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बेदर्द दिल-सोनू कुमारी टेलर

जेठ की ढलती दुपहरी में ,  सूर्य देवता रौद्र रूप धारण किए , आग उगलने का  प्रचंड रूप से कार्य कर रहे । हवा का एक झोंका भी तन को सुकून पहुंचा दे । लेकिन पेड़ों के पत्ते भी इस आग में झुलसते प्रतीत हो रहे । पसीने से तर  सांवली दिलकश आंखों वाली , तीखे नाक नक्श से अपनी ओर चुम्बक की भांति आकर्षित करती 22 वर्षीय बाला । बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए । दुपट्टे से तन को झुलसाने वाली आग से बचाने का जतन करते हुए ।  तभी एक लग्ज़री कार उसके पास आकर रूकी ।
” मिस सोनिका जी आइए , आपको घर  छो ड़ देता हूं ।” कार में बैठे युवक ने कहा ।
” जी धन्यवाद  सर , मैं बस से चली जाऊंगी ।” सोनिका ने सकुचाते हुए कहा ।
” इस तन झुलसाने वाली धूप में कब तक खड़ी रहोगी ? ” युवक ने कार में बैठने का आग्रह करते हुए कहा । यह युवक और कोई नहीं , सोनिका की कंपनी के (विजय ) बॉस  है । दुग्ध धवल वदन , उन्नत ललाट का अनुपम तेज , गुलाब की पंखुड़ियों से सने होष्ठ , चांदनी की भांति शीतलता देता मुख सौंदर्य जो कि सभी को अपनी और खींच लेता ।
” सोनिका ! जी  पहले पानी पीजिए । लास्ट सैटरडे आपके लिए तन झुलसाने वाला हो गया । आप मेरे साथ ही निकल जाती ऑफिस से । खैर कोई बात नहीं आप बुरा ना मानों तो , आप मेरे साथ रोज आ सकती हो । आपका घर भी तो रास्ते में ही पड़ता है ।” विजय ने पानी की बोतल देते हुए कहा । सोनिका ने हामी भरते हुए गर्दन हिला दी ।
” सोनिका जी आपको कंपनी ज्वॉइन किए अभी एक माह ही हुआ । लेकिन आपकी कार्यशैली काबिले तारीफ़ है ।  ” विजय ने सौम्य मुस्कान बिखेरते हुए कहा ।
” जी धन्यवाद सर लेकिन इस काम की सफलता के पीछे आपका ही हाथ है । आप सभी एम्प्लॉय के साथ जुड़कर जिस तरह से काम कर रहे हो । हमें नई ऊर्जा से  काम करने की प्रेरणा मिलती है । ” सोनिका ने कहा । बातों ही बातों में सोनिका का घर आ गया । अब सोनिका और विजय ऑफिस साथ – साथ आने जाने लगे । धीरे – धीरे दोनों कब नजदीक आ गए पता ही नहीं चला ।
छः महीने बाद,,,, ऑफिस पार्टी में , हेलो एवरी वन ! मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि सोनिका जी ने जिस प्रोजेक्ट पर काम किया । उससे हमारी कंपनी को पचास लाख का प्रॉफिट हुआ  । इस बिग अचीवमेंट के लिए सोनिका जी का पी० ए० की पोस्ट पर प्रमोशन किया जाता है । पार्टी में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी ।
सोनिका और विजय लंच भी साथ करने लगे । कभी कॉफी तो , कभी डिनर । दोनों का इश्क परवान चढ़ने लगा । ऑफिस में उनकी  चर्चा गुपचुप होने लगी । ” यह इश्क है जनाब छुपाए नहीं छुपता ।दिल रोकना भी चाहे तो कहां यह बेदर्द रुकता ।।  ” प्राची ने हंसते हुए कहा । 
“बॉस दो बच्चों के पिता है । फिर भी गजब का  चुम्बकीय आकर्षण हैं । पता नहीं सोनिका  पर कैसे मेहरबान हो गए । अपने ऑफिस में ही देख लो एक से बढ़कर एक ब्यूटीफुल हैं । लेकिन सुना है कि बॉस अपनी वाइफ को लाइक नहीं करते है । इसलिए सोनिका के साथ टाइम स्पेंड करके , जो छूट गया है उसकी पूर्ति कर रहे है । ” राधिका ने चुटकी लेते हुए कहा । सभी एम्प्लॉय हंसने लगे । विजय की कैबिन से निकलते समय सोनिका ने सब सुन लिया । लेकिन किसी  कुछ नहीं कहा । बस
अपनी फाइल में लेटर  रखकर चुपचाप निकल गई । सभी एम्प्लॉय मन ही मन डर गए  । सभी अपनी अपनी टेबल पर जाकर काम करने लगे । सोनिका आज कहां है ? सभी एम्प्लॉय निकल गए । लेकिन सोनिका कहीं दिखाई नहीं दे रही ।

विजय इसी सोच की उधेड़बुन में सोनिका की टेबल पर रखी फाइल को उठाकर , खोलकर देखने लगा  , उसमें रिजाइन लेटर  था । आखिर क्या हुआ जो , सोनिका मुझे बिना बताएं रिजाइन लेटर रखकर निकल गई । सोनिका को  लगातार फोन करने पर स्विच ऑफ आ रहा । सोनिका के घर पर भी ताला देखकर विजय को बहुत  चिंता हो गई । विजय का एक – एक पल सोनिका के बिना बिताना असहनीय कांटे की तरह चुभ रहा । इधर सोनिका अपने रानीबाग गांव में आकर , विजय की यादों को दिल के गलियारे से मिटाने का प्रयत्न करने लगी । खेत की मुंडेर पर लगे आम के पेड़ की शीतल छाया में आंखे मूंद ली । यहां भी दिल को सुकून नहीं , बेदर्द दिल विजय की यादों में खो गया । दोनों ही ऊंची पहाड़ी पर हाथ पकड़े चल रहे । तभी तेज हवा का झोंका आया , जिसके कारण विजय का पांव फिसल गया , विजय पहाड़ी के अंतस्थल में समा गया ।  “विजय तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकते । ” सोनिका रोते हुए विजय को पुकारने लगी ।
” सोनिका मैं तुम्हें छोड़कर कहां गया ? ” सोनिका की आंख खुली तो , सामने विजय को पाया ।
” विजय तुमने मेरे साथ टाइम पास क्यों किया ? ” सोनिका ने रोते हुए कहा ।
” सोनिका मैंने कोई टाइम पास नहीं किया । तुम ही मेरे जीवन की पहली लड़की हो जिसको इस दिल ने
बेइंतेहा प्यार किया । बस मैं शादीशुदा हूं तो हमारी शादी नहीं हो सकती । लेकिन इस दिल में तुम ही
हो और तुम ही रहोगी । मेरा प्यार झूठा होता तो , मैं तुम्हें ढूंढता ढूंढता नहीं आता । ” विजय ने सोनिका का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा ।
” विजय यह दिल भी बड़ा बेदर्द है । यह जानता है कि तुम किसी और के हो । फिर भी यह टूटकर भी तुम्हें ही चाहता है । यह कहते – कहते सोनिका विजय के गले लग गई ।

सोनू कुमारी टेलर
साहित्‍य सरोज लेखन प्र‍0

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