जुनून क्या होता है? किसी भी चीज को पाने की लालसा। पाने की चाह में इस तरह पागलपन कि जब तक वह नाम मिल जाए, मां को सुकून नहीं मिलता। जुनून किसी भी चीज का हो सकता है। चाहे प्यार का हो, घर बनाने का हो या अपने करियर का हो। जब तक वह लक्ष्य प्राप्त न हो, तब तक उसके लिए जझते रहना। जुनून में उम्र मायने नहीं रखती यह 2 साल की उम्र में भी शुरू हो सकता है और 60 साल की उम्र में भी।
अक्सर लड़कियों का जुनून बड़ी अवस्था तक चलता है और शुरू भी होता है। जब जुनून शुरू होता है तो सुविधा मायने नहीं रखती हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को जब विजय प्राप्त करने का जुनून उठा तब उन्होंने अपने छोटे से पुत्र को पीठ पर बांधकर युद्ध प्रारंभ किया और विजय प्राप्त कर अपना नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित कराया।
मैंने उस 2 वर्ष की अबोध बालिका मिस फुटबॉल का ऐसा जुनून देखा कि सुविधा न होने पर भी जुनून होने के कारण विश्व चैंपियन बन गई। यहां तक कि ना तो जूते खरीदने के लिए पैसे थे ना ही फुटबॉल के लिए। कपड़े की कतरनों से फुटबॉल बना पुराने जूते से अभ्यास प्रारंभ किया। उसे लड़की के विषय में क्या कहूं? उसका जुनून तो ऐसा था शादी हो गई, बच्चे हो गए और बच्चे अपने-अपने कामों में कामयाब भी हो गए। पर , उसके सपने अधूरे रह गए थे।
आप उसका जुनून फिर से उभर आया, वह अपने सपनों के विषय में सोचने लगी। सोचते ही उसका जुनून उसे पर इस कदर हावी हो गया कि उसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात एक करके दिलो जान से मेहनत की और सफलता के मुकाम को पा लिया। एकलव्य का जुनून तो ऐसा था कि गुरु द्रोणाचार्य की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उनका ध्यान मंत्र कर बाढ़ विद्या का अभ्यास आरंभ किया। धनुर्विद्या में इतनी निपुणता प्राप्त कर ली कि गुरु को ही उनके दाहिने हाथ का अंगूठा गुरु दक्षिणा रूप में लेना पड़ा।
छोटा सा बालक श्रवण कुमार को ही ले लीजिए। अपने आंधी माता-पिता को अपने कंधे पर कमर में बिठाकर तीर्थ यात्रा कराने के जुनून ने उन्हें मातृ पितृ भक्त का सबसे बड़ा उदाहरण बना दिया। युगो युगो से उनका नाम अमर हो गया।
जुनून एक ऐसा कीड़ा है जो जीवन भर दिमाग से नहीं निकलता है जब तक की सफलता ना मिल जाए सपने पूरे ना हो जाए।जननी व्यक्ति को जब भी मौका मिलता है वह अपने कार्य में सफल हो जाता है। ऐसे अनेकों उदाहरण है हमारे सामने जैसे-एडिसन, अगर इन लोगों में जुनून नहीं होता तो आज बल्ब का आविष्कार नहीं होता आज रात को दिन में बदल पाते हैं बाप के इंजन का आविष्कार नहीं होता यह सब उनके जुनून के कारण हुआ कि हम दूसरों द्वारा चांद तक पहुंच गया। जुनून अच्छी चीज का होता है तो वह विरोध को भी जन्म देता है। गांव में कोई भी चिकित्सा केंद्र ना होने पर कितनी असुविधाओं सामना करना पड़ता है। यह देखकर जब उसे लड़की ने डॉक्टर बनने का निश्चय किया तो घर और गांव के लोगों के विरोध करने पर भी उसके जुनून ने उसे पर हावी होकर उसे उसके मुकाम तक पहुंचा दिया। अंत में वह डॉक्टर बन गांव में चिकित्सालय खुलवाकर सेवा में लग गई। यह सब जुनून के कारण ही संभव हो पाया।
सुनीता छाबड़ा
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश
9953216663
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