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मेरा गांव और बचपन-मुकेश

     “याद आता है वो बचपन वो खिलखिलाते हुए मासूम चेहरे,  वो एक साइकिल पर दोस्तों के साथ लगते गलियों के फेरे।वो गांव का दृश्य हमें अब भी याद आता है और याद आते ही शहर की भागादौड़ी से दूर फिर से गांव चले जाने का मन बना जाता है।” राघव अपने ऑफिस से अभी अभी आया था और घर पर चाय की चुस्कियां लेते लेते वह सोच रहा था कि गांव में कितना सुकून भरा जीवन होता था और अब शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी को फुरसत नहीं कि अपने अपनों के पास चार पल बैठकर हंसी खुशी की बातें कर सकें।चाय पी लेने के बाद वह अपनी दिन भर की थकान मिटाने के लिए सोफे पर ही थोड़ी देर लेट क्या गया उसे नींद आ गई और नींद में आते ही वह स्वप्नलोक की सैर पर निकल गया था।     आंख लगते ही राघव सपने में अपने बचपन और गांव पहुंच गया था, सपने में वो अपने गांव में था और खुद को एक बार फिर से बचपन में देख रहा था। मेरा गांव कितना सुंदर था वहां कितने सुंदर नजारे थे चारों ओर, वहां की स्वच्छ जलवायु और शांत वातावरण कितना सुहाना था। वो गांव के नुक्कड़ पर बैठे लोग और आसपास खेलते छोटे छोटे बच्चे, दूर से मटकियों में पानी भरकर आती महिलाएं और खेतों से बैलगाड़ी में लौट रहे किसान, ये सब नज़ारा देखकर राघव का मन खुशी से गदगद हो गया था।

     बचपन में राघव भी अपने दोस्तों के साथ इसी नुक्कड़ पर खेलकर बड़ा हुआ था, उसके स्कूल की छुट्टी होते ही उनकी बच्चा पार्टी यहीं पर ज्यादातर समय बिताती थी जहां पर वो भौरा, कंचे और गुल्ली डंडा जैसे कई खेल खेला करते थे। अब राघव सपने में ही अपने गांव के दोस्तों के साथ खेलने का आनंद उठा रहा था और खेलते खेलते ही कुछ देर बाद वो सभी बच्चे गांव के बाहर बह रही नदी के किनारे पहुंच गए। जहां  उन्होंने आम के पेड़ से आम तोड़ने की सोचकर राघव को पेड़ पर चढ़ाया और राघव पेड़ से आम तोड़कर अपने दोस्तों को देने लगा। तभी अचानक राघव का पेड़ पर संतुलन बिगड़ा और वह पेड़ की डाल पर से गिरकर सीधा नदी के पानी में गिर गया। गीला होने के अहसास के साथ ही राघव की नींद खुली और उसने सामने पानी का गिलास लिए अपनी श्रीमती जी को देखा जिसने पानी का छींटा मारकर उसे नींद से जगाया था।अब उसे अहसास हुआ कि यह सब एक सपना था, लेकिन कितना सुंदर सपना था यह और कितना मनोहर दृश्य था गांव का। इस सपने ने राघव को अपने सुंदर गांव और अपने प्यारे बचपन की याद दिला दी थी और उसने निश्चय कर लिया था कि इस सन्डे की छुट्टी में वह सपरिवार अपने गांव जरूर जाएगाा।

मुकेश कुमार सोनकर”सोनकरजी”
भाठागांव रायपुर छत्तीसगढ़

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