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साहित्य सरोज पत्रिका त्रिदिवसीय कला महोत्सव -ज्‍योति किरण रतन


जब भी किसी कला, साहित्य संस्कृति महोत्सव की बात होती है तो गहमर वेलफेयर सोसायटी और साहित्य सरोज पत्रिका के त्रिदिवसीय कला महोत्सव की बात जरूर होती है ।हो भी क्यों न,भी अखंड प्रताप सिंह गहमरी के द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम अद्भुत विशेषताओं के साथ लेकर चलता है । जैसे यह आयोजन ठंड की चरम सीमा के करीब पहुंच कर होता है 23 दिसंबर से 24 दिसंबर।
दूसरे यह आयोजन एकल व्यक्ति द्वारा आयोजित, संयोजित और पोषित किया जाता है। नहीं समझे तो ऐसा है की अखंड प्रताप सिंह गहमरी ही अकेले बिना किसी सरकारी,गैर-सरकारी सहायता के इस कार्यक्रम को आयोजित करते हैं । मात्र आयोजित तक सीमित नहीं होता है यह कला महोत्सव इसमें आने वाले सभी साहित्यकारों, कलाकारों को घर जैसा वातावरण,और सम्मान घरेलू ग्रामीण परिवेश के पारम्परिक स्वादिष्ट व्यंजनों से भरपूर भोजन के मिलता है। कहने का तात्पर्य है की साहित्य, संस्कृति ,कला के साधकों को वीर सैनिकों की भूमि गहमर में आते ही उन्हें आयोजक अखंड प्रताप सिंह गहमरी स्वयं स्टेशन से लेने आने से लेकर छोड़ने तक साथ रहते हैं ।ऐसा है गहमर वेलफेयर सोसायटी का कला महोत्सव।‌मै पिछले तीन वर्षों से इस कला महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हूं।हर बार कुछ नया सीखने ,जानने को मिलता है। इस वर्ष संस्मरण लेखन विधा में कार्यशाला मे‌‌ सीखने को मिला। विशेष तौर पर मेरे साथ गयी कनक वर्मा ,डा अपूर्वा अवस्थी,निशा मोहन, गीतिका श्रीवास्तव, रीता श्रीवास्तव संग ईशा रतन मीशा रतन की शिष्या और मेरी भतीजी जान्हवी अवस्थी के साथ मिले सम्मान ने महोत्सव का आनंद बढ़ा दिया। जहां सम्मान से लखनऊ का मान बढ़ाने‌ की प्रसन्नता थी तो गहमर में आयोजित कला महोत्सव में अपनी कला से पहचान पाने का आत्मसुख ।जिसने लखनऊ सहित कुछ महिलाओं को अपनी दैनिक दिनचर्या से हटकर नयी उपलब्धि जीवन में संग्रहीत करने का अवसर प्राप्त हुआ। लोक कलाकार के लिए मुझे ज्योति किरन रतन श्रीमती सरोज सिंह साहित्य सरोज सम्मान-23 और जैसे कनक वर्मा, डा.अपूर्वा अवस्थी, गीतिका श्रीवास्तव, निशा मोहन, रीता श्रीवास्तव व जाह्नवी अवस्थी को गोपालराम गहमरी सम्मान से गहमर गाजीपुर में सम्मानित किया गया। विगत आठ वर्षों से त्रिदिवसीय महोत्सव होता आ रहा है। लेकिन पहली नवें महोत्सव पहली बार ऐसा हुआ की एक साथ लखनऊ की सात महिलाएं सम्मानित हुई।
जिन जासूसी उपन्यासकार गोपाल राम गहमरी स्मृति में यह आयोजन होता है उनके बारे में भी जानना भी आवश्यक है।
उन्होंने दो सौ से अधिक उपन्यास, सैकड़ों कहानियां व गीत हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में लिखने वाले पहले हिन्दी जासूसी उपन्यासकार और पत्रकार भी थे।
इस साहित्य सरोज पत्रिका कला महोत्सव के नवें पायदान में आठ प्रदेशों के साहित्यकर्मी ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की । जैसा आयोजक ने बताया कि बीते वर्षों की तरह इस वर्ष भी हिन्दी काव्य, गद्य, समाजसेवा, लोक संस्कृति, भाषा-बोली, रंगमंच, गैर हिन्दी भाषी क्षेत्र में रहकर हिन्दी में कार्य एवं उसके प्रचार प्रसार व विदेशो में रह कर हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए कुल 40 सम्मान दिये गये।इस वर्ष विधा अनुसार सम्मान पाने वालो में संतोष शर्मा, डा.लक्ष्मीराज उज्जैन, कुमारी ईशिका उज्जैन, विनोद कुमार विक्की खगड़िया, क्रिस्टल किसलय, ज्योति कुशवाहा गाजीपुर, प्रियंका खंडेलवाल मथुरा, तारिका खंडेलवाल मथुरा, ओम जी मिश्र लखनऊ, राजेश कुमार भटनागर जयपुर, डाक्टर पुष्पा सिंह नई दिल्ली, दया शंकर प्रसाद प्रयागराज, मीना सिंह मध्यप्रदेश, गोपकुमार मिश्र जयपुर, डा.बृजेशकुमार गुप्त महोबा, संतोष शर्मा शान हाथरस, हिन्दू राजन भोपाल, शशिकांत मिश्र पूर्वी चम्पारन, डा.पंकज सिंह पटना, डा.निशा शर्मा बरेली, कुमकुम काव्यकृति मुंगेर, विनय राय बबुरंग गाजीपुर, गणेश शर्मा विद्यार्थी आगरा, प्रणाम पर्यटन लखनऊ, सुनीलदत्त मिश्रा बिलासपुर, डा.आलोक प्रेमी बांका सहित अन्य को सम्मानित किया गया। इस त्रिदिवसीय महोत्सव में विभिन्न विधाओं जैसे साहित्य, कला और भाषा पर परिचर्चा, पुस्तको का लोकार्पण पुस्तक मेला, चित्रकला प्रदर्शनी, लोक गायन, लोक नृत्य, वादन, सम्मान समारोह, कवि सम्मेलन, लघुकथा प्रतियोगिता एवं साझा संग्रहों का लोकार्पण भी हुआ। यह सब तो आयोजन में हुआ ।मेरी भागीदारी प्रारंभ हुई संस्मरण लेखन विधा कार्यशाला संचालन से जिसमें लोगों को‌ बुला कर उनके विचार जानने का मौका मिला। अपराह्न में स्वादिष्ट दाल‌ चावल सब्जी सलाद का भोजन करने के बाद सेहत की चिंता ना करें हमें बताये हम देंगे समाधान ऐसे विचारों के साथ ममता सिंह अपनी टीम के साथ मंच पर थी । मैं लखनऊ से जिन महिलाओं के साथ गयी थी एक दिन पहले दिन भर की भागदौड़ और रात की यात्रा के बाद सुबह सुबह सभी के कहने पर गंगा स्नान के लिए गंगा घाट पर जाने की तैयारी कर ली । लेकिन आयोजक अखंड गहमरी को जैसे ही पता चला हमारी योजना का उस मर गंगा जल डालकर मुझे फोन पर सख्त हिदायत दी गंगा घाट ना जाने की मैंने तुरंत नीचे भगौने में गर्म होते पानी को जान्हवी से मंगाया और तुरंत स्नान करके तैयार हो गई। लेकिन अन्य महिलाएं ना मानी मैंने भी अभिव्यक्ती और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को ध्यान करके इतना हीं कहा की आयोजक ने मनाकर दिया घाट जाने से। पर स्त्री हट कैसे मानता चल पड़ी सभी नीचे लेकिन अखंड गहमरी जी की नजरों से बचना आसान नहीं नीचे जाते ही एक ही आवाज सुनाई दी कोई नहीं जायेगा गंगा घाट सभी कल‌ जायेगे। ।मेरी जिम्मेदारी है घाट पर तैराक नाव‌ वाले सभी होंगे आज नहीं ।मुझे मन ही मन हंसी आई सोचा भी यह लो हो गया काण्ड। अब इन सभी महिलाओं की बातें लखनऊ तक सुननी पड़ेगी । लेकिन जब सब उपर कमरे में आयी तो मैंने अंजान बनकर पूछा क्या हो गया।तो। डा अपूर्वा अवस्थी हंसते-हंसते बोली हुआ क्या डांट पड़ी भगा दिया वापस उपर । उनकी हंसी देख कर मेरी सांस में सांस आई।चलो इनन लोगों ने बुरा नन्ही माना। इनकी जगह बुआ ,फुफा होते तो तब तो कांड पक्का था ।खैर सबने उसी गर्म होते भगौने पर आश्रित होकर गर्म पानी मंगवाकर स्नान के सत्र को समाप्त किया।सभी लोग चाय की चाहत में इधर-उधर देखने में लगे थे‌ तो चाय की चाहत अखंड गहमरी को बता दी । एक तरफ आयोजक, दूसरी तरफ पति फंसा हुआ बेचारा आयोजक खुद ही चल‌ पडा घर की रसोई की तरफ़ क्योंकि पति तो ठंड में सुबह सुबह पत्नी से यह कह नहीं सकता की एक आ‌ध नहीं सात महिलाओं के लिए चाय बना दो । चोरी-चोरी चुपके-चुपके घर की रसोई से चाय बना कर लाई जिसमें एक चाय मुझे भी मिलेगी इस दबी इच्छा साथ लिए सहयोग किया लखनऊ के ही ओम जी मिश्रा ने। चाय के बाद कुछ अच्छा महसूस हुआ। दिनचर्या जैसा उपर बता चुकी हुं क्या हुआ सबके चक्कर में नाश्ता की देर हो गयी । पोहा जलेबी में मेरी पसंद की जलेबी ससुराल से विदा हो गयी। मतलब मुझे नहीं मिली। एकादशी के कारण समझ नहीं आया की खाऊं की ना खाऊं
लेकिन माखन चोर‌ पेट के कृष्ण ने कहा खा ले‌ कल से। भूखी हो कब तक रहोगी तो पोहा पेट के हवाले किया। जा कर मंच संभालने का अवसर मिला संस्मरण कार्यशाला का। परिचय, स्वागत संस्मरण लेखन विधा कार्यशाला के बाद। दोपहरी का भोजन का बुलावा आया। एक बार फिर एकादशी में दाल चावल सब्जी सलाद का द्वंद। फिर वही भजन और भोजन का संग्राम में भोजन बिना भजन नही जीता। खाने के बाद कुछ आराम करने का विचार करके सभी कमरे की तरफ चले तो साउण्ड सिस्टम चीखा बोला कहां चली।अभी ममता सिंह आ रही है । स्वास्थ्य की अच्छी अच्छी बातें बताने ।
ठीक है चल दिए पंडाल में लेकिन लगातार पिछले तीन दिनों से रात दिन काम करने के कारण मेरे शरीर का तापमान बढ़ गया। आयोजक से कहना ठीक नहीं लगा । तो उठकर कमरे में बैठ गयी कनक वर्मा दीदी को कुछ लगा उन्होंने मुझे दवा दी जिससे ठंड में चढ़ी गर्मी कम हुई खत्म नहीं हुई।
शाम को मेरा मनपसंद सांस्कृतिक कार्यक्रम होना शुरू हुआ फिर से साउण्ड सिस्टम मेरी आवाज़ सुनाने को बेचैन हो उठा । फिर शुरू हुआ डा अपूर्वा अवस्थी,निशा मोहन गीतिका, रीता श्रीवास्तव,कनक वर्मा के लोक गीतों की श्रृंखला।
जान्हवी अवस्थी का नृत्य बांसुरी वादन, मेरे हाथ में माइक , मेरे पैर खड़े खड़े थक गए ।बोले चल थोड़ा नृत्य कर लें आराम मिलेगा फिर क्या चढ़ गयी मैं भी अवध के रंग दिखाने। पूर्व मंत्री संगीता बलवंत मुख्य अतिथि बन सामने थी मैं डरी नहीं बिंदास अपने अवधी रंग दिखाने।
वह भी कम नहीं मंच पर आशीर्वाद देने को बुलाया माइक पर कब्जा कर लिया उनके आशीर्वचनों के लिए उनकी किताब देख कर सभी डर गये की क्या पूरी पुस्तिका बांचेगी ‌। खैर पन्द्रह मिनट में हम सब पर कृपा हुई।उनके साथ समूह में फोटो लेकर जाने दिया। रात्रि भोजन के बाद सभी काव्य पाठ के लिए मिले ।तब जाकर सोना को मिला। तब तक शरीर का तापमान फिर खौलने को तैयार हो गया। फिर से एक गोली दी गयी कनक दीदी ने फिर सुबह होने पर पता चला ग़ंगा स्नान की पत्रिका विचार‌ ली गयी है।सभी घाट चलेंगे ।गर्म पानी के भगौने ने चैन की बंसी बजायी जाओ मां गंगा के तट मैं यही चढ़ा हूं जब तक बिना आग के ।
गंगा में डुबकी लगाने से पहले सभी डरे की ठंड लग जायेगी जब पैर‌रखा गंगा जल‌मे तो ‌ पता ही नहीं चला कब सबने सिर तक डुबा दिया। बहुत आनंद आया गहमर की स्वच्छ गंगा में स्नान करके। मेरे शरीर का तापमान शून्य हो गया। वह भी इतना की कोट उतार कर रख दिया। वहां से सभी चले माता कामाख्या देवी के भवन की ओर। दर्शन लाभ लेकर बैठ गया गए सत्संग में मंदिर महंत के दरबार में।
वहां फिर काव्य पाठ की झड़ी लगी । पहली बार मंदिर महंत का आशीर्वाद पटके और प्रसाद के साथ मिला। मंदिर परिसर में ही सुबह की चाय और नाश्ता किया गया।वापस आकर कहानी वाचन सुना गया। लोक गीतों की बात कही गई गीतिका जी के लोक गीत नौकरी पावा तीन सभी ने बहुत पसंद किया।
स्कूल की नौकरी के कारण सभी को जल्द निकलना था। सभी‌ का सम्मान कार्यक्रम होने के जिसमें आयोजक अखंड गहमरी जी अपने भतीजे के साथ स्टेशन तक छोड़ने आये ।
पहले गहमर से दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन फिर वहां से लखनऊ की यात्रा सम्पन्न हुई।सभी को सम्मान के साथ मिले घरेलू माहौल ने विवाह अवसरों पर मिले जनवासे की पुरानी यादें ताजा कर दी कैसे सभी एक कमरे में जमीन मे‌ पडे रहते थे । शानदार अनुभव अनुभूतियो के साथ सभईज्ञनए आयोजक अखंड गहमरी का धन्यवाद किया।

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