5 फरवरी 2024 को गहमर गॉंव का एक युवक फिर असमय काल के गाल में समा गया। इस बार भी कारण मोटरसाइकिल बनी। मैनें उस युवक के कई मित्रों की पोस्ट देखी। सबके दिलों में उसके बेसमय जाने का गम था, दर्द था। मगर आपने कभी सोचा है कि जब आप उसके मित्र है तो आपको इतना दर्द और गम हो रहा है तो उसके मॉं-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी पर क्या गुजर रही होगी जिनके ऑंखों का तारा था वह? ऑंखो का सपना था वह।
मैनें ने दुर्घटना की त्रासदी झेली है। जब एम्बुलेंस में ऑंखो का तारा सामने रहता है तो उसके दिल पर जो बीत रही होती है उसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते। उनकी ऑंखो में बेबसी झलकती है। हर पल उनकी सांसे थमने लगती है। मां जिसने 9 महीने कष्ट सह कर आपको पाला, वह मिनट के अंदर आपकी सलामती के लिए न जाने कितने व्रत और देवी-देवताओं से मन्नत मांगने लगती है। मगर हर मां की आशा बनी रहे यह नहीं होता।उसे जिंदगी भर का कष्ट मिल जाता है। और इसका कारण बस बाइक का 50 से ऊपर होना होता है। यह बीस का अधिक होना कितनी दुनिया उजाड़ देता है मैनें देखा है। अभी कुछ दिन पहले गहमर इंटर कालेज के सामने एक युवक की दुर्घटना में मृत्यु हो गई, अभी उसके पत्नी की हाथो की मेंहदी भी नहीं छूटी थी, महज 16 दिन हुए थे विवाह के।
गहमर के तेलियाटोला में मेडिकल स्टोर चलाने वाले संजय भाई वर्षो बीत जाने के बाद भी उस दुर्घटना को न भूल पाये होगें न उसके दंश से ऊपर पायेगें, जिसमेंं न सिर्फ उनके मित्र चले गये बल्कि वह भी आज तक उस दुर्घटना का कष्ट झेल रहे हैं।
गहमर के पकड़ीतर निवासी महेन्द्र बाबा हिन्दू से और उनके माता-पिता से पूछिये की दुर्घटना का दंश क्या होता है? कैसे जवान बेट को विदा करने पर दिल कट कर जमीन पर आ जाता है। इसके अतरिक्त न जाने की कितनी दुर्घटना गहमर थाने से 2 किलोमीटर के परिधि में हुई है, जिसका दंश आज भी परिवार झेल रहा है, दोस्त-मित्र झेल रहे हैं।
मेरा घर गहमर से सड़क के किनारे एक संम्पर्क मार्ग पर है। देर रात तक फर्राटा भरती तेज आवाज की गाड़ीयों का शोर सुनाई देता है। ऐसा लगता है कि 1 मिनट देर हुई तो भूचाल आ गया। कभी किसी को टोक दो तो ऐसा लगता है कि कितनी बड़ी गलती आपने कर दिया। इस तेज रफ्तार में सबसे अधिक चलने वाले कम उम्र के बच्चे से लेकर 25 साल के युवा अधिकांश होते हैं। चाहे वह मोटर साइकिल चला रहे हों या 4 चक्का वाहन। और यदि किसी लक्जरी गाड़ी का स्टेरिंग उनके हाथ में है फिर तो पूछना ही नहीं। सड़क कौन सी है? भीड़ कितनी है? कोई मतलब नहीं होता। उनकी न चाल कम होती है न स्टाइल।
देखा जाये तो किसी का अचानक मुड़ जाना, बच्चों का चलते हुए सड़क पर गिर जाना, नशे मेंं वाहन चलाना, मौसम की खराबी, वाहन मेंं खराबी होना दुर्घटनाओं के कारण है । लेकिन दुर्घटनाओं का 90 प्रतिशत कारण वाहन पर से नियंत्रण खो बैठना, सड़क पर किसी जानवर या आदमी का अचानक बीच मेंं आ जाना, नींद लग जाना है। जिस पर कम रफ्तार वाले वाहन तो आसानी से काबू पा जाते हैं । लेकिन वाहन की रफ्तार 50 की जगह 80 रहने पर दुर्घटना निश्चित है। अकसर देखा जाता है कि हम घर से निकलते हैं और बाजार जाने या घर के पास जाने के नाम पर हेलमेट नहीं लगाते, हेलमेट को हम पुलिस से बचाव की चीज ही समझते हैं, लेकिन असल में देखा जाये तो हेलमेट पुलिस से नहीं हमें जिन्द़गी खोने से बचाता है। मैं यहां एक उदाहरण गहमर पट्टी खेमनराव के अशोक सिंह ऊर्फ अशोक आचार्य जी का देना चाहूंगा कि वह घर से थाने पर जाने के लिए भी बाइख उठायेंगे तो उनके सर पर हेलमेट जरूर होगा। उनकी इस आदत को हम सब को अपनाना होगा।
लगातार होते हादसों पर लगाम लगाने में शासन-प्रशासन, माता-पिता सफल नहीं हो रहे है, इस लिए हम इसकी कमान खुद आज के युवाओं को थाम लेनी चाहिए। ताकि वह अपने किसी प्यारे मित्र को खोने का दंश न झेले। वह आपस में तय करें कि हम वाहन को हवाई जहाज नहीं वाहन की तरह चलायेगें और न किसी अपने या अपने मित्र को चलाने देगें। अपने वाहन की प्रतियोगिता ट्रेन से न करायेगें न करेगें। जो ऐसा करे उसका बहिष्कार करें। दाम-साम-दंड-भेद सब यतन कर इसे रोंके।आज यदि आज का युवा ऐसा कर सका और एक भी घर उड़ने से बचा लिया तो यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी अपने असमय काल के गाल में समाये एक मित्र को, अपने एक हमजोली को, अपने एक साथी को। आप ही आगे आकर रोक सकते हैं किसी मां के आंसू।
अखंड गहमरी 9451647845