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पाओ बेशरम हँसी अनलिमिटेड- अरुण अर्णव खरे

मेरे एक मित्र हैं टेकचंद जो अपने इनोवेटिव आइडिया के लिये पहिचाने जाते हैं | उनका दिमाग बिना रनवे के भी ऊबड़-खाबड़ रस्ते से भी टेक-ऑफ कर लेता है और ऐसे-ऐसे जज्बाती, उत्पाती, खुरापाती तथा करामाती आइडिया लेकर लैण्ड करता है कि सब दाँतों तले उँगलियाँ दबाने लगते हैं | उनकी इसी खूबी के कारण ही मेरी मित्र-मण्डली बिना उनके सलाह के कोई काम नहीं करती | मुरारी जी के बेटे ने इण्डस्ट्रीयल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा पास कर लिया था और कोई स्टार्ट अप शुरू करना चाहता था | वह बेटे को लेकर सलाह लेने टेकचंद के पास गए और उन्हें सारी बात बता कर पूछा – “आपके विचार से कौन सी फैक्ट्री वर्तमान मार्केट के लिहाज से ज्यादा मुनाफेवाली होगी” टेकचंद ने इस बार बिना टेक ऑफ के ही सलाह दे डाली – “टूथपेस्ट की फैक्ट्री लगवा दो इसे” “टूथपेस्ट की फैक्ट्री .. पर इस फील्ड में तो पहले से ही बड़े-बड़े दिग्गज मैदान में है .. बहुत से बाबा और आयुर्वेदाचार्य भी इसमें हाथ आजमा रहे हैं .. इनके बीच कैसे नया टूथपेस्ट अपना स्थान बना पायेगा” – मुरारी जी ने अपनी आशंका व्यक्त की |
“ये तुम मुझ पर छोड़ो .. हम इसमें एक ऐसी चीज मिलाकर मार्केटिंग करेंगे कि लोग हाथों हाथ लेंगे इसे .. इसका एड भी हम बनवा देंगे” – टेकचंद बोले |”पर हम ऐसी कौन सी चीज मिलाएँगे इसमें .. पहले ही लोग लोंग के तेल से लेकर फ्लोराइड, पिपरमेण्ट, नीम, बबूल, एलोवीरा, नमक और चारकोल जैसा सब कुछ तो मिला चुके हैं .. हमारे लिए बचा ही क्या है मिलाने के लिए” – मुरारी जी अब भी टेकचंद की बातों से आश्वस्त नहीं लग रहे थे | पर चूँकि टेकचंद कह रहे थे सो उन्हें मानना पड़ा | उनके बेटे ने टूथपेस्ट बनाने की फैक्ट्री डाल ली | प्रि-लॉन्चिंग एड भी टेकचंद के निर्देशन में बनाया गया |स्क्रीन पर दो बालाएँ जो हॉफ से भी ज्यादा हॉफ पैंट में थीं और अपनी नारी-जनित लज्जा को भी छुपाने के प्रति घोर लापरवाह नजर आ रहीं थी, हाथों में टूथपेस्ट लेकर ठुमकती हुई इस घोषणा के साथ अवतरित हुई – “हम लेकर आ रहे हैं दुनिया का सबसे अद्भुत एलो-आयुर टूथपेस्ट .. ब्रेस .. इसमें न नमक है न कोयला .. न ही नीम है और न ही बबूल, इसमें अमचुर, आँवला और शहद भी नहीं .. इसमें है करामाती इपोमोएया जो आपको दे झकास दाँत और दिलकश दन्त निपोर मुस्कान | बस एक बार इस्तेमाल कीजिये और बन जाइए ब्रेस – ब्रेस – ब्रेस” एड देख कर मुरारी जी टेकचंद के पास दौड़े-दौड़े आये, बोले – “ये कैसा नाम और एड है, सब कुछ गड़बड़ है इसमें .. ब्रेस .. ब्रेस का मतलब तो निर्लज्जता होता है और आप लोगों को निर्लज्ज होने का संदेश दे रहे हैं .. इसमें पता नहीं ये क्या मिलवा दिया है आपने” “इस बार आधा सही समझे हैं मुरारी आप .. ब्रेस का मतलब यही है और इसमें हमने बेशरम की झाड़ियों, जिसका बोटनीकल नाम इपोमोएया है, का रस मिलाया है – यह नाम केवल भरमाने के लिए है .. जैसे बाजार में ढेर सारे दूसरे भरमाने वाले प्रोडक्ट हैं .. जवान रहने के लिए, गोरा होने के लिए, बाल उगाने के लिए, लम्बा होने के लिए .. तोंद घटाने के लिए और न जाने क्या-क्या | नाम पर कौन जाता है .. एड धाँसू हो प्रॉडक्ट अपने आप चल जाता है .. अपना एड भी कितना धाँसू बना है .. लोग-बाग इसी तरह के एड के दम पर गंजों तक को कंघियाँ बेंच देते हैं, और नपुंसकों को कंडोम .. हमें तो केवल दंत-मंजन ही बेंचना है .. इस बेशरम जमाने के लिये एकदम मुफीद प्रोडक्ट है यह | आप देखना लोग हाथों हाथ लेंगे उसे” – टेकचंद उत्साह से भरे हुए थे |
मुरारी जी एक बार फिर टेकचंद से असहमति दर्ज कराते हुए वापिस लौट आए लेकिन टूथपेस्ट बाजार में आते ही हंगामा बरप गया | समाज के हर तबके ने टूथपेस्ट को हाथों हाथ लिया | सीडी में कैद नेताओं और जेल जाते बाबाओं के लिये ये टूथपेस्ट वरदान सिद्ध हुआ .. इस टूथपेस्ट की बदौलत ही दोनों प्रेस और समर्थकों के सामने खीं-खीं कर हँस पा रहे हैं | किसान पिटने और गोलियाँ खाकर भी हँसने की हिम्मत दिखा रहे हैं मानो कह रहे हों हम तो अपनी दुर्गति करवा कर भी देश का पेट पालने की हिम्मत रखते हैं और आप अपनी नाकामी के लिये हम पर गोलियाँ बरसा कर बिना ब्रेस टूथपेस्ट के ही हँस रहे हो | जो मजदूर पहले काम छिन जाने से मुँह लटकाए घर में पड़े रहते थे अब हँसते हुए कह रहे हैं – हमें तो वैसे भी फाँकेकसीं की आदत है अब काम नहीं तो क्या .. आपकी सपने बेंचने की दुकान तो अच्छी चल रही है | बेरोजगार नौजवान भी ब्रेस टूथपेस्ट करके नौकरी ढूँढने घर से निकलते हैं और शाम को लौट कर “आज भी नौकरी नहीं मिली” का निराशावादी वक्तव्य भी हँसते हुए घर वालों को दे रहे हैं | अस्पताल में बच्चे मरते हैं और मंत्री जी हँसते हुए बताते हैं पिछले साल भी तो मरे थे | पुलिस वाले निर्दोष लोगों को गोलियाँ मार रहे हैं | भक्त गोडसे को पूज्य बता रहे हैं .. जनप्रतिनिधि अफसरों की दनादन धुनाई कर रहे हैं .. हाथों और मुँह में बंदूक दबाकर इतरा रहे हैं .. नशे में डांस का वीडियो बनवा कर सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं | सब इसी टूथपेस्ट की बदौलत |
सच ही कहा था टेकचंद ने .. बहुत ही धाँसू प्रोडक्ट बना है | मुरारी जी टेकचंद के गुण गाते नहीं थक रहे हैं .. वाह – एक बार ब्रश करो और पाओ बेशरम हँसी अनलिमिटेड | मुरारी जी जोर-जोर से हँसने लगे हैं | पत्नी झकझोरते हुए कह रही है – “एक तो बेटाइम सो जाते हो .. ऊपर से बेमतलब के सपने देख-देख कर घर को सिर पर उठा लेते हो |”मुरारी जी चौंक कर उठ बैठते हैं जैसे सुबह हो गई हो | अब वह वाश बेसिन के पास खड़े-खड़े ब्रेस टूथपेस्ट खोज रहे हैं |

अरुण अर्णव खरे

डी-1/35 दानिश नगर

होशंगाबाद रोड, भोपाल (म०प्र०) 462 026

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