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अपनी धड़कन के झूले पर, तुमने मुझे झुलाया।
पीड़ाओ को झेला, सहकर पल में उन्हें भुलाया।
खुद गीले में सो कर मुझको सूखी सेज सुलाया।
जाग जाग कर रात रात भर, अपनी गोद बिठाया।
पाला पोषा मुझको तुमने, अपना दूध पिलाया।
स्वयं भले भूखी रह जाती, मुझको मगर खिलाया।
संस्कार दीन्हे अच्छे अरु अच्छा पाठ पढ़ाया।
आन पड़ी हो कोई विपदा, उनसे मुझे बचाया।
कभी नहीं पड़ने दी मुझपे, दुःख की काली छाया।
दुःख की घड़ी में खुद रो ली पर,मुझको नहीं रुलाया।
मातु तुम्हारी ममता को मैं, अब तक समझ न पाया।
तुमसे अच्छा कौन है जग में,सब झूठी है माया।
विनय बंसल, आगरा
मोबाइल 9458060262