संस्मरण
लगभग तीन वर्षों से अखण्ड जी से बात हो रही थी गहमर जाने व साहित्यिक कार्यक्रम में शामिल हो पाने के लिये परन्तु माँ कामाख्या देवी के आशीर्वाद से इस वर्ष ही कार्यक्रम बन पाया इस 9वें गोपाल राम गहमरी जी के स्मृति में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में। खास कर मेरी विशेष इच्छा थी अखण्ड गहमरी जी से मिलने की जो गोपाल राम गहमरी के परिवार के न होते हुए भी इतना सुंदर साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं बिना किसी रेजिस्ट्रेशन शुल्क के। जब मैं गहमर सुबह के 5 बजे पहुंचा तो अखंड जी आ गए लेने स्टेशन पर। उनके साथ घर पहुंचे जहाँ ओम जी व राजेश दिलफेंक जी भी मौजूद थे। आतिथ्य स्वागत के अखंड जी फिर किसी कार्य हेतु चले गए। 22 दिसंबर को कार्यक्रम की शुरुआत हुई। ओम जी और राजेश जी अपने साथी बन चुके थे जो बड़े भाई की तरह मेरा मार्गदर्शन भी कर रहे थे। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत हो चुकी थी। सभो विद्वतजनों का आगमन होता जा रहा था और उनसे मुलाकात का सिलसिला भी जारी था। जिसमें प्रदीप जी, किसलय जी, पुष्पा जी, डॉ रश्मि जी, डॉ अपूर्वा जी, फिल्मकार सुनील दत्त जी, गणेश विद्यार्थी, पागल जी आदि से परिचय हुआ। इन सभी विद्वतजन के साथ 23 व 24 दिसंबर के कार्यक्रम की शानदार प्रस्तुतियां मन के कोने में अपनी एक यादगार छवि बना गयीं। इन सभी से बीच जो सबसे खास रहीं संतोष जी जो जहाँ भी मिलती व जब भी वह कहतीं और डॉ0 साब सब ठीक है। उन्हीं के साथ मेरी प्रियंका जी से से मुलाकात हुई जो मथुरा से अपने परिवार के साथ आयीं थीं। उनके परिवार की मथुरा की होली व नाग नथैया कार्यक्रम सबसे ज्यादा असर किया जो अभी तक मन में एक झंकार छेड़ जाता है। गोप दादा एक अभिभावक की तरह मेरा सबसे ज्यादा ख्याल रखते रहे। हालाँकि मैं इस कार्यक्रम की सबसे कमजोर कड़ी था परंतु अखंड जी ने अपने कार्यक्रम में साहित्य सरोज शिक्षक सम्मान से पुरस्कृत होने के लिए मुझे आमंत्रित किया था। वह पुरस्कार भी मिला परन्तु इस कार्यक्रम में समस्त साहित्यकारों ने जो अपना सानिध्य प्रदान किया, वह अविस्मरणीय रहेगा। एक निडर, स्पष्टवादी, मुखर साहित्यकार का व्यकितत्व जो रहा वह है अखंड गहमरी। जिनसे मैं बहुत कुछ सीख पाया और उस सीख को जीवन में अमल करने का प्रयास भी करूँगा। इस अद्भुत कार्यक्रम में शामिल करने के लिये अखंड जी को मेरा सलाम।
डॉ0 बृजेश गुप्ता, बाँदा