मैं भी मूलत गाज़ीपुर जिला के कासिमाबाद ब्लाक के सिधागर घाट गांव का रहने वाला हूं। मैंने गहमर गांव के बारे में बचपन से ही सुन रखा था ।मेरे मन में गहमर गांव को देखने की इच्छा बचपन से ही थी। अपने गांव के लोगों विशेष रूप से जो फौजी है उनके मुख से “फौजियों की भूमि “के बारे में सुनकर वहां की पावन मिट्टी को माथे पर लगाने की इच्छा होती । अंततः मां कामाख्या की इच्छा से मैं वीरों एवं साहित्यकारों की भूमि को परम आदरणीय श्री अखंड गहमरी जी की कृपा से देखने के सपने को साकार करने में सफल रहा। मैं गहमर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित ९वां गोपाल राम गहमरी साहित्य एवं कला महोत्सव और कार्यक्रम में शामिल हुआ ।इसमें मेरी पुस्तक देहगध को पुस्तक सम्मान से नवाजा गया। यह मेरे लिए स्वर्ग की अनुभूति से कम नहीं जिस तरह से आदरणीय श्री गहमरी जी ने हम लोगों के ठहरने, खाने-पीने की व्यवस्था की थी उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है ।आदरणीय सर जी ने अत्यंत थके होने के बावजूद भी पूरा समय देकर जिस तरह से स्नान, दर्शन, पूजन करवाया वह जीवन
भर याद रहेगाआप द्वारा साहित्य एवं साहित्यकारों के लिए किया जाने वाला
प्रयास निश्चित रूप से साहित्य के शिखर को छूएगा
मेरी कविता” वीर भूमि गाजीपुर “की कुछ पंक्ति:
गहमर शेरपुर व रेवतीपुर में ,
भारत की आधी रहती फौज,
आल्हा ऊदल की सुन गाथा बीर बली सब करते मौज।
दयाशंकर प्रसाद
136/10Q/2C
छोटा बघाड़ा
प्रयागराज 211002