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फ़्रीडम -रश्मि

सुबह से शीला तरह-तरह के व्यंजन बनाकर बच्चों को खिलाती जा रही थी। साठ वर्ष की उम्र में वो पच्चीस वर्ष की लड़की की तरह फुर्तीली  हो गई थी। बहुत दिनों बाद सावन के महीने में उसके घर में बेटियों की हॅंसी गूॅंज रही थी। डिनर के लिए पूछने का विचार बना कर वह बच्चों के कमरे के बाहर पहुॅंची ही थी कि अन्दर से आती आवाज़ सुनकर वह ठिठक गई। उसकी बड़ी बेटी श्वेता अपनी मौसेरी बहन से कह रही थी- “सेम टू सेम यार! मम्मी भी छोटे कपड़े पहनने पर बहुत टोका-टाकी करती थीं। वे तो इंस्टाग्राम की हर पोस्ट पर भी सीख देने लगती थीं। लो-कट की ड्रेस हो या लाॅंग नेक का टाॅप, उनका लेक्चर चालू रहता था। “”तो तुमने इसका कोई हल निकाला क्या दी?” बहन की बिटिया ने चहकते हुए पूछा। “ऐसी कौन सी समस्या है जिसका हल इस श्वेता के पास नहीं?” कहते हुए श्वेता मुस्कराई।”बताओ न दी, कैसे बची तुम इस टोका-टाकी से?” “बहुत आसानी से! बस हर ऑनलाइन ग्रुप से  माॅं को ब्लाॅक कर दिया! वे भी फ्री, हम भी फ्री! अगर फ्रीडम चाहती हो तो यही तुम भी करो!” कहते-सुनते वे सब ठहाका मारकर हॅंस पड़ीं।

रश्मि लहर
इक्षुपुरी काॅलोनी,
लखनऊ-२ उत्तर प्रदेश
मो. 9794473806

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