कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -4 कविता
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तू मेरी जिंदगी है तू मेरी रूह तक जुड़ी है,
मुझे अपना नहीं तेरा ख्याल है मुझे तेरी पड़ी है।
मैंने तुझे लेकर क्या-क्या ख्वाब नहीं देखे?
मेरी मोहब्बत को तुझसे उम्मीद बड़ी है।
बुरा सोचूं भी तो सोचूं कैसे से तेरे बारे में तू बता?
मेरे जेहन में तू है मेरे जेहन में तेरी मोहब्बत चढ़ी है।
हम मिलकर ही पूरे हैं, वरना हम दोनों अधूरे हैं,
पूरा होना हमारी नियति है, मिलना इसकी कड़ी है।
कोशिश एक दूसरे को थामने की कर,
दुनिया को ना थाम दुनिया तो नकचढ़ी है।
एक दूसरे में खो जाए एक दूसरे के हो जाएं,
सोच ना तू इतना, ये बहुत ही मुकम्मल घड़ी है।
तू मेरी बुनियाद है, मैं तेरा ही शिखर हूं,
मेरी जाना, तेरी जिंदगी पर मेरी जिंदगी खड़ी है।
हमसफर नहीं हमजाद हो गए हैं हम दोनों,
तेरी जिंदगी इस कदर मेरी जिंदगी से जुड़ी है।
मैं तेरे लिए बना हूं तुम मेरे लिए बनी है
मैं तेरी जिंदगी हूं ,तू मेरी जिंदगी है…..
ओमवीर करन पता-6/C रिसाली सेक्टर भिलाई जिला- दुर्ग छत्तीसगढ़ 490006