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दिव्या अभी-अभी रूम में पहुंची ही थी कि संजू मैम जो कि उनकी प्रिंसिपल थी उनका फोन आया उन्होंने कहा, दिव्या जी आपको कल सुबह जोधपुर सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग हेतु लाल मैदान पावटा स्कूल जाना है। दिव्या ने कहा,’ ओके मैम, थैंक यू हम सुबह पहली बस से पहुंच जाएंगे’ संजू मैम ने कहा ,’ मैंने तो सोचा कि आप कहेंगे कि हम तो अभी अभी जोधपुर से 6 घंटे का सफर तय करके आए हैं, बट आप तो खुशी से तैयार हो गई ‘ दिव्या ने कहा ‘ हम अपने घर जाने के लिए बैग तैयार ही रखते हैं’ और दिव्या ने थैंक यू बोलकर फोन रख दिया. उधर संजू मैम सोचने लगी बहुत अजीब होती है औरतें करियर भी बनाना है और घर भी रहना है भले ही 6 घंटे की थकान चढ़े कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें तो घर चाहिए होता है। पर नौकरी की मजबूरी दूसरे जिले में रहने को मजबूर करती हैं। दिव्या को रात में नींद कहां आने वाली थी वह तो सुबह वापस घर जाने वाली जो थी।वह अभी-अभी तो जोधपुर से जयपुर आई थी और वह तो सिर्फ शनिवार और रविवार को ही घर जा पाती थी क्योंकि वह दूसरे जिले यानी जोधपुर से जयपुर में थी लेकिन वह अब 10 दिन घर पर रहेगी वह खुशी से मन ही मन कल्पना में झूम उठी थी। वह तो हमेशा ही घर जाने को बैग तैयार ही रखती थी उसको तो बस जोधपुर जाने का बहाना चाहिए होता था भले ही थकान कितनी ही हो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। सचमुच दिव्या को कोई फर्क नहीं पड़ा वह सुबह 6:00 बजे जयपुर से जोधपुर की पहली बस में बैठ गई और सीधी घर पहुंच कर सबको सरप्राइज दे दिया। सब ने पूछे कैसा आना हुआ तो उसने कहा यही 10 दिन के लिए ट्रेनिंग पर हूं, यही रहूंगी। इतना कह कर अपना बैग पटक कर और स्कूटी उठाकर ट्रेनिंग सेंटर पर पहुंच गई।
वहां पर पहले से कहीं टीचर्स मौजूद थे जो सेल्फ डिफेंस के नाम पर हंसी मजाक कर रहे थे वहां पर दिव्या के जोधपुर की एक जान पहचान की काफी टीचर्स भी थी ,मैडम सीमा जी ने दिव्या को कहा कि,’ दिव्या तू ही सेल्फ डिफेंस अच्छे से सीखना ,तू ही अभी जवान, और कुंवारी है, हम तो 45_ 50 के पार हो गए हैं ,हमें तो कोई देखता ही नहीं ,’.दिव्या कुछ नहीं बोली और सब हंसने लगे. वह बोलती भी तो क्या दिव्या सिर्फ 22 साल की ही तो थी खैर दिव्या भी दूसरे टीचर्स के साथ हंसी मजाक में मशगूल हो गई। तभी एक मस्ती भरी कड़क आवाज मैदान में सुनाई दी सभी टीचर्स प्लीज दौड़ लगाकर अपनी बॉडी को वार्म अप कर दो दिव्या भी जो आगे दौड़ रहे थे उनके साथ हो गई। दो चक्कर लगाने के बाद दिव्या ने पास वाली टीचर से पूछा ,’ यार हमें यह ट्रेनिंग कौन देगा, यहां पर मुझे तो कोई ट्रेनर ही नहीं दिख रहा’ .तो साथ वाली मैम ने बोला यह जो आगे दौड़ रहे हैं ना यह सर हमें ट्रेनिंग देंगे दिव्या चौंकी यह लड़का हमें ट्रेनिंग देगा। साथ वाली टीचर ने बोला यह लडका नहीं है राजस्थान पुलिस अकादमी से अवार्डेड बेस्ट टीचर और ट्रेनर है। दिव्या फिर चौकी यह टीचर है यार यह तो एकदम चॉकलेट जैसे लगते हैं यह तो मुझसे भी एक साल छोटे होंगे। खैर सभी को एक हॉल में बैठाया गया। तभी चॉकलेट महाशय ने कहा मेरे प्यारे शिक्षक साथियों नमस्कार और वेलकम इस 10 दिवसीय शिविर में आप सबका स्वागत है ।
इस बंदे को अजय कहते हैं पीटीआई पोस्ट पर डाइजर कार्यरत हूं। पिछले 10 सालों से. दिव्या सोचने लगी यह मेरा सीनियर है और मैं यूं ही इसे छोटा बच्चा समझने लगी थी। फिर अजय ने कहा सभी अपना-अपना परिचय देंगे दिव्या ने अपने परिचय को शायराना अंदाज में सुनाया, घर से दूर, घर सजाने को आतुर, बंदी जयपुर में पोस्टेड है, और जोधपुर के निवासी हैं। अभी प्रोविजन चल रहा है। अजय ने कहा ‘ अच्छा यह तो और भी अच्छा है, आप यंग हो, बोल्ड हो, और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग के लिए परफेक्ट हो। मैं आपको 10 दिन में ट्रेंड कर दूंगा दिव्या ने थैंक्स बोला और दूसरी टीचर्स के साथ बातों में लग गई। थोड़ी देर में परिचय सत्र समाप्त हो गया। दिव्या को कहां पर सेल्फ डिफेंस सीखना था। उसे तो घर जाकर मां के हाथ का खाना खाना था, छोटी बहन को घुमाना, और छोटे भाई को दीपावली की ड्रेस दिलानी थी, दिव्या ही घर की सारी जिम्मेदारी निभाती थी। क्योंकि दिव्या के पापा एक एक्सीडेंट में 3 साल पहले चल बसे थे ।दिव्या अपने तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। वह दिखने में तो ठीक-ठाक थी पर वह बहुत बोल्ड , खुशमिजाज और मेधावी थी। शायद, इसलिए सिर्फ 22 साल की उम्र में ही सरकारी नौकरी मिल गई। दिव्या ने अजय से कहा ,’ सर मुझे बहुत जरूरी काम है, घर जाना है ,और ऐसी ट्रेनिंग मैने बहुत कर ली है ।मुझे पता है इन ट्रेंनिंगों में क्या होता है। अजय मुस्कुराया और बोला दिव्या मैडम आपने बहुत सारी ट्रेनिंग की लेकिन यह वैसी नहीं है आप यहां रुको तो सही आपको पता चल जाएगा ट्रेनिंग किसे कहते हैं। दिव्या ने कहा सर अब दो तो बज गए हैं हम 2 घंटे में वापस आ जाएंगे प्लीज। अजय का दिव्या का प्लीज बोलना कुछ भा गया उसने कहा आपके फोन नंबर दे जाओ या मेरे नंबर ले जाओ ताकि कोई आए तो कुछ संभाल सकू। दिव्या ने अजय के नंबर लिए और थैंक यू बोलकर चली गई। रास्ते में सोचने लगी यार कितना स्मार्ट बंदा है और शायद मेरे बराबर भी एकदम फिट है स्ट्रांग है यही सोचते हुए दिव्या घर आ गई और बाजार में भाई बहनों के काम निपटाना लगी ।तभी उसकी नजर घड़ी पर पड़ी बाप रे 5:00 बज गए ।
उसने अजय के जो नंबर लिए थे उन पर फोन मिलाया और बोला हेलो उधर से आवाज आई आप कौन दिव्या ने बोला अजय सर हम दिव्या बोल रहे हैं अजय ने बोला हां दिव्या मैडम आपके 2 घंटे हो गए दिव्या ने बोला सॉरी सर वह इसके आगे कुछ बोल पाती उसके पहले अजय ने कहा अब आप वापस अभी मत आना ।कल मॉर्निंग में 7:30 बजे आ जाना। दिव्या उतना सुनते ही खुशी से चिल्लाई यू आर टू गुड यार फिर खुद को कंट्रोल करते हुए बोली थैंक यू सर फोन रख दिया। दूसरे दिन सुबह 7:30 बजाते ही दिव्या ट्रेनिंग सेंटर पर पहुंच गई वहां पर अजय और उसका साथी वार्मअप कर रहे थे। दिव्या ने बोला गुड मॉर्निंग सर अजय ने कहा चलो दौड़ लगाओ तो दिव्या भी उसके साथ दौड़ने लगी अजय ने कहा वह दिव्या जी आपका स्टैमिना तो बहुत अच्छा है वरना मेरे बराबर तो हर कोई दौड़ ही नहीं पाता और लड़कियां तो बिल्कुल भी नहीं ।दिव्या मुस्कुराई और बोली थैंक यू सर बस आपका साथ है इसलिए ही दौड़ पा रही हूं अजय ने दिव्या की आंखों में देखा और अपने माथे पर आए बालों को पीछे करते हुए बोला आप बातें अच्छी करती हो। खैर चलो वार्म अप हो गया और उसने सभी ट्रेनीज को लाइनअप करके पंचेज के बारे में बताना शुरू किया और प्रैक्टिस करवाने लगा। जिस टीचर को प्रॉब्लम होती अजय उसके पास जाकर पर्सनली बता रहा था ।दिव्या के पंचेज देखकर बोला दिव्या जी आप तो एक ही दिन में परफेक्ट हो गई मेरी तो जरूरत ही नहीं है आपको। दिव्या तपाक से बोली सर मुझे आपकी बहुत जरूरत है सभी हंसने लगे उसने अपने को संभालते हुए कहा मतलब सर अभी तो आपसे बहुत कुछ सीखना है। फिर योग सत्र शुरू हुआ अजय के योग सत्र ने तो प्रेक्टिस से थके शरीर में जान ही डाल दी थी। उसके योग की प्रत्येक मुद्रा के समय पर उसके चेहरे पर सजने वाली मुस्कान ने वहां पर बैठी आधी से ज्यादा टीचर्स तो सिर्फ उसके चेहरे को ही देखे जा रही थी। देख भी क्यों ना गोरा रंग, काली आंखें, काले घुंघराले बाल, क्लीन सेव 30 साल का गबरू जवान, और सिक्स पैक से तो ऐसा लगता जैसे शाहिद कपूर हो। योग सेशन की समाप्ति के बाद अजय ने पूछा योग शासन में सबको कैसा लगा तो सब ने अपनी अपनी राय दी ।दिव्या की बारी आने पर दिव्या ने जो बोला वह अजय के दिल दिमाग में छप गया दिव्या ने कहा,’ सर आपके साथ योग करते वक्त हम अपनी धड़कनों को महसूस कर रहे थे ,अपनी धड़कनों के आने-जाने को सुन रहे थे, सभी तरह से बस ऐसा ही लगा जैसे हम आसमान में हैं ‘.और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा ।
थोड़ी देर बाद दिव्या को उसकी एकमात्र सहेली ऋतु का फोन आया तो दिव्या को याद आया कि उसकी सहेली की शादी की सालगिरह पर उसने उसे घड़ी देने का वादा किया और वह उसका घर पर इंतजार कर रही है। दिव्या ने पास वाली टीचर से पूछा यार घर जाना है इमरजेंसी है तो उस टीचर ने कहा अजय से पूछ लो वह भेज तो देख लो। दिव्या ने बैग से सॉफ निकाली और मुंह में उड़ेलने लगी । अजय ने पीछे से कहा अकेले-अकेले खा रहे हो, हमें भी पूछ लेते, हमने कौन सी नहीं खाने की कसम खा रखी है। दिव्या ने बोला सॉरी सर हमने आपको देखा नहीं और उसने पाउच खोलकर अपनी हथेली पर रखी सौंफ को अजय के आगे कर दिया ।अजय ने सॉफ खा ली ।दिव्या ने सिर पर रखे अपने गॉगल्स को ठीक करते हुए बोला सर हमें छुट्टी चाहिए हम 2 घंटे में वापस आ जाएंगे अजय जोर से हसा और बुला सौंफ की रिश्वत के बदले छुट्टी। दिव्या ने कहा नहीं सर हमने अपनी दोस्त को प्रॉमिस किया था बस उसकी ही लाज रखनी है और हम प्रॉमिस करते हैं कि जल्दी आ जाएंगे । अजय ने दिव्या को घूर कर देखते हुए कहा ओके बट जल्दी आ जाना अपना प्रॉमिस निभाकर। सचमुच 2 घंटे में दिव्या वापस आ गई। और अजय को थैंक यू बोला तो अजय ने कहा वह दिव्या जी आप तो जुबान की बहुत पक्की हो, आजकल कहां ऐसे लोग मिलते हैं। दिव्या ने कहा शुक्रिया सर, बट हम प्रॉमिस करते नहीं, और करते हैं तो उसकी हर हद पार करके भी निभाते हैं।और इस नन्ही सी जान पर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं, मेरे पापा है नहीं, मां है, दो छोटे भाई बहन है, उनकी देखभाल करना, उनकी सारी जरूरतों को पूरा करना मेरी जिम्मेवारी है और इस पर भी पोस्टिंग जयपुर है सिर्फ वीकली ही आ पाती हु।अजय ने आंखें उठाकर सिर हिलाते हुए कहा ओह!। इस प्रकार दिव्या और अजय के बीच में बातों का सिलसिला चलता रहा। दोनों इन 10 दिनों में काफी नजदीक आ चुके थे. एक दूसरे को जानने व समझने की कोशिश करने में लगे हुए थे. अजय तो लगभग दिव्या के बारे में काफी कुछ जान गया था. और इस तरह अंतिम दिन जब सबको सीडी और सेल्फ डिफेंस का मटेरियल मिल रहा था तो एक सीडी कम पड़ गई तो अजय ने दिव्या के हाथ से सीडी छीन कर दूसरे टीचर्स को दे दी। और बोला दिव्या जी आपकी सीडी में आपको बाद में आपके घर आकर दे दूंगा। दिव्या ने कहा सर हमको तो कल वापस जयपुर जाना है ।
अजय ने बड़े हक से कहा, नहीं जाना है’ दिव्यां ने कहा सर बट ट्रेनिंग तो आज खत्म हो गई ,अजय ने कहा अभी सप्ताह भर आपको मेरे साथ और ड्यूटी करनी है। वह कुछ और कहती उसके पहले अजय ने बड़ी-बड़ी आंखें दिखा कर कहा ,’ घर पर रहना अच्छा लगता है ना ,तो बस रहो, मैं हूं ना ‘.इतना सुनकर दिव्या घर चली गई और घर जाकर सबको ट्रेनिंग की बातें बताने लगी .तब तक खाना बन चुका था दिव्या खाना खा चुकी थी और वह विविध भारती पर बजने वाले गाने के साथ गुनगुना रही थी. तभी उसके फोन की घंटी बजी वह फोन अजय का था अजय ने कहा दिव्या जी आपकी सोमवार से शनिवार तक ड्यूटी है मैने आदेश व्हाट्सएप कर दिया है आप अपने एचएम को आदेश भेज दो। और अजय ने फोन रख दिया ।दिव्या को तो ऐसे लगा जैसे अलादीन का चिराग मिल गया हो और जोर-जोर से गाने लगी । मां ने पूछा क्या हुआ दिव्या तू अब तक सोई नहीं सुबह 5:00 बजे बस भी तो पकड़नी है। दिव्या ने मां को पकड़कर घूमते हुए कहा नहीं जा रही है तेरी बेटी मैं तो अभी एक सप्ताह यहीं पर रहने वाली हूं। तभी उसके दोनों छोटे भाई बहनों के झगड़ने की आवाज आई तो मां बेटी दोनों उधर गई देखा कि दोनों भाई-बहन जमीन पर पड़े हैं छोटी मोनू के पेट पर बैठी हैं। दिव्या ने दोनों को अलग किया तो मोनू ने बोला यह छोटी आप नहीं होती हो तो मुझ पर रोब झडती है। इसने मेरे कलर भी ले लिए हैं ।दिव्या ने दोनों को समझाया और मोनू से कहा कल मैं तेरे लिए नए कलर ला दूंगी,मोनू ने रुवासा होते हुए कहा दीदी आप तो कल सुबह चली जाओगी ना। दिव्या ने घुटने पर बैठकर मोनू के आंसू पोंछते हुए कहा तेरी दीदी कहीं नहीं जा रही है। मोनू ने दीदी को गले लगाते हुए कहा दिव्या दीदी सबसे अच्छी।
दिव्या भी जाकर अपने बिस्तर पर लेट गई लेकिन उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी ,और पास था, तो सिर्फ अजय, अजय की बातें ,अजय की मुस्कान ,और 10 दिन जो उसके साथ उसने बिताए थे अजय उसकी सोच में अंदर तक प्रवेश कर गया था ,पूरी रात दिव्या के ख्यालों में सिर्फ अजय ही था। शायद वह रात को सोकर भी नहीं सो पाई थी। क्योंकि अजय उसके ख्यालों, ख्वाबों, और नींदों में जाग रहा था। खैर सुबह मां की आवाज के साथ दिव्या की आंख खुली दिव्या ने चाय पीकर जैसे ही समाचार पत्र का पन्ना पलटा तो उसने देखा की मुख्य पृष्ठ पर दिव्या की सेल्फ डिफेंस के पोस्ट में फोटो छपी हैं और बेस्ट ट्रेनीज में उसका नाम भी। वह अपनी मां को कुछ बताती उसके पहले उसकी पड़ोस वाली चाची ने जोर से कहा दिव्या की मां आज तेरे दिव्या की फोटो अखबार में छपी है। और चिल्लाकर 5_6 औरतों को और इकट्ठा कर दिया. अब तो मोहल्ले की औरतों ने कह दिया दिव्या तू तो मोहल्ले की सारी लड़कियों को सेल्फ डिफेंस सिखा देना। दिव्या ने मुस्कुराते हुए हां बोला। तभी उसके भाई ने उसको फोन देते हुए कहा दीदी आपका फोन कब से बज रहा है ।दिव्या ने फोन उठाया उधर से आवाज आई आज तो आप सेलिब्रिटी बन गए हो, हर जगह आपके ही चर्चे हैं, यह फोन अजय का था दिव्या ने कहा सर,’ क्यों मजाक कर रहे हो, फोटो तो आपने ही दिलवाया है’ .अजय ने कहा आप इसके हकदार हो,इसमें मैं क्या कर सकता हूं,” अच्छा सुनो” यह शब्द सुनते ही दिव्या पर एक नशा सा छाने लगा और उसने कहा सुनाओ तो अजय ने कहा ठीक 10:30 बजे एसएमएस स्टेडियम पहुंच जाना दिव्या वैसे तो हमेशा जल्दी में ही रहती हैं पर वह आज इत्मीनान से तैयार हो रही थी ।पता नहीं क्यों ?
शायद अजय को इंप्रेस करना चाहती थी. दिव्या ठीक समय पर स्टेडियम पहुंच गई वहां गेट के पास ही अजय अपनी गाड़ी को पार्क करते हुए मिल गया। दिव्या ने गुड मॉर्निंग सर कहा तो अजय ने कहा दिव्या जी आप टाइम के बहुत पंक्चुअल हो, और मुझे पंक्चुअलिटी बहुत पसंद है। दिव्या ने थैंक यू बोला और दोनों साथ-साथ बातें करते हुए हॉल में पहुंच गए ।अजय ने दिव्या को उसका काम समझाया और खुद स्टेट लेवल पर जाने वाली क्रिकेट की टीम के बच्चों को तैयारी करवाने में लग गया ।दिव्या का ध्यान काम पर कम, और सामने प्रेक्टिस करवा रहे अजय पर ज्यादा था। हालांकि अजय का मेजर गेम एथलीट था बट क्रिकेट पर उसकी पकड़ थी। इसलिए स्टेट गेम की जिम्मेवारी उसे पर थी। लंच के समय अजय ने दिव्या को कहा दिव्या जी लंच करते हैं दिव्या ने कहा सर मैं खाना खाकर आई हूं फिर भी अजय ने फोर्स किया तो दिव्या लंच के लिए रेडी हो गई दोनों ने पास ही के कैंटीन में लंच किया अजय ने दिव्या को खाना खाते हुए देखकर कहा ओह माय गॉड यू आर लैफ्टी, दिव्या ने कहा यस अजय ने कहा तभी मैं सोच रहा हूं आप इतनी BB प्लस कैसे हो दिव्या ने पूछा क्या तो उसने हंसते हुए कहा ब्रेन विद ब्यूटी एंड बोल्ड, वरना लड़कियों में या तो सुंदरता, होती है या दिमाग, होता है यानी दोनों चीजों में से एक चीज होती है ।और दोनों चीज एक साथ बहुत कम देखने को मिलती हैं ।आपके अंदर तो दोनों हैं आप तो कमाल की सादगी वाली सुंदरता रखती है । दिव्या मुस्कुराई और बोली ऐसा कुछ नहीं है। अजय मुस्कुराया और बोला यही तो खास बात है खूबसूरत हो पर तुम्हें यह बात पता नहीं है। दोनों एक साथ जोर से हंस पड़े। फिर अजय ने कहा अब जितना होगा तुम्हें उतना अपने पास रखने की कोशिश करूंगा ,दिव्या ने बोला क्या तो अजय ने कहा आई मीन मैं तुम्हारी ड्यूटी लगवाता रहूंगा।
तुमको जयपुर कम ही जाना पड़ेगा ।दिव्या ने कहा थैंक यू सर इस तरह दिव्या और अजय अब नजदीक आने लगे। दिव्या और अजय काफी वक्त साथ बिताने लगे। दिव्या की तो दुनिया मानो अजय ही हो गया था। अजय के अलावा, वह कुछ भी नहीं सोच पाती थी ,उसकी सुबह, शाम, रात, दिन सब अजय ही अजय था। अब तो घर परिवार उसको सिर्फ एक जिम्मेदारी लगते थे उसके लिए तो बस दिल धड़कने का मतलब एक ही था अजय, अजय, और अजय ।एक दिन अजय ने दिव्या को फोन करके पूछ दिव्या जी उदयपुर जा सकते हो क्या? दिव्या ने पूछा क्यों सर अजय ने कहा लड़कियों की क्रिकेट टीम लेकर जाना है 6 दिन के लिए। दिव्या ने कहा ओके बट हम इसके बारे में कुछ नहीं जानते। अजय ने कहा डोंट वरी मैं हूं ना और फोन रख दिया। दूसरे दिन दिव्या जब सुबह रेलवे स्टेशन पर खड़ी थी तभी अजय टीम के साथ स्टेशन पर दिखा तो दिव्या का चेहरा गुलाब की तरह खिल गया था। और उसे लगा कि जैसे उसकी जान में अब जान आई है। उसने अजय से पूछा सर आपने तो कहा था कि कोई मैडम चलेगी तो अजय ने कहा उनको कुछ अर्जेंट काम आ गया तो आखिर में मुझे ही आना पड़ा ।
वैसे भी आपको हर किसी के भरोसे तो छोड़ नहीं सकता। ऊपर वाले ने आपका साथ जो लिखा है, मेरे हाथों की लकीरों में। दिव्या ने पूछा क्या अजय ने कहा आई एम जस्ट जोकिंग। अजय के मजाक ने दिव्या की सांसों को महका दिया। वह अजीब से नशे में थी। खैर दोनों पहले से ठहरने वाली तय होटल में बच्चों के साथ ठहर गए और फ्रेश होकर मैदान में पहुंचे। आज ही उनका मैच था जैसा होना था, वैसे ही हुआ, और आखिर में आखिर में जो होना था वही हुआ, टीम मैच जीत गई,। जीत की खुशी या पागलपन में दिव्या अजय के गले से लिपट गई। फिर एक पल में ही सकपका कर अलग हो गई ।उसका दिल कहां अजय के गले में पड़ी अपनी बाहों से अलग होना चाहता था। पर दिल और दिमाग अलग ट्रैक पर दौड़ रहे थे। सभी अपने-अपने कमरों में आकर खा पीकर सो गए थे ।क्योंकि 6 दिन की मेहनत आज रंग लाई थी। तभी होटल में जोर से हो हल्ला सुनाई दिया तो दिव्या की अचानक से आंख खुली तो उसने देखा की घड़ी में ठीक 12:00 बजे यह शोर अजय के कमरे की तरफ से आ रहा था ।दिव्या अजय के कमरे में गई तो उसने देखा कि अजय का पूरा मुंह केक से भरा हुआ था। और बच्चे हैप्पी बर्थडे टू यू चिल्ला रहे थे। दिव्या को देखकर बच्चे ने बोला मेम आज सर का हैप्पी वाला बर्थडे है आप सर को क्या गिफ्ट दे रहे हैं।
दिव्या कुछ कहती उसके पहले अजय ने कहा यह तो खुद मेरे लिए एक गिफ्ट है। दिव्या ने अजय से कहा ,’ आपने मुझे बताया क्यों नहीं, जबकि हम कितने समय से साथ हैं, कि आज आपका बर्थडे है’ .अजय ने कहा मैं तो मैच के चक्कर में भूल ही गया. वह तो बच्चों ने याद रखा और इन्होंने मेरे बोरिंग से डे को, स्पेशल डे बना दिया ।अब कमरे में सिर्फ दिव्या और अजय ही बचे थे सब जा चुके थे दिव्या ने कहा अब मैं केक कहां लगाऊं आपका तो पूरा चेहरा पहले से ही केक से भरा हुआ है। अजय ने कहा पहले वाला साफ करके नया लगा दो दिव्या ने जैसे ही रुमाल से अजय का चेहरा साफ करने की कोशिश की अजय ने दिव्या का हाथ पकड़ कर अपने नजदीक ला दिया और बोला रुमाल से मेरा नाजुक सा चेहरा खराब हो जाएगा। दिव्या जो उसके होठों तक आ चुकी थी और वह अजय की तेज होती धड़कनों से लगभग अपने होश खोने जा रही थी। दिव्या ने पूछा तो और भला चेहरा कैसे साफ करते हैं। अजय ने कहा अपने होठों से, और इतना कहते ही अजय ने दिव्या के होठों पर अपने होंठ रख दिए, और कब अजय का केक दिव्या के चेहरे पर लगा, दिव्या को कुछ पता नहीं । आज सचमुच दिव्या अजय के लिए उसका गिफ्ट थी, जैसा अजय ने चाहा दिव्या वैसे ही उसके साथ थी ।दिव्या ने आज अपना सब कुछ अजय को सौंप दिया था ।
बिना उसको जाने।दिव्या रात भर अजय के प्रेम रस में भीगती रही। दिव्या ने अजय से एक ही बात कही मुझे अकेला मत छोड़ना, मेरे पापा के जाने के बाद मुझे अपने अकेलेपन से कोई एतराज नहीं था, पर तुम्हें पाकर मैं दोबारा अपने अकेलेपन के साथ नहीं जीना चाहती हूं । अजय ने उसके जिस्म को अपने जिस्म से ढकते हुए कहा मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडूंगा, तुम मेरी एलआईसी हो, जिंदगी के साथ भी ,और जिंदगी के बाद भी। सुबह उठने पर दिव्या ने अपने चेहरे को आईने में देखा तो उसे लगा आज उसका चेहरा गुलाबी हो गया है। वह अपने बदन में अजय की खुशबू महसूस कर रही थी। तभी अजय ने आकर दिव्या से कहा दिव्या जल्दी करो 10:00 बजे ट्रेन है और घर पर फोन कर देना हम शाम 7:00 बजे तक जोधपुर पहुंच जाएंगे ।अजय यह कहकर रवाना होने लगा तो दिव्या ने उसे पीछे से पकड़ते हुए कहा अजय मुझे अकेला तो नहीं छोड़ोगे ना। अजय ने घूम कर दिव्या के माथे पर चुम्बन लेते हुए का हां ।अरे बाबा अभी अकेला छोडूंगा, तभी तो तुम तैयार होकर नीचे आ पाओगे। जल्दी करो वरना ट्रेन छूट जाएगी और सभी सही समय पर रेलवे स्टेशन पर अपनी अपनी जगह बैठ गई । कब जोधपुर आ गया पता ही नहीं चला। रेलवे स्टेशन पर जैसे ही अजय और टीम उतरी तो ढोल नगाड़ों और पटाखों के साथ स्वागत हुआ। दिव्या और अजय का गला तो माला से भर चुका था ।दिव्या को लगने लगा जैसे अजय की और उसकी शादी हो रही है ।
तभी उसे सामने मां छोटी और मोनू आते दिखे तो वह सपने से बाहर आई और मां को गले से लगाया और अजय से मां को मिलवाया तो अजय ने हाथ बढ़ाते हुए उनके पांव छू लिए। सभी अपने-अपने घर को रवाना हो गए। दिव्या ने घर जाकर वहां बहुत सारी बातें बताइ। पर उसकी बातों में सिर्फ अजय का ही जिक्र था ,होगा भी क्यों नहीं, वह खुद जो उसकी हो चुकी थी। अब तो बस उसको दो ही काम अच्छे लगते थे अजय की बातें करना ,और अजय से बातें करना ,।अब गेम्स खत्म हो चुके थे आज 3 महीना बाद दिव्या जयपुर जा रही थी उसको स्टैंड पर छोड़ने हमेशा की तरह रितु ही आई थी और वो दोनो हमेशा एक दूसरे को मिस करने की बाते करती थी पर आज दिव्या के होंठो पर एक ही नाम था, अजय, अजय ऐसे ,अजय वैसे , रीतू ने कहा देवी लगता है तुझे उससे प्यार हो गया है और तू उसके साथ एक सप्ताह रहकर आई है कुछ किया तो नहीं है ना। दिव्या ने मन ही मन में कहा कुछ बाकी भी तो नहीं रखा है ।और जोर से बोली तू कुछ भी बोलती रहती है रितु ने कहा नहीं यार तू जिस तरह से उसका जिक्र कर रही है मुझे फिक्र हो रही है। पहले उसके बारे में कुछ जान लेना वरना फिर रोनापड़ा तो मुझे भी तेरे साथ रोना पड़ेगा। रितु और दिव्या बचपन की दोस्त हैं रितु की शादी एक गली छोड़कर उसके ही मोहल्ले में हुई है फिर भी आज भी दोनों का प्यार वैसा का वैसा ही है। रितु ने दिव्या का बैग बस की हमेशा से फिक्स्ड सीट पर रख दिया और गले से लगकर कहां, पहुंच कर फोन कर देना ।और अजय को यही छोड़कर जाना, बस रवाना हो गई। रितु जा चुकी थी पर उसने जो कहा उसे पर दिव्या ने मन में कहा अब तो बस उसे छोड़ना ही सांसों को छोड़ने जैसा लगता है। मैं संसार छोड़ सकती हूं पर उसको नहीं ।तभी दिव्या के फोन की घंटी बजी यह फोन अजय का था दोनों के बीच 6 घंटे से लगातार बात हो रही थी।
यही बातों का सिलसिला अब पूरी रात चलता रहता। दिव्या शनिवार को जैसे ही जोधपुर आती ऋतु के घर का बहाना कर अजय से मिलने पहुंच जाती। और वह दो-दो घंटे उसके सीने पर सर रखकर सोई रहती। एक दिन दिव्या ने अजय से कहा तुम तो मेरे बारे में सब कुछ जानते हो और मैं तुम्हारे नाम और काम के अलावा कुछ नहीं जानती। बताओ कुछ अपने बारे में। अजय को शायद दिव्या के ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी। तो उसने कहा कुछ भी नहीं है मेरे बारे में जानने लायक। फिर भी तुमने कभी पूछा ही नहीं मेरे बारे में। बोलो क्या जानना है मेरे बारे में। दिव्या ने पूछा अरे मेरे कहने का मतलब है कौन-कौन है, तुम्हारे घर में ।अजय ने कहा मां है, पापा 6 साल पहले चल बसे ,एक बड़ा भाई, और भाभी हैं और एक बहन है जो यूएसए में रहती हैं। दिव्या ने कहा थैंक गॉड, अजय ने पूछा थैंक गॉड क्यों ?दिव्या ने बोला अच्छा हुआ कि तुम शादीशुदा नहीं हो. अजय ने चौंकते हुए कहा क्या? यह तुमसे किसने कह दिया कि मैं शादीशुदा नहीं हूं. यह सुनते ही दिव्या को ऐसे लगा कि जैसे आसमान से एक बिजली गिरी है और वह किसी गहरे गड्ढे में धस गई है। उसने अपने आप पर नियंत्रण करते हुए कहा। कि तुमने मुझे कभी बताया क्यों नहीं ।अजय ने अपनी आवाज थोड़ी ऊंची करते हुए कहा सारी दुनिया को पता है। स्टेडियम में काम करने वाली एक-एक टीचर को पता है। और तुम कह रही हो कि यह बात तुम नहीं जानती। दिव्या रुवासी होते हुए अजय के गले हुए लगाते हुए बोली मैं तुम्हारे बारे में बिना जाने तुम्हें अपना सब कुछ सौप दिया है। तुम्हारे बिना मैं नहीं जी सकती, प्लीज, कह दो कि यह झूठ है। अजय उसको अपनी बाहों में और तेजी से कसते हुए कहा, मेरी जान मैं शादीशुदा हूं यह बात मैंने तुम्हें इसलिए नहीं बताई कि मैंने सोचा तुम जानती होगी कोई भी लड़की बिना किसी के बारे में जाने अपना सब कुछ किसी मर्द को क्यों सौंपेगी। सॉरी मेरी जान पर सच यही है कि मैं शादीशुदा हूं। फिर दिव्या ने कहा कि अभी तो तुमने कहा कि तुम्हारे घर में सिर्फ मां, भैया ,भाभी ही है, तो तुम्हारी पत्नी कहां है ?अजय ने अपना मुंह घुमाते हुए कहा हमारा तलाक हो चुका है। दिव्या ने कहा क्या अजय ने कहा गुंजन किसी और से प्यार करती थी उसने अपने पिता के दबाव में मुझसे शादी तो कर ली पर पहले ही दिन उसने मुझे बता दिया वह किसी और से प्यार करती हैं। और उसके तन, मन, पर सिर्फ उसके प्यार का ही अधिकार था, है ,और रहेगा। अगर उसने उसे हाथ लगाने की कोशिश की तो वह आत्महत्या कर लेगी। और वह मुझे छोड़कर चली गई। यह कहते-कहते अजय दिव्या के गले से लग गया और अजय के आंसुओं से दिव्या का तन और मन दोनों भीग चुके थे। तो अजय ने कहा दिव्या तुम तो मुझे छोड़ कर नहीं जाओगी ना। तुम हमेशा मेरे साथ रहोगी ना। मैं इस दुनिया में बहुत अकेला हूं।
इतना सुनकर दिव्या ने कहा नहीं मैं तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊंगी। तुम मेरी जिंदगी हो।अब तो दिव्या जब चाहे तब अजय के घर उसके कमरे में जाकर बिताती थी। दोनों साथ हंसते-खाते सोते इस तरह उनके 2 साल बीत गए। एक दिन दिव्या का जन्मदिन जब अजय अपने कमरे में मना रहा था। दोनों बहुत मस्ती के मूड में थे दोनों एक दूसरे को एंजॉय कर रहे थे। तभी अजय दिव्या की फोटो ले रहा था और अपना फोन दिव्या को देते हुए बोला मेरी जान अब मेरी फोटो केक के साथ फोटो खींचे वह फोटो खींच ही रही थी तभी फोन स्क्रीन मैसेज आया मेरे प्रिय पति अजय मैं तुम्हारी थी और हमेशा तुम्हारी रहूंगी तुम्हारी प्रिय पत्नी अंजू और इस तरह के 5/6 मैसेज स्क्रीन पर स्क्रोल होते रहे। दिव्या तो मानो बेहोश ही हो गई, और उसके शरीर में खून की एक बूंद भी नहीं बची है ,और वह पसीना पसीना हो गई। अजय ने एकदम से पूछा क्या हुआ दिव्या, दिव्या ने फोन आगे करते हुए कहा मेरे प्रिय पति और वह रोती अपने को जबरदस्ती संभालते हुए जैसे तैसे अपने घर पहुंची ।और घर जाकर बहुत फूट-फूट कर रोई ।कब सोई पता नहीं शाम को 7:00 बजे मां ने पूछा तू ठीक है तो उसने कहा हां ठीक हूं बस थोड़ा सिर दर्द हो रहा था इसीलिए बिना कुछ कहे सो गई ।फिर वह स्कूटी उठाकर अजय के घर गई जहां अजय अपने कमरे में अपना सिर पकड़े बैठा था। दिव्या को देखते ही दौड़कर गले लगा कर बोला ,सॉरी मैं अब सब छोड़ दूंगा, वह मेरी गलती है, मैं इसके लिए बहुत शर्मिंदा हूं, और मैं तुमसे यह वादा करता हूं कि मेरी जिंदगी में सिर्फ तुम ही, तुम रहोगी, मेरी जिंदगी पर, मेरे तन ,मन, धन पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है। दिव्या ने कहा मैं जानती थी कि वह सिर्फ तुम्हारी गलती ही होगी और अब तुम उसे सुधार लोगे तुम सिर्फ मुझे प्यार करते हो ।बात आई गई हो गई उस दिन के बाद दोनों में आए दिन तू ,तु , मैं,मैं होने लगी। फिर भी प्यार परवान पर था ।एक दिन दिव्या ने सुबह उठकर फोन देखा तो अजय के दो फोन रात को 2:00 बजे आए हुए थे ।
दिव्या ने अजय को फोन लगाया मगर स्विच ऑफ आया। दो दिन हो गए अजय का कोई मैसेज नहीं था और दिव्या फोन लगा लगा कर पागल हो गई थी ।उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी धड़कनें रुक जाएगी। आखिर में वह अपने दिल और दिमाग से हार कर अजय के घर गई तो अजय की भाभी बाहर खड़ी थी उसने पूछा की दिव्या कैसे आना हुआ अजय तो घर पर नहीं है तो दिव्या ने पूछा अजय सर कहां गए तो उसकी भाभी ने कहा तुझे नहीं पता अजय तो यूएसए गया है। वह तो परसों रात को ही निकल गया। दिव्या की तो ऐसी हालत थी जैसे उसे लगा कि अब जीने को कुछ भी नहीं बचा ।लेकिन उसके पास में घर परिवार की जिम्मेदारी थी तो जैसे तैसे घर आई और पागलों की तरह अकेले चिल्ला चिल्ला कर रोने लगी। लेकिन अपने आंसू किसी को बात नहीं सकती थी। दिन भर रोती रहती थी। और ऐसे लगता था जैसे कि एक सिर्फ मशीन हो वह बिना दिल के जी रही थी। क्योंकि उसका दिल तो अजय था जो उसे बिना बताए चला गया था। अब उसके लिए जीने को कुछ बचा भी नहीं था वह हर समय उसको याद कर कर कर रोने लगी थी। उसके लिए दुनिया में कोई काम नहीं बचा था। लेकिन भाई बहनों को देखते तो जबरदस्ती मुस्कुराना पड़ता। और नहीं चाहते हुए भी जीना पड़ता था। फिर एक दिन अजय का फोन आया तो दिव्या अजय की आवाज सुनकर ही इतनी रोई इतनी रोई की अजय ने कहा बस करो यार मेरी प्रॉब्लम थी इसलिए आ गया तो दिव्या ने कहा अगर तुम्हें जाना ही था तो मुझे 2 दिन पहले तो बताता लेकिन अजय ने कहा कैसे बताता बहुत इमरजेंसी थी और दीदी की तबीयत खराब थी तो मुझे आना पड़ा। दिव्या ने पूछा वापस कब आओगे अजय ने कहा काम खत्म होते ही आ जाऊंगा।
और इतना कह कर उसने बिना कुछ सुने दिव्या के आंसुओं को अपने प्यार का रुमाल दिए बिना ही फोन रख दिया। दिव्या फिर फोन रखने के बाद जोर-जोर से रोने लगी क्योंकि उसकी जिंदगी अजय था वह अब अजय के बिना एक पल भी जी नहीं सकती थी ।चाहते हुए भी क्योंकि उसने अपनी सांसे अजय के नाम कर दी थी। और इस तरह सप्ताह 10 दिन में कभी एक बार अजय का फोन आ जाता दिव्या और अजय दोनों कुछ बात करते लेकिन कुछ बात नहीं हो पाती थी क्योंकि दिव्या सिर्फ रोना और रोना जानती थी। वह अजय के बिना नहीं जी सकती थी। और इतना कह कर वह फोन रख देती ।और इस तरह जब भी फोन आता तो दिव्या एक ही बात अजय से पूछता वापस कब आओगे, वापस कब आओगे, तो अजय यही कहता आऊंगा जब अपने आप बता दूंगा। तुम आराम से रहो ।और मेरी चिंता मत करो ।इतना कह कर फोन रख देता। इस तरह 40 दिन बाद अजय आ गया। दिव्या नाराज थी ।लेकिन अजय ने फिर उसको गले लगा कर, उसके सामने आंसू बहाए और दिव्या ने उसे माफ कर दिया ।और कहा प्लीज अब मुझे छोड़कर कभी मत जाना,।बात आई गई हो गई और फिर उनके दिन बहुत अच्छे से प्यार से बीतने लगे। इस तरह प्यार से रहते रहते उनके बीच में बहुत सारा प्यार पनप गया था।और दिव्या तो जैसे उसे अपना पति ही मानने लगी थी और उस पर हक जताने लगी थी, वह हर समय अजय की सुरक्षा को लेकर चिंता रहती थी ।
वह अजय को हर पल उसके सही और गलत होने के बारे में बताती रहती थी। क्योंकि वह ऐसा सोचती थी कि अजय को कहीं प्यार नहीं मिला इसलिए अजय कहीं भटका हुआ है ।वह उसे हमेशा अपने प्यार का यकीन दिलाती रहती थी। और वह हर समय अजय को गलत होने पर टोकते रहती थी। एक 24 घंटे में लगभग 14 घंटे तो वह अजय के साथ ही बिताती थी। वह रात दिन अजय के प्यार में ही रहती थी ।वह सारी दुनिया से कट चुकी थी। सारी दुनिया को भूल चुकी थी ।उसको सिर्फ अब भाई बहन जिम्मेवारी लगते थे। प्यार और जीने की वजह तो उसे अजय लगता था ।और इस तरह उनका प्यार परवान चढ़ता गया और दोनों एक दूसरे पर अपने हक जताने लगे। लेकिन दिव्या तो अपने हक जताने की हर हद पार कर चुकी थी। और यह हक कभी-कभी अजय और दिव्या के बीच परेशानी का कारण भी बनता। दिव्या के पास सोचने के लिए अब सिर्फ अजय ही अजय था वह दुनिया की हर खूबसूरत चीज सिर्फ अजय के लिए चाहती थी अजय के कपड़ों से लेकर जूते तक की हर चीज दिव्या की पसंद की होती थी और अजय उसको पहन कर दिव्या के सामने इतराते रहता और दिव्या खुशी से फूला नहीं समाती थी । फिर एक दिन अजय दिव्या को एक घर दिखाने लेकर जाता है दिव्या कहती है वाव अजय कहता है तुम्हे पसंद आया मेरी जान ये घर अपना है मैंने कुछ पैसों का इंतजाम कर लिया है 15, 20 लाख रुपए कम पड़ रहे हैं। अगर कहीं से इंतजाम कर सको। तो हम दोनों का अपना घर होगा। हम दोनों उसे अपने प्यार से सजाएंगे ।दिव्या इतना सुनते ही बोली तुम चिंता क्यों करते हो 15 लख रुपए तो मैंने सेव कर रखे हैं कुछ तो पापा की एक्सीडेंट के आए हुए हैं और अपना घर हम ले लेंगे ।
दिव्या ने दूसरे ही दिन 15 लख रुपए अजय को बिना कुछ सोचे समझे दे दिए । दोनों रजिस्ट्री के लिए जब रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे तो रजिस्ट्री में सिर्फ अजय का नाम था। लेकिन दिव्या को कहां नाम की जरूरत थी दिव्या तो अपना नाम सिर्फ अजय के साथ जोड़ना चाहती थी। और दोनों ने घर की चाबी ली। अब तो दिव्या और अजय इस घर में जब चाहे तब वक्त बिताने लगे दिव्या अपनी कमाई से काफी कुछ उसे घर को सजाने लगी थी। और उसे घर को बहुत ही रंगीन बना चुकी थी। इस तरह बहुत अच्छे दिन बीत रहे थे। तभी अजय ने दिव्या को अपने गले से लगाते हुए कहा मेरी जान मैं कल यूएसए जा रहा हूं। दीदी की तबीयत बहुत खराब है, दिव्या इतना सुनते ही अजय से बहुत दूर हो गई । पागलों की तरह रोने, चिल्लाने लगी, कि नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते, तुमने मुझे कहा था तुम कभी छोड़कर नहीं जाओगे, तुम्हें पता है ना मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती हूं, फिर तुम क्यों मुझसे दूर रहने की बातें करते हो, अभी तुमने मुझे प्रॉमिस किया था कि तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगे, ना एक दिन, ना एक घंटा, लेकिन तुम कैसे अपने प्रॉमिस को तोड़ सकते हो ।तो अजय गुस्से में चिल्लाया और बोला कोई हमेशा के लिए थोड़े ही जा रहा हूं, बोल दिया ना ,जाना है ,तो जाना है, मैं अपनी बहन के घर नहीं जाऊंगा क्या? क्या फर्क पड़ जाएगा तुम्हारा, अगर मैं चला जाऊंगा तो, और दिव्या ने कहा तुमने प्रॉमिस किया था ना, अजय ने कहा तो क्या फर्क पड़ गया प्रॉमिस किया तो मुझे काम है तो, मुझे जाना ही पड़ेगा, दिव्या रोकर उसके पैरो में गिरकर गिड़गिड़ाने लगी प्लीज तुम मुझे छोड़कर मत जाओ मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगी मैं पिछले 40 दिन भूली नहीं हु वो बहुत बुरे सपने की तरह थे प्लीज मत जाओ, तुम जो कहोगे मैं वो करूंगी लेकिन अजय पर उसके रोने और गिड़गिड़ाने का कोई असर नही पड़ा ।और वह दरवाजा बंद करके चला गया। दिव्या भी अपने घर पर आ गई। सुबह 4:00 बजे अजय का फोन आया दिव्या ने फोन नहीं उठाया। तो अजय ने मैसेज किया मैं जा रहा हूं। अपना ध्यान रखना। दिव्या ने कुछ नहीं बोला। क्योंकि दिव्या सोच चुकी थी कि अब मैं अजय से जब तक वह वहां रहेगा तब बात नहीं करूंगी।
अजय का दिव्या को फोन आया दिव्या ने नहीं उठाया। इस तरह सप्ताह में कभी अजय का फोन आता मगर वह नहीं उठाती। फिर एक दिन अजय के फोन को दिव्या ने उठा लिया अजय ने कहा क्या है फोन क्यों नहीं उठा रही हो तो दिव्या ने कहा कि मैं फोन उठा कर क्या करूं, तुम्हारी मर्जी होती है तो, तुम बात करते हो ,नहीं मर्जी होती है, तो नहीं बात करते हो, और मेरे पास तुमसे बात करने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि मेरे पास सिर्फ आंसू हैं, में पल पल यहां मर रही हु मुझे ऐसा लगता है जैसे में इस दुनिया में रोने के लिए ही आई हु और एक दिन रोते हुए मर जाऊंगी, दिव्या ने कहा अब फोन और मैसेज मत करो। जब तुम आओगे तब बात करेंगे इस तरह 40 दिन तक हफ्ते में एक आध बार अजय के फोन आता और दिव्या उस फोन को देखती लेकिन उठाती नहीं। एक दिन अजय का मैसेज आया कि वह संडे शाम को आ रहा है।
दिव्या ने खुश होते हुए कहा ओके मैं खुशी से पांच दिन और तुम्हारा इंतजार कर लूंगी बस मुझे और छोड़कर मत जाना। दिव्या ने सोचा कि 40 दिन से हम लोग बहुत दूर हैं मैं भी उसके बिना कहां पर खुश हूं ।नहीं जी पा रही हूं अब वह आएगा तो मैं उसे शादी के लिए परपोज कर दूंगी। और अपने दिल में उसके लिए कोई मलाल रखना नहीं चाहती हूं। वह एक मॉल में उसके लिए गिफ्ट खरीदने गई तो उसने देखा कि वहां पर अंजू भी कुछ खरीद रही थी वह अंजू से परिचित थी क्योंकि अजय के फोन पर अंजू के प्रिय पति वाले मैसेज और उन दोनों की बहुत कुछ नजदीक की फोटो देख चुकी थी । उसने अंजू से बात की शायद दिव्याऔर अंजू दोनों एक दूसरे से पहली बार ही मिले थे लेकिन दोनों एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जानते थे तो दिव्या ने मुस्कुरा कर कहा हेलो अंजू जी कैसे हो अंजू ने कहा दिव्या जी ठीक हूं आप यहां कैसे तो अंजू ने कहा मैं यहां पर गिफ्ट खरीदने के लिए आई हूं तो दिव्या ने पूछा किसके लिए अंजू ने कहा आपको तो पता ही है कि मेरी जिंदगी तो सिर्फ अजय है मैं उसी के लिए गिफ्ट खरीद रही हूं दिव्या को तो लगा कि जैसे वह कोई बुरा सपना देख रही है ।
अंजू ने कहा आप और अजय तो सिर्फ दोस्त है ना दिव्या ने कहा किसने कहा आपसे कि हम सिर्फ दोस्त हैं ।,अंजू ने दिव्या से कहा चलो आओ किसी कॉफी शॉप में बैठकर बात करते हैं दोनों माल के कॉफी शॉप में बैठी अंजू ने अपना फोन खोलकर दिव्या को दिखाया यह क्या इसमें तो ,वही सारे मैसेज हैं जो अजय दिव्या को भी करता था और और अंजू से तो 25 लख रुपए भी अजय ने लिए थे यही कहकर कि हमारा घर है और उस घर में अजय और अंजू ने बहुत सारी रातें बिताई और दिव्या तो अपनी और अपने पापा की कमाई भी इस घर पर लगा चुकी थी जो अंजू और दिव्या दोनों का ही नहीं था। फिर दिव्या ने भी अपना फोन खोलकर अंजू को सब बताया देखो दोनो के साथ वो सेम गेम खेल रहा है अंजू को शायद कोई फर्क पड़ा, या नहीं, वो तो सिर्फ एक ही बात बार बार पूछ रही थी वो बार बार यूएसए क्यू जाता है तुमको कुछ पता हो तो प्लीज बताओ। दोनों के बीच में हुई बातों से दोनों अब अजय के बारे में जान चुकी थी कि अजय किसका है ,और किसका नहीं,। घर आकर दिव्या ने अजय को फोन लगाया और फोन अजय के भांजे ने उठाया और बोला दीदी मामा थोड़े बिजी हैं आपसे बाद में बात करेंगे दिव्या ने पूछा कहा बिजी हैं तो उसने कहा फोन रखो अभी बताता हू भांजे ने दिव्या को एक फोटो सेंड की हैपी वेडिंग एनिवर्सरी शालिनी और अजय। फोटो देख दिव्या को तो ऐसे लगा कि वह इस संसार को आग लगा देगी यहां फोटो किसी और कि नहीं बल्कि अजय की और उसकी पत्नी शालिनी की थी अब तो दिव्या के लिए कोई सवाल बचा ही नहीं था । दूसरे दिन उसने अजय के भांजे से बात की तो उसे पता लगा की मामा यानी अजय की यहां 8 सालों से शादी हो रखी है और अजय को यहां का ग्रीन कार्ड मिला हुआ है।
अब दिव्या को समझते देर नहीं लगी कि अजय साल में एक बार क्यों यूएसए जाता है और उसमें उन दोनों के बीच में हुई बात को अपने तक रखने को बोला और फोन रख दिया। अब दिव्या उठी और अपने कमरे की सफाई करने लगी तो दिव्या की मां ने पूछा क्या कर रही है तो उसने कहा मां पिछले कुछ समय से कमरे मे काफी कबाड़ इकट्ठा हो गया है बस उसे ही हटा रही हूं ताकि कमरा फिर से सजा सकू। और बहुत सारी चीजों को उसने एक थैली में इकट्ठा कर लिया था अब जब भी अजय का उसको फोन आता वह नॉर्मली ठीक-ठाक बात करती । ठीक पांच दिन बाद अजय आ गया। उसने दिव्या को फोन करके बोला कि मेरी जान मैं आ गया हूं और मैं तुम्हारे लिए इतने सारे गिफ्ट लाया हूं कि तुम सोच भी नहीं सकती और बोला तुम मुझे लेना क्यों नहीं आई तो दिव्या ने बोला मुझे कुछ काम था।अजय ने कहा मैं तुम्हारे लिए तड़प रहा हूं दिव्या ने कहा कोई नहीं मैं अभी थोड़ी देर में आती हूं दिव्या तैयार होकर अजय से मिलने के लिए रवाना हुई तो मां ने पूछा कहां जा रही है उसने कहा मां कोई काम काफी समय से अधूरा पड़ा है उसे निपटा कर आ रही हूं। दिव्या अजय के कमरे में गई अजय उसका इंतजार कर रहा था उसने कमरे को बहुत अच्छे से सजा रखा था और उसने दिव्या को गले लगाने के लिए जैसे ही अपना हाथ बढाया दिव्या ने कहा,’ मेरी जान गले लगाने की इतनी कहां जल्दी है पहले मैं तुम्हारे लिए कुछ गिफ्ट लाई हूं वह तो ले लो’ दिव्या ने उसकी टेबल पर उसकी और उसकी अमेरिकन पत्नी शालिनी की बहुत सारी फोटोस, और शालिनी से हर महीने मांगे जाने वाले पैसे, और अंजू से लिए गए 25 लाख के चेक की कॉपी, सारे के सारे कागज उसके सामने रख दिए और आज तक दिव्या को अजय ने जितने भी गिफ्ट दिए थे वह सारे के सारे लौटा दिए. अजय के तो यह सब देखते ही होश उड़ गए ।वह कुछ बोलता उसके पहले दिव्या ने सिर्फ एक ही बात कही ,’ भूल जाना कि तुम्हारी जिंदगी में कोई दिव्या नाम की लड़की आई थी, अब मैं ना तुम्हें जानती हूं, ना तुम मुझे’ अजय कुछ कहता उसके पहले दिव्या घूम चुकी थी दिव्या ने अपनी गाड़ी उठाई और आ गई .
आज पहली बार ऐसा हुआ कि दिव्या की आंखों में आंसू नहीं थे वरना एक छोटे से झगड़ा होने पर भी जब अजय से दूर होकर आती थी तो पूरे रास्ते रोती थी. आज तो अपनी पूरी जिंदगी से वह अजय को निकाल कर रख आई है और उसकी आंखों में एक भी आंसू नहीं था। शायद आज उसका इश्क का बुखार उतर चुका था।
दीपा टाक जोधपुर राजस्थान 9001866755