने दिव्यांशी को किशन के बारे में बताया और वो इसे अपना भाई मानने लगी ।और किशन भी लग गया उसके भाई का अभिनय करने में ।बातों बातों में पता चला दिव्यांशी की एक छोटी बहन भी है #सौम्या  ।सौम्या का स्वभाव बिलकुल किशन के स्वभाव से मैच खाता था ।वो भी ब्रेक अप कराने में महारथी थी, पर बेचारी की जब अपनी बड़ी बहन हीं प्यार के राह में निकल पड़ी तो उसे कुछ सूझ हीं नहीं रहा था। ” सीधे को सीधा भावे है। खल, खल से लिपट हीं जावे है।”
किशन और सौम्या के एक हीं लक्ष्य ने उन्हें मिला हीं दिया ।और दोनों लग गये रूद्र-दिव्यांशी की अद्भुत जोड़ी को तोड़ने में| सौम्या और किशन दोनों हीं प्यार, इश्क़ और मोहब्बत जैसी चीजों में विश्वास नहीं रखते थे, और यहीं वजह थी जिससे वो दोनों रूद्र और दिव्यांशी को भी अलग करवाना चाहते थे ।सौम्या ने फेसबुक पर फेक अकाउंट बना कर रूद्र को मैसेज भेजा ।जब रूद्र ने वो मैसेज किशन को दिखाया, तो किशन ने कहा, ” छोड़ ना यार, मुझे तो ये दिव्यांशी की चाल लगती है|” “नहीं यार दिव्यांशी ऐसा नहीं कर सकती, वो मुझसे प्यार करती है”- रूद्र ने थोड़ा झुंझलाते हुए जवाब दिया ।” तेरी बात सच है रूद्र पर लड़कियों का कोई भरोसा नहीं, दिव्यांशी भी है तो लड़की हीं|” अब किशन, रूद्र के दिमाग में शक का एक छोटा वायरस डाल चुका था, जरूरत थी तो बस उसके फैलने की ।और फिर एक बना बनाया रिश्ता बली की वेदी चढ़ जाता ।और इन सबकी जिम्मेदारी होती किशन और सौम्या की जिन्हें प्रेम से सख्त नफरत था।
 खैर उस दिन शाम को जब दिव्यांशी का कॉल आया तो रूद्र बिना किसी वजह हीं उसपे गुस्सा करने लगा ।किशन की बातें उसके दिमाग में घर कर गई थी ।दिव्यांशी को पता भी नहीं चला की वहाँ हो क्या रहा है ।रूद्र को इस बात की चिढ़ थी कि दिव्यांशी को उसपे भरोसा क्यों नहीं है, उसे चेक करने की क्या जरूरत है ।दिव्यांशी को उस फेक आईडी के बारे कुछ भी पता नहीं था ।इधर गुस्से में रूद्र ने फोन काट दिया ।दिव्यांशी ने कई बार फोन लगाया, पर रूद्र ने हर बार काट दिया ।अब दिव्यांशी की आंखों से उसके प्यार का तिरस्कार आंसू बनकर बहने लगा ।सौम्या वहीं पे थी, जले पर नमक छिड़कने के लिए ।”क्या दीदी आप भी, बच्चों जैसे रोने लगती हो ।जब उन्हें आपकी फिक्र नहीं तो आप क्यों फिक्र करती हैं ।मुझे पता है लड़के ऐसे हीं होते हैं, उन्हें कोई और मिल गई होगी” – सौम्या के ये शब्द दिव्यांशी के दिल पर आग के गोले जैसे बरस रहे थे ।वो रोते रोते वहाँ से उठकर दुसरे कमरे में चली गई, पर गलती से उसका मोबाइल वहीं छुट गया, और ये सौम्या के लिए सोने पे सुहागा जैसे था ।उसने रूद्र को दिव्यांशी के नंबर से मैसेज किया, ” इतनी हीं नफरत है मुझसे तो मुझे ब्लॉक क्यों नहीं कर देते|” रूद्र तो वैसे भी गुस्से में था, बिना सोचे समझे उसने ब्लॉक कर दिया ।अपनी इस सफलता पर सौम्या और किशन ऐसे खुश थे जैसे कि उन्होंने किसी जंग को जीत लिया हो ।पर उनकी ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं चली ।इश्क़ के सूरज ने, गुस्सा रूपी बादल को हटाया और चल पड़ा इस रिश्ते को फिर से रौशन करने ।क्रोध शांत होने पर रूद्र ने वापस दिव्यांशी को अनब्लॉक किया, माफी मांगी और फिर से उनके प्यार की पुरानी कहानी शुरू हो गई ।पर कहते हैं-
“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। जोड़न से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाय।।”
रूद्र और दिव्यांशी का रिश्ता फिर से जुड़ तो गया था, पर वो मिठास, वो भरोसा अब रह नहीं गया था ।छोटी छोटी बातों पर झगड़ा करना, एक दुसरे पे नाराज हो जाना, और ब्लॉक, अनब्लॉक ये तो लगभग रोजाना का काम हो गया ।इधर सौम्या और किशन खुश थे की वो अपने काम को बखूबी अंजाम दे गये हैं ।रोज रोज के होते इन झगड़ों ने उन दोनों के रिश्ते रूपी दिवाल में सेंध का काम किया ।वो दिल जिनमें सिर्फ वो दोनों हीं रहते थे, में किसी तीसरे के आने का भी रास्ता बनने लगा था, और हुआ भी ऐसा हीं| अंकित, हाँ अंकित हीं तो नाम था उसका, इस लवस्टोरी के बीच में अलग हीं ट्विस्ट लाने वाला था वो ।कहानी कुछ समय के लिए रोककर एक बात बता दूँ आप लोगो से की ये जो किशन, रूद्र, सौम्या, दिव्यांशी और अंकित हैं ये सारे कैरेक्टर काल्पनिक हैं, इनमें से किसी एक का भी किसी के जीवन से संबंध होना मात्र संयोग हो सकता है और कुछ नहीं ।चलिए वापस चलते हैं कहानी की ओर, अंकित का इस कहानी में आना आकस्मिक नहीं था ।वो तो इस कहानी के शुरू होने से पहले उपस्थित था ।पर उसकी उपस्थिति पहले इतनी मजबूत नहीं थी, जितनी की अब, अब तो वो दिव्यांशी के प्यार के मामले में रूद्र का कॉम्पिटिटर बन चुका था ।ये अंकित, दिव्यांशी का क्लासमेट था और उसके साथ बचपन से हीं पढ़ता आया था ।वो काफी पहले से दिव्यांशी को पसंद करता था ।पर वो सिर्फ उसे अपना दोस्त मानती थी ।थोड़ा बड़ा होने पर हिम्मत जुटा कर उसने एक बार प्रपोज भी किया, पर रूद्र की जिंदगी में आ जाने के कारण दिव्यांशी ने उसे मना कर दिया था ।पर अब जबकि रूद्र के साथ उसके रिश्ते की नींव डगमगाने लगी थी, तो अंकित का सहारा बन के आना लाजमी था ।कहते हैं न डुबते को तिनके का सहारा, अंकित, उस रिलेशनशिप में डुबते दिव्यांशी के लिए तिनके का काम कर रहा था|। अब दिव्यांशी ने भी रूद्र को पहले की तरह भाव देना बंद कर दिया ।अगर वो गुस्सा होके फोन काट भी देता तो वो कॉल बैक नहीं करती थी ।करती भी क्यों, उसके फिलिंग्स को संभालने के लिए एक नया सहारा जो मिल गया था ।स्थिति बद से बदतर होती गई ।इधर सौम्या और किशन को कहानी में अंकित के इंट्री की कोई खबर नहीं थी ।वो तो बस ये जान के खुश थे की चलो कैसे भी कर के ये रिश्ता अब टूटने वाला था।
एक बार जब रूद्र ने किसी व्यस्तता के कारण दिन में फोन नहीं किया, तो दिव्यांशी को गुस्सा आ गया ।ये गुस्से का आना तो सिर्फ बहाना था, असली मकसद था रोज की किचकिच से पिछा छुड़ाना ।मौका मिला, ब्लॉक किया, और भुलने लगी रूद्र को, अपनी कहानी के नये नायक के आने से वो रूद्र के अहसास तक को भूल जाना चाहती थी ।इधर बेचारा रूद्र, उसने सौम्या को मैसेज करके सिचुएशन को संभालने को कहा, सौम्या को जब पता चला तो उसने सबसे पहले ये खुशखबरी किशन को बताया, और फिर रूद्र के मैसेज का रिप्लाई भी नहीं किया । लगभग दो तीन हफ्ते बाद जब किशन रूद्र से मिला, तो उसने सबकुछ जानकार, अनजान बनते हुए, पिन मारा- ” और भाई दिव्यांशी कैसी है, उसके चक्कर में तु तो मुझे भुल हीं गया|” इतना सुनना था कि रूद्र, उसे खिंचकर गले से लगाते हुए, रो पड़ा ।किशन अवाक् खड़ा रह गया, वो अपने कंधे पर रूद्र के आंसू की गर्मी को महसूस कर पा रहा था ।सारे दु:ख, सारी घुटन, सब जो कि अब तक रूद्र के दिल में दफन थे, आज अपने कद्रदान को सामने पा, आंखों के रास्ते, उसके कंधों पर चुने लगे थे ।किसी ने कहा है।
महसूस करो तुम, दिल का दिल से रूठा होना।
बहुत बुरा होता है, मन का, टुटा होना।।
रूद्र के आंसू, किशन के कंधे को तो गीला कर हीं रहे थे, साथ हीं साथ उसके मन की कठोरता पे भी चोट कर रहे थे ।उसने अब से पहले कभी भी रूद्र को ऐसे फूट फूट कर रोते नहीं देखा था ।हर वक़्त, हर जगह बिना किसी डर के भीड़ जाने वाला, आज उसके सामने अपने इश्क़ के टुटने के डर से सहम सा गया था ।वो मजबूत पहाड़ जो किशन के लिए कई वार बिना एक बार उफ़ किये झेल गया था, आज जब दिल की बारी आई तो पौधे से टूटे फूल की तरह बिखर गया था ।आखिर क्या मिला उसे उसका ब्रेक अप करवा के, उसे किसने हक़ दिया था दो प्यार करने वालों के बीच में दरार डाले, ये सारी बातें अब किशन के दिल को कचोटें जा रहीं थीं ।किशन ने रूद्र को अपने कंधे से संभाला, उसके आंसू पोछे और उसे उसके घर ले गया ।अब उसके मन में ग्लानि के साथ साथ एक दृढ़ संकल्प भी था ।ग्लानि इस बात की कि उसका जिगर जैसा दोस्त उसके अपनी करतूतों की वजह से आज रो रहा था, और संकल्प इसका की चाहे जो भी हो, अब फिर से रूद्र दिव्यांशी को एक कराकर हीं दम लेगा ।उसे कहाँ पता था की उसके संकल्प के रास्ते में कोई अंकित राहू बनके बैठा था।
                  इधर अंकित और दिव्यांशी की कहानी भी आगे बढ़ रही थी, वो रात भर फोन से बात करने में लगे रहते ।और अब तो सौम्या को भी इस बारे में पता चल चुका था ।पर दिव्यांशी के दिल में हमेशा, रूद्र की याद फड़कती रहती, असली प्यार तो उसका रूद्र हीं था, अंकित तो बस रूद्र का विकल्प था ।पर दिल को बहुत कठोर करके वो रूद्र की यादों को अपने दिल से निकालने की नाकाम कोशिश जारी रखे हुए थी ।खैर, एक दिन अंकित ने दिव्यांशी को मिलने के लिए बुलाया, पहले तो दिव्यांशी ने मना किया, पर उसके कई बार कहने पर वो भी मिलने के लिए तैयार हो गई ।जगह और टाइम फिक्स हुआ ।लाल कपड़ो में दिव्यांशी बिल्कुल एक गुड़िया जैसी लग रही थी, मिलने वाले जगह पे पहुंची तो वहाँ अंकित पहले से हीं इंतजार कर रहा था, उन दोनों के अलावा उस जगह पे और कोई नहीं था ।काफी देर तक इधर उधर की बातें होती रहीं, तभी अंकित ने उसका हाथ पकड़ना चाहा, दिव्यांशी ने अपना हाथ पीछे कर लिया, और बोला, ” नहीं अंकित, प्यार रूह वाला हीं ठीक है, जिस्म शामिल करेंगे तो अच्छा नहीं होगा|” ये सुनते हीं अंकित को गुस्सा आ गया, उसने बोला, ” मुझे पता था लड़कियां ऐसी हीं होती हैं, बिना बात के नखरे, इसलिए तो मैंने तुझे यहाँ अकेले में बुलाया, अब देखता तु मुझे कैसे रोकती है|” इतना कहकर अंकित उसे जबरदस्ती किस लेने की कोशिश करने लगा ।अंकित के इस बदले रूप को देखकर दिव्यांशी का दिमाग सुन्न पड़ गया ।अपने ऊपर उसे हावी होता देख जब उसका दिमाग खुला तो उसने धक्का देकर अंकित को गीरा दिया, और भाग कर अपने घर चली आई ।घर आकर उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया, और अंकित पर भरोसा करने के लिए खुद को कोसने लगी, अब उसे रूद्र और रूद्र में छिपी अच्छाइयां, उसका प्यार, उसकी केयर सब याद आने लगी थीं ।इन सबका याद आना था, कि उसकी आंखों से निकली गर्म आंसुओं की बुंदे गालों से होकर उसके मन को भी भिगोये जा रही थी ।इस रूदन में कोई शोर नहीं था, ना कोई क्रंदन, बस गम था, या यूँ कहें की पछतावा था तो ज्यादा सही होगा ।सौम्या ने दिव्यांशी को भाग कर कमरे में जाते देख लिया था ।जब उसने दरवाजा खटखटाया, तो इस डर से कि किसी को पता ना चल जाये, दिव्यांशी ने तुरंत अपने आंसू पोछे, और चेहरे पर एक झूठी मुस्कान लेकर दरवाजा खोला ।सौम्या ने पूछा, ” क्या हुआ दीदी, तुम ऐसे भागते हुए अंदर क्यों आई थी? ” दिव्यांशी ने कहा, ” कुछ नहीं बस ऐसे हीं ।” सौम्या, उसके चेहरे पर गम और पश्चाताप के मिश्रित भाव साफ देख पा रही थी ।वो अपनी बहन के दुखों को जानने और उन्हें समाप्त करने को आतुर हो रही थी ।ज्यादा जोर दिये जाने पर दिव्यांशी के दिल के भाव फूट पड़े, ठीक वैसा हीं हुआ, जैसा रूद्र के साथ हुआ था ।अपने कद्रदान को देखकर आंसुओं ने खुद ब खुद हीं आंखों से बगावत कर लिया ।दिव्यांशी ने सारी बातें, सारी घटनाएं, उसे बता दिया ।उसने बता दिया की अंकित ने कैसे उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की और उसे अब ये पछतावा हो रहा है कि रूद्र जैसे लड़के को छोड़कर उसने अंकित पर भरोसा कर लिया, ये सब बातें वो रूंधे गले से बड़ी मुश्किल से बोल पाई ।सौम्या की भी ठीक वहीं स्थिति थी, जो किशन की रूद्र के सामने थी ।सौम्या ने दिव्यांशी को गले लगाकर उसे समझाते हुए कहा, “पागल तु इतना रो क्यों रही है, अभी तेरी बहन जिंदा है न ।उस किशन के बच्चे को तो मैं बाद में सबक सिखाउंगी, उससे पहले मेरी जिम्मेदारी है, तेरे बिछड़े प्यार को वापस लाना, और ये मैं करूंगी हीं, क्योंकि किताबों पर धूल जमने से कहानियाँ खत्म नहीं होती|” दोनों तरफ से निश्चय हो चुका था, दोनों में अपने इश्क़ को पाने की लालसा थी, पर एक सवाल बाधा बन रह था, पहले जाएगा कौन? 

                 रूद्र और दिव्यांशी के प्रेम की रेलगाड़ी पूरी तरह से पटरी पर दौड़ने के लिए तैयार थी ।बस इंतजार थी तो ग्रीन सिग्नल की ।और ये सिग्नल मिलने का इंतजार काफी लंबा नहीं चला ।सौम्या ने किशन को मैसेज किया, ” हाय किशन, कैसे हो? ” ” बढ़िया, अपना बताओ,” किशन ने जवाब दिया ।थोड़ी देर इधर उधर की बातें होती रहीं, फिर सौम्या ने सीधे प्वाइंट की बात कही, ” यार मैं सोच रही थी, हमने इनका ब्रेक अप तो करा दिया, अब आगे क्या करें? ” किशन को लगा ये मौका अच्छा है, उसने कहा, ” मुझे पता है तुम्हें अच्छा तो नहीं लगेगा पर मैं चाहता हूँ तुम ये करो ।मुझे उन दोनों का ब्रेक अप करवा के जो गर्व की अनुभूति हो रही है, उससे कहीं ज्यादा मुझे खुद पे खिन्न आने लगी है, क्योंकि जब रूद्र ने दिव्यांशी के लिए मेरे कांधे पे सर रखकर रोया तो मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ ।मैंने सिर्फ और सिर्फ अपने झूठे लव हेटर वाले इमेज के लिए उसके बने बनाये रिश्ते को बर्बाद कर दिया, मैं चाहता हूँ वो दोनों फिर से बात करने लग जायें|”

                  कहते हैं कई बातों पर लड़कियों की सहमति होते हुए भी अगर उस बात को लेकर आप अप्रोच करेंगे तो वो भाव दिखाने लगती हैं ।सौम्या भी चाहती थी कि वो दोनों फिर से एक दूसरे से बात करने लगे, पर यहीं बात जब पहले किशन ने बोल दिया तो उसका भाव खाना लाजमी था ।उसने नखरे दिखाते हुए कहा, “अरे ऐसे कैसे, मज़ाक है क्या, जब चाहो, जो चाहो, हो जाएगा ।अब तो मैं ऐसा बिलकुल नहीं होने दे सकती|” ये सून के किशन थोड़ा परेशान हुआ, उसे इसी जवाब की उम्मीद तो थी पर फिर भी दिल में एक आस थी कि शायद वो मान जाये, पर नहीं वो तो उसको साफ मना कर रही थी ।”एक बार उनके बारे में भी सोंचो सौम्या, मुझे पता है मैं ऐसा नहीं था, पर अब मैं बदलना चाहता हूँ,” किशन ने थोड़ा जोर दिया ।सौम्या ने उसी अंदाज़ में कहा, ” मैं नहीं बदलूंगी, तुम भले बदल जाओ ।ये सौम्या है कोई किशन नहीं जो अपने निर्णय बदल ले|” अब तो किशन को लगा कि नहीं सौम्या तो नहीं मानने वाली, वो सीधे दिव्यांशी को मैसेज करने की सोचने लगा ।मैसेज देखने के बाद भी जब किशन ने 5 मिनट तक कोई रिप्लाई नहीं दिया तो, सौम्या ने इमोजी भेजी और फिर मैसेज किया, ” अरे बुद्धू अपना चेहरा देखो आइने में, एकदम उतर गया होगा ।मैं भी अब यहीं चाहने लगी हूँ, तुम्हें क्या लगता है केवल रूद्र भैया हीं रोए हैं, मेरी दीदी भी रोई हैं, मुझे भी उनके लिए बहुत बुरा लग रहा था ।अब ये सोचो की उनकी बात कैसे करवाई जाए|” “इसमें करना क्या है, तुम अपनी दीदी से रूद्र को अनब्लॉक करवाओ ।मैं उससे मैसेज करवाता हूँ|” “अरे उसने तो कब का अनब्लॉक कर दिया है ।तुम उनसे मैसेज करवाओ|” ” ठीक है, रूको अभी|”

अगले दिन सुबह में जब दिव्यांशी उठी तो उसके मोबाइल स्क्रीन पर रूद्र का एक मैसेज चमक रहा था, “सॉरी|” उसे देखते हीं दिव्यांशी के आंखों में खुशी के आंसू आ गये, उसने तुरंत रिप्लाई किया, “रूद्र ऐसा मत कहो, गलती मेरी थी, तुम सोच भी नहीं सकते आज मैं कितनी खुश हूँ|” “मैं भी, पता है मैंने बीते एक डेढ़ महीनों में तुम्हें कितना मिस किया, मुझे लगा था, अब हम दुबारा एक नहीं हो पायेंगे,”-रूद्र ने अपनी कांपती उंगलियों से टाइप किया ।उधर सारे गिले शिकवे, सब दूर हो रहे थे ।ये सच्चे इश्क़ का सूरज जो कुछ समय के लिए धुमिल पड़ा था, फिर से अपने मार्तण्ड रूप में चमकने को तैयार था ।रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है-
” जेहि कें जेहि पर सत्‍य सनेहू। 
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू|
“मतलब अगर कोई किसी से सच्चा प्रेम करता है तो उन दोनों को मिलना हीं है, इस बात में जरा भी संदेह नहीं है । यहीं यहाँ भी हुआ था, रूद्र और दिव्यांशी का सच्चा प्यार उन्हें अंततः एक दूसरे के पास खिंच हीं लाया।
उसी दिन शाम को सौम्या ने किशन को मैसेज किया, ” थैंक्स किशन, आज दीदी बहुत खुश है|” “थैंक्स तो मुझे तुम्हें बोलना चाहिए, तुम नहीं होती तो आज ये दोनों एक नहीं हो पाते, ” किशन ने कहा ।”पता नहीं मुझे ये बताना चाहिए या नहीं, पर फिर भी बिना बताये मुझसे रहा नहीं जाता, इन दोनों का प्यार तुड़वाते जुड़वाते मुझे पता नहीं कब तुमसे प्यार हो गया, I really love you किशन, ” बिना झिझके, एकदम साफ शब्दों में सौम्या ने किशन से अपने इश्क़ का इजहार कर दिया ।किशन इसके लिए तैयार नहीं था, उसने बोला, ” मज़ाक करने के लिए मैं हीं मिला था? ” ” मज़ाक नहीं ये सच है किशन, मुझे सच में तुमसे प्यार हो गया है|” “दरअसल ये भाव तो मेरे भी दिल में है, पर मैं कहने से डर रहा था की कहीं तुमने मना कर दिया तो, ” किशन ने भी दिल की बातें बोल दी, रूद्र और दिव्यांशी की कहानी के पटकथा लेखन के दौरान, न जाने कब इन दोनों का भी दिल जुड़ गया था भगवान जाने, पर इतनी आसानी से एक दूसरे को अपने दिल की बात कहना भी सबके बस की बात नहीं थी ।सौम्या ने हंसते हुए कहा, ” और अगर मैंने ये बात मज़ाक में बोला हो तो? ” “तो क्या अब जबरदस्ती तो कर नहीं सकता|” “हाँ पर ये बात सच है किशन I love you, ” “देखो मुझे ये formalities तो नहीं आती पर हां मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ ।” “पर तुम्हारे दोस्त या मेरी दीदी को पता चला तो? ” “तो क्या वो खुश हीं होंगे वैसे भी जब हम अलग अलग इतने प्रभावी थे तो अब तो साथ में है|” “सही कहा ।”  क बहुत हीं प्रतिकूल परिस्थितियों में ये इश्क़ शुरू हुआ था ।रूद्र, दिव्यांशी के साथ तो किशन, सौम्या के साथ अपने प्रेम की कहानी रचने में लगे थे ।दो नफरत फैलाने वाले दिल एक दूसरे पर प्यार की बारिशें कर रहे थे, ये प्रभु की लीला नहीं थी, तो और क्या था? 

सिद्धार्थ सिंह ‘साहिल’

गहमर, गाजीपुर, उ. प्र.

मोबाइल नं – 9026612957

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