विंध्य की ऊंची श्रृंखलाएं पीतल के बर्तनों की सुमधुर ठक-ठक, दरी,गलीचों के ताने-बाने में बुनते हसीन सुनहरे सपनों के मध्य से प्रवाहित होती मोक्षदायिनी, पतित पावनी, शीतल, मनोहारी गंगा के तट पर बसा एक छोटा सा शहर मिर्जापुर। मिर्जापुर शहर दक्षिण और उत्तर उत्तर मध्य भारत वाराणसी से पहले दक्षिण पश्चिम में गंगा नदी के तट पर विंध्याचल की कैमूर पर्वत श्रेणियों में स्थित है। इसके आस-पास के क्षेत्र में उत्तर में गंगा के कछारी मैदान का हिस्सा और दक्षिण में विंध्य पर्वत श्रेणी की कुछ पहाड़ियां हैं। मिर्जापुर अर्थात लक्ष्मी का घर ।मिर्जापुर शहर दक्षिण-पूर्व उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर विश्व में
प्रसिद्ध विंध्य की पहाड़ियों के मध्य तथा मोक्ष दायिनी पवन पावनी गंगा के तट पर स्थित मिर्जापुर शहर,दरी,कालीन, पीतल उधोग तथा अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।झील औऱ झरनों के मध्य कल कल करता शीतल जल बरबस ही हमारे हृदय को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।
ऐतिहासिक महत्व -मीरजापुर शहर भारत का एक ऐसा शहर है जो क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से सबसे बड़ा शहर है।मिर्जापुर की स्थापना सम्भवतः 17वीं शताब्दी में हुई थी।1800 तक यह उत्तर भारत का विशालतम व्यापार केंद्र बन गया था।जब 1864 में इलाहाबाद रेल लाइन की शुरुआत हुई थी, इस वजह से धीरे-धीरे मिर्जापुर का पतन होना शुरू हो गया था, लेकिन स्थानीय व्यापार में इसका महत्व बढ़ता रहा।पुरातत्व की दृष्टिकोण से भी मिर्जापुर का बहुत ज्यादा महत्व है। आम तौर पर भारत के अधिकांश शहर ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा स्थापित किए गए थे। लेकिन प्रारंभिक विकास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी “लॉर्ड मार्कक्वेस वेल्सले” के सबसे प्रसिद्ध अधिकारी द्वारा स्थापित किया गया था।कुछ सबूतों के मुताबिक ब्रिटिश निर्माण की शुरुआत
बरीर (बरिया घाट )से हुई थी। लॉर्ड वेलेस्ले ने बंगाल घाट को गंगा द्वारा मिर्जापुर में एक मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में पुनर्गठित किया। मिर्जापुर में कुछ जगह लॉर्ड वेल्सले के नाम के अनुसार वेलेसले अर्थात जो मौजूदा दौर में वासलीगंज के नाम से जाना जाता है ।इसके अलावा मुकेरी बाजार, तुलसी चौक इत्यादि के नाम के रूप में घोषित किया गया ।नगर निगम की इमारत भी “ब्रिटिश कंस्ट्रक्शन” का एक अनमोल उदाहरण है। मिर्जापुर क्षेत्र में सोन नदी के तट पर लिखुनिया,भलदरिया,लोहरी इत्यादि मे सौ से अधिक पाषाण कालीन चित्रो से युक्त गुफाएं तथा शिलालेख प्राप्त हुए हैं।ये चित्र लगभग 5000 ई. पू. के हैं। भारत का अंतराष्ट्रीय मानक समय मिर्जापुर जिले के अमरावती चौराहे के स्थान से लिया गया है, जो हमारे लिए गर्व का विषय है। मिर्जापुर शहर अपने लाल स्टोन अर्थात लाल पत्थरों के लिए बहुत विख्यात है प्राचीन समय में इस पत्थर का मौर्य वंश के राजा सम्राट अशोक के द्वारा बौद्ध स्तूप तथा अशोक स्तंभ जो वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह भी है को बनाने में प्रयुक्त किया गया था वर्तमान में नवाबों के शहर लखनऊ के अंबेडकर पार्क परिवर्तन चौक तथा अन्य इसी तरह के इमारतों के निर्माण में मिर्जापुर के लाल पत्थरों का बहुतायत से प्रयोग किया गया है।
भौगोलिक महत्व- प्राकृतिक दृष्टिकोण से मिर्जापुर शहर भारतवर्ष में अपना एक अलग स्थान रखता है। समुद्र तल से शहर की ऊंचाई 80 मीटर है तथा सन 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 24,96,970 है । जिसमे सिर्फ पुरुष और महिला क्रमशः 1,31 2,302 और 1,1 8466 8 है । मिर्जापुर भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित एक शहर है। दिल्ली और कोलकाता दोनों से लगभग 650 किलोमीटर की दूरी है। इलाहाबाद से लगभग 87 किलोमीटर और वाराणसी से 67 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है आमतौर पर यहां के लोग हिंदी और मिर्जापुरी भाषा बोलते हैं ।मिर्जापुर शहर में 2079 गांव आते हैं ।एक समय था जब यह भारत का सबसे बड़ा जिला हुआ करता था पर समय के परिवर्तन के साथ कुछ क्षेत्र सोनभद्र जिले में और कुछ क्षेत्र भदोही में चले जाने के कारण इसका क्षेत्रफल घट गया ।आमतौर पर यहां का वातावरण बहुत ही खुशमिजाज रहता है ।गर्मी के मौसम में यहां का तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है तथा शरद ऋतु में यहां का तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक आ जाता है ।आद्रता के दृष्टिकोण से यहाँ 49प्रतिशत आद्रता रहती है।आमतौर पर यहां के किसान धान, गेहूं,बाजरा,मक्का, जौ तथा दलहन की खेती करते हैं।
व्यापारिक महत्व- मिर्जापुर जिला आमतौर पर दरी ,कालीन तथा गलीचो के शहर के नाम से जाना जाता है ।मिर्जापुर तथा उसके आसपास के क्षेत्र में मुख्य रूप से लोगों का यही व्यवसाय है। यहां की बनी दरी, कालीन एवम गलीचों को विदेशों में भी निर्यात की जाती हैं। राष्ट्रपति भवन के मुख्य हॉल में मिर्जापुर जिले की कारीगरों के द्वारा बनाई गई कालीन को फर्श पर बिछा कर कमरे को शोभा बढ़ाई गई है ।अभी हाल में ही फ्रांस के राष्ट्रपति को हमारे माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने शुभ हाथों से यहां के कारीगरों द्वारा बनाए गए कालीन को सप्रेम भेंट दिया। यहां के कारीगरों के कुशल हाथों से फूलों ,जानवरों तथा विभिन्न तरह की कलाकृतियों को इतनी सुंदर ढंग से बुना जाता है जो आश्चर्य का विषय है। इसके अलावा मिर्जापुर शहर
पीतल उद्योग के लिए भी जाना जाता है,आमतौर पर यहाँ घरेलू कार्यों में प्रयोग आने वाले पीतल के बर्तनों का निर्माण होता है। जिसको पूरे भारतवर्ष में भी भेजा जाता है ।कुछ बर्तनों का निर्यात भी किया जाता है यदि समय और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव बस अब यह उद्योग अपनी अंतिम सांसे ले रहा है पर फिर भी यह उद्योग मिर्जापुर की शान है और जिसकी वजह से आज भी संपूर्ण भारत में मिर्जापुर का नाम सम्मान के दृष्टिकोण से लिया जाता है।
धार्मिक महत्व- मिर्जापुर की पहचान विंध्याचल तीर्थ स्थान के कारण भी संपूर्ण भारत और विश्व में है शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विंध्य धाम विंध्याचल के ऐतिहासिक महत्व का वर्णन अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग रूपों में मिलता है शिव पुराण में विंध्यवासिनी मां को क्षति का अवतार माना गया है। तो श्रीमद्भागवत में नंद झा देवी कहा गया है मां के अन्य नाम कृष्णा निजा वन दुर्गा भी शास्त्रों में वर्णित है। इस महा शक्ति पीठ में वैदिक तथा वाम मार्ग विधि से पूजन होता है शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है। कि आदि शक्ति देवी कहीं भी पूर्ण रूप में विराजमान नहीं है विंध्याचल ही ऐसा स्थान है जहां देवी के पूरे विग्रह के दर्शन होते हैं शास्त्रों के अनुसार अन्य शक्तिपीठों में देवी के अलग-अलग अंगों की प्रतीक रूप में पूजा होती है पुराणों के अनुसार द्वापर युग में जब कृष्ण ने आकाशवाणी पर विश्वास करते हुए अपनी पुराणों के अनुसार द्वापर युग में जब कृष्ण ने आकाशवाणी पर विश्वास करते हुए अपनी भांजी का वध कर दिया था और उस नवजात कन्या का एक अंग इस पुणे धरती पर भी गिरा था लगभग सभी पुराणों के विंध्य महामात्य में इस बात का उल्लेख है कि 51 शक्तिपीठों में मां विंध्यवासिनी ही पूर्ण पीठ हैं नवरात्रि के दिनों में मां के विशेष श्रृंगार के लिए मंदिर के कपाट दिन में चार बार बंद किए जाते हैं सामान्य दिनों में मंदिर के कपाट रात 12:00 बजे से 4:00 बजे तक बंदे रहते हैं नवरात्रि के पावन पर्व पर महानिशा के पूजन का भी विधान है यहां अष्टमी तिथि पर वाम मार्गी तथा दक्षिण मार्गी तांत्रिकों का जमावड़ा रहता है आधी रात के बाद रोंगटे खड़े कर देने वाली पूजा शुरू होती है ऐसा माना जाता है कि तांत्रिक यहां अपनी तंत्र विद्या सिद्ध करते हैं कहा जाता है कि नवरात्रि के दिनों में मां मंदिर की पताका पर वास करती हैं ताकि इसी वजह से मंदिर में ना पहुंच पाने वाले लोगों को भी मां की सुख दर्शन प्राप्त हो सके विंध्याचल की पहाड़ियों में गंगा की पवित्र धाराओं की कल कल करती धनी प्रकृति की अनुपम छटा बिखेर दी है विंध्याचल पर्वत ना केवल प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा स्थल है बल्कि संस्कृति का अद्भुत अध्याय भी है इसकी माटी की गोद में पुराणों के विश्वास और अतीत के अध्याय जुड़े हुए हैं त्रिकोण यंत्र पर स्थित विंध्याचल निवासिनी देवी लोकगीत आए महालक्ष्मी महाकाली तथा महासरस्वती का रूप धारण करती है विंध्यवासिनी देवी पर्वत पर स्थित मधु तथा कैटभ नामक अश्रु का नाश करने वाली भगवती यंत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं कहा जाता है जो मनुष्य इस स्थान पर तप करते हैं उसे अवश्य ही सिद्धि प्राप्त होती है। विभिन्न संप्रदाय के उपासक ओं को 1 मार्च फल देने वाली मां विंध्यवासिनी देवी अपने अलौकिक प्रकाश के साथ यहां नित्य विराजमान रहती है ऐसी मान्यता है कि सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता यहां पर संकट मात्र से उपासक ओप्पो सिद्धि प्राप्त होती है इस कारण यह क्षेत्र सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है साथ ही यहां पर स्वयं शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ साक्षात शक्ति स्वरूपा इस पवित्र स्थल पर प्रकट हुई इसलिए यह शक्ति स्थल के नाम से भी विख्यात है जहां मां का नित्य निवास बना है आदि शक्ति की शाश्वत लीला भूमि मां विंध्यवासिनी के धाम में पूरे वर्ष दर्शनार्थियों का आना जाना लगा रहता है।विगत कुछ वर्षों में मिर्जापुर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है ।सरकार ने इस शहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने तथा भोजपुरी फिल्मों के शूटिंग के लिए भी उपयुक्त स्थान मानते हुए इसके विकास की योजना बनाई है। पिछले वर्ष देश में पहली बार फ्रांस के सहयोग से मिर्जापुर के दादर कला गांव में 75 मेगा वाट का सोलर एनर्जी प्लांट लगाया गया। तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमेल प्रधानमंत्री मोदी जी की अध्यक्षता में इसका उद्घाटन किया गया । 382 एकड़ की पथरीली जमीन पर बने इस सोलर एनर्जी प्लांट से मिर्जापुर और उसके आसपास के क्षेत्रों को लाभ प्राप्त होगा। कभी देश का सबसे बड़ा जनपद माना जाने वाला मिर्जापुर , अपने बगल के दो बड़े शहरों की वजह से हमेशा ही उपेक्षित रहा है और अन्य नगरों की अपेक्षा मिर्जापुर शहर बहुत सुविधा संपन्न नहीं है पर यहां के प्राकृतिक दृश्य झरनों का कल-कल करता जल स्वत: ही हमारे मन को आकर्षित कर देता है । यहां के लोगों का सादगी भरा जीवन और विश्व प्रसिद्ध कजरी की मधुर तान हमें किसी और ही दुनिया में ले जाती है।
नाम – डॉ. रंजना जायसवाल
लाल बाग कॉलोनी
छोटी बसही
मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
पिन कोड 231001
मोबाइल नंबर- 9415479796
Email address- ranjana1mzp@gmail.com