आप सभी को अखंड गहमरी का प्रणाम किसी भी आयोजन के प्रारंभ से लेकर स्थगन तक इतने चरण होते हैं जिन्हें पूरा करते करते समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता। 9वां गोपालराम गहमरी साहित्य एवं कला महोत्सव 2023 भी उससे अछूता नहीं रहा। दिनांक 09 सितंबर 2023 निकली अधिसूचना निकली, सम्मान सूचना, कार्यक्रम सूचना, सम्मान सूची,आयोजन की रूपरेखा एवं तैयारी जैसे रास्तों से गुजरते हुए हम 22 से 24 दिसम्बर तक एक पड़ाव पर रूके और फिर यादों को समेटे अपने-अपने सफ़र पर निकल गये।
संतोष शर्मा शान जी के आगमन से शुरू हुआ अतिथि समागम राजेश भटनागर जी जो हर लोकगीत गायक के वादक बने थे और जिनका उप नाम दिलफेंक पड़ा के जाने पर आंगन सूना हो समाप्त हुआ। जैसा कि परिवारों के आयोजन में होता है कोई रूठा तो कोई माना, कोई काम किया तो कोई आंख ततेरा वैसा ही इस कार्यक्रम में भी हुआ। गोप दादा की मौजूदगी से ऐसा लग रहा था कि कार्यक्रम को उसका सर मिल गया है, डरने की कोई बात नहीं है, आगे कोई बड़ा खड़ा है। इस लिए मैं बहुत ही रिलेक्स मोड में चल रहा था। भटनागर जी, ओम जी मिश्रा, संतोष शर्मा शान और प्रियंका खंडेलवाल जी की टीम ने माहौल को खुशनुमा बनाये रखा, हमेशा हसते-शरारत में नज़र आये। पागल जी अपनी गंम्भीर छवि को बरकरार रखने में पूरी तरह सफल रहे। उनके संचालन करते समय माइक पर जाने में मुझे भी डर लगता। प्रियंका जी का फोटोग्राफी के विषय में सवाल पूछना अच्छा लगा। उनके द्वारा उस पर चर्चा अच्छी लगी। प्रियंका जी के मम्मी-पापा आदरणीया मोहन लाल जी और पुष्पा खंडेलवाल जी हर समय दर्शक दीर्घा में बैठे किसी भी भूमिका के लिए रिजर्व बल पुलिस की तरह तैनात थे। आगरा के बाह तहसील से आये गणेश शर्मा विद्यार्थी जी भी मेरी ही कटैगरी के थे, वो भी पान वाले मैं भी पान वाला। कविता पाठ करते समय बार बार हाथ को मुछों दाड़ी की तरफ लाने की आदत और बुलंद आवाज मेरे मन को छू गई।
सुनील दत्त मिश्र जी, मुंगेर से आई कुमकुम काव्यकृति जी ये मेरे पिता जी के टीम में थे, बस हर प्रोग्राम में उपस्थिति और फिर मड़ई में। सुनील दत मिश्र जी फिल्म वाले थे तो हमेशा हसते बोलते नज़र आते और कुमकुम जी अध्यापिका इस लिए हमेशा गंम्भीर अटैनशन वाली मुद्रा में। मास्टर माइंड तारिक और मिस्टी अपनी जगह पर शरारत कर शरारत का कोटा पूरा करना चाह रहे थे, मगर शरारत उनसे जीत गई। शरारत वह कर नहीं पाये। बरेली से आई निशा शर्मा जी किसी शादी में आये फूफा की कमी को पूरा किया और कहानी वाचन से खुद को हटा ली। इंदौर की डॉ रश्मि राज वर्मा जी ने गुरु भक्ति पूरी तरह निभाई और अपने गुरु डाक्टर संदीप अवस्थी जी के द्वारा सौपें प्रोजेक्ट को पूरा किया। घूमने और कार्यक्रम के चरणों का आनंन्द लिया।
24 दिसम्बर को बांका बिहार से आये आलोक प्रेमी जी पूरे दो घंटे स्टेशन से मेरे घर, मेरे घर से स्टेशन करते रहे, पता नहीं क्योंकि वह आ नहीं रहे थे, बाद में पता चला कि उनकी नवविवाहिता धर्म पत्नी जी का मोबाइल डिस्चार्ज था, जिससे वह स्टेशन उतरने के बाद अगला कदम उठाये की स्वीकृति नहीं ले पा रहे थे, जब फोन चार्ज हुआ, चरण वंदना किये, घर में प्रवेश का आदेश स्वीकृत कराये, परमिशन मिला तो सीधे मां कामाख्या धाम पहुँचे और वहां से आने के बाद मेरी वाइफ होम से कहा कि हम कार्यक्रम में नहीं सवासिन के घर आये हैं इस प्रकार वह हमारे ऐसे रिश्तेदार हो गये जो रक्षाबंधन में हमारे घर आयेंगें, और हम करवा चौथ और होली पर उनके घर जायेगे। अंग्रेजी के अध्यापक अंग्रेजी के लेखक और सनातनी परम्परा के निर्वाहक बांदा के डाक्टर बृजेश कुमार गुप्त जी के बारे में क्या कहना उनका तो जयमाल के समय यानि काव्यपाठ के समय ही कैमरे के गर्लफ्रैन्ड का फोन आ गया और वह इल्लू इलू करने में इतना मस्त हुआ कि उनका काव्यपाठ ही रिकार्ड नही हुआ। यही कुछ हालत प्रयागराज से पधारे दयाशंकर जी का भी हुआ। दयाशंकर जी एक अध्यापक है लेकिन इस समय खुद से परेशान हैं, पढ़ना तो लम्बी कविता चाहते थे लेकिन मेरे कहने पर लम्बाई कम किया, भावुक प्रवृति के दयाशंकर जी अपनी ही दुनिया में मस्त दिखे। लखनऊ से आये किसलय दुबे जी ने का तो क्या कहना, दिन में पीहर और रात में ससुराल की दर्ज पर वह दिन भर कार्यक्रम में रहते और रात में बक्सर बिहार पहुँच जाते, उन्होनें तो यूपी बिहार दो दिन में एक दिया था।
खगड़िया से आये विनोद कुमार विक्की व्यंग्य लेखन के साथ साथ एक हसमुख आदमी हैं, दर्शक दीर्घा में बैठ बातों को गंम्भीरता से सुनना और उनकी आंखे वक्ता के आंख से आंख मिला कर प्रक्रिया देती नज़र आती थी। लखनऊ से आई डा0 कनक वर्मा, डा.अपूर्वा अवस्थी, गीतिका श्रीवास्तव, निशा मोहन, रीता श्रीवास्तव और ज्याति किरण रतन जी ने अपनी टीम का बनाने का पूरा मजा लिया, गंगा स्नान से लेकर नाव भ्रमण एवं मंदिर तक गीतों का गुनगुनाना, गीतों का गाना, घूमना फिर और फिर सो जाना एक अपनी अलग ही दुनिया थी, लेकिन विश्व का आठवां आर्श्चय भी एक नहीं दो नहीं तीन नहीं पूरे आधा दर्जन महिलाएं एक साथ बैठती लेकिन चुपचाप, शांति से। कुमारी जाहवी अवस्थी का कि मुझे जो जरूरत होती है मांग लेती हूँ स्पष्टवादिता अच्छी लगी। पूर्वी चम्पारन से आये पंडित निराला स्वामी अपने कार्यक्रम के लिए महिला तलाशते दिखें लेकिन किसी के तैयार न होने से उनका कार्यक्रम नहीं हो पाया जिसका अफसोस रहा।
गाजीपुर से आई ज्योति कुमारी और रवीना ने शायद इस मैसेज को ठीक से नहीं पढ़ा था कि कार्यक्रम केवल सनातन धर्म के अनुयाईयों के लिए था, लेकिन कार्यक्रम बीत जाने के बाद उन दोनो से काफी लम्बी बात किया, काफी कुछ समझाया, क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो भविष्य बतायेगा। हा ना हा ना और कई आरक्षण निरस्त होने के बाद पहली बार अपनी ससुराल पहुँची मीना सिंह और दिल्ली से गहमर देखने आई नारायणी संस्था की अध्यक्षा पुष्पा सिंह विसेन जी न सिर्फ कार्यक्रम का हिस्सा बनी बल्कि गहमर गांव को घूमने और यहां के लोगों से मिलने और लोगो से बात करने का मौका नहीं छोड़ी। इस प्रकार सबने अपने-अपने हिस्से का सहयोग बढ़ चढ़ कर किया। हर कोई आयोजक था, संयोजक था, अपनी जिम्मेदारी समझने वाला था।
पत्रिका के दो पदाधिकारी पागल जी और कुमकुम काव्यकृति जी के आने से संपादक मंडल की उपस्थिति भी पूर्ण हुई थी। कार्यक्रम के दौरान फिटनेस एवं रोजगार कार्यक्रम में गौरी शंकर सिंह, राजू सिंह, हरिशचन्द्र सिंह, धर्मराज सिह, संजय सिंह एवं मनोज सिंह की उपिस्थती में मेरी पत्नी एवं धमेन्द्र सिंह द्वारा आयोजित कार्यक्रम न सिर्फ सफल रहा बल्कि अतिथियों को भी फिटेनस एवं रोजगार का लाभ दें गया, आशा है कि सभी उसका फायदा उठायेगें। कार्यक्रम में एक आदमी पीछे से सहयोग कर रहा था उसका नाम है आदरणीया रितु माथुर प्रयागराज से आनलाइन कार्यक्रम को पूरी तरह संभाले वह कार्यक्रम के हर आयोजन पर नज़र रखी थी।इस बार कार्यक्रम में हमारे तीन बुजुर्ग दम्पति जिनका जयमाल विवाह के समय नहीं हुआ होगा यहां मैं शायद शब्द का प्रयोग कर रहा हूॅं, उनका जयमाल कार्यक्रम के मंच पर कराया गया। जिसमें
गोप दादा, पुष्पा मां और कुमकुम काव्यकृति जी थी।