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बिखरते सपने-आशा झा

कमलेश द्धिवेदी लेखन प्रतियोगिता 05

प्रतीक का मन सिर्फ पढ़ने और पढ़ाने में लगता था । उसने उसी दिशा में कदम बढ़ाने शुरू किये । परंतु अचानक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल जाने से परिवारिक आदेशानुसार नौकरी ज्वाइन करली परंतु मन नही लगने के कारण छोड़कर पुनः अपने शहर आकर प्राइवेट कालेज में पढाने लगा । अध्ययनरत छात्रो मेहनत करके पढ़ाने के कारण इतना अधिक मान सम्मान दिया कि वह उसी में रम गया । माँ ने कहा बेटा तुम्हारा भविष्य प्ररवेट कालेज में अध्यापन कराने से असुरक्षित रहेगा प्रतियोगी परीक्षा में उतीर्ण हो बिजली विभाग में इंजीनियर बनगया परंतु मन को सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी  संतुष्टि नही मिली । प्रतीक नौकरी तथा कर्मस्थल पर दैनिक आनाजाना करने पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के साथ साथ अध्ययनरत रहा । आखिर वह दिन भी आया जब सरकार ने इंजीनियरिग महाविद्यालयों के लिये प्रोफेसर की नौकरी के लिये विज्ञापन निकाला । प्रतियोगी परीक्षाओं में मेरिट बेस में सबसे उपर तीनो श्रेणियों में प्रतीक का नाम था उसकी खुशी का ठिकाना न रहा । वह पूरी तैयारी के साथ इंटरव्यू देने सारी औपचारिकतायें पूरी करने के बाद बहुत अधिक आत्म विश्वास के साथ उत्साहित होकर गया । परन्तु उसे इंटरव्यू देने के लिये अयोग्य घोषित किया गया कारण बताया गया कि वह इलेक्ट्रानिक और इलेक्ट्रिकल मे बीई और इलेक्ट्रिकल में एमई है । प्रतीक की समझ में कुछ नही आ रहा था वह अंचभित होने के साथ साथ बहुत दुखी था जो कारण उसे इंटख्यू में शामिल नही होने देने के लिये बताया जा रहा था ।
वह किसी भी द्धष्टिकोण से सही नही था । परंतु वह उस समय उन बड़े पदो पर आसीन भ्रष्टाचारी  अधिकारियों से बहस भी नही कर सकता था । दूसरे ही दिन परीक्षा में कम अंक पाने वाले छात्रो की पदो पर नियुक्ति हो गई । पीएससी से पदो की नियुक्ति दो दिन में हो जाना सबसे बड़े आश्चर्य की बात थी । न्यायालय में जज भी भ्रष्टाचार के शिकार हो गये। प्रतीक के सपने योग्य होने के बाद भी उसकी आँखो के सामने एक एक कर टूटकर बिखर गये । अवसाद की स्थिति बनने लगी परंतु माता पिता का साथ व ईश्वर पर अटूट विश्वास ने परिणाम बिगड़ने से बचा लिया । इस वर्ष के पीएससी में भी घांधली होने का पर्दाफाश चुनाव नजदीक होनेके कारण हो गया । परंतु प्रतीक के सपनो को बिखरने से नही बचा सका । अपराधियो को समय ने सजा दी परंतु प्रतीक का समय समय नही लौटा पाया । प्रतीक के सपने की बलिचढ़ गई ।

आशा झा
दुर्ग छतीसगढ़ 491004

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