भारतीय समाज में विवाह अत्यंत ही पवित्र रिश्ता माना जाता है, विवाह मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके बिना मनुष्य आधा अधूरा ही रहता है। कर्ई लोगो के सुखी दाम्पत्य जीवन को देख कर लगा कि अब मुझे भी विवाह के बंधन में बंध जाना चाहिए। पर मुझसे विवाह करेगा कौन ? एक तो उम्र 38 के पड़ाव पर पहुँच रही थी, दूसरी आय का कोई स्थाई साधन नही था। फिर भी मैने तय किया कि अर्धांगिनी तो ढूड़नी ही पड़ेगी, नातेदार रिश्तेदार थक हार चुके थे, पर कही रिश्ता तय नही करा पाए थे। फिर मैने तय किया कि खुद ही अपने लिए रिश्ता ढूड़ूगा, कर्ई मैरिज ब्यूरो की साइटे खंगाला, तो फेसबुक पर कुछ संगठनो से संपर्क हुआ, तो मालूम हुआ कि जो काम मैरिज ब्यूरो वाले पैसे लेकर करते है, वही काम ये संगठन फ्री में करते है, तब क्या था ? मै फौरन इनके वाट्सएप ग्रुप से जुड़ गया। और इनके द्वारा दिए बायोडाटा के पारुप को भरकर मैं भी इनके संगठन में शामिल हो गया। ये बकायदा रविवार को लड़को का व बुधवार को लड़कियों का बायोडाटा पीडीएफ के रुप में ग्रुप में प्रसारित करते थे।
असल कहानी अब शुरु होती है। एक दिन मैने वर्षवार पीडीएफ के जरिए रिश्ता खोजने की शुरुआत कि तो बायोडाटा में ऐसी ऐसी योग्यता देखी यानि ऐसी ऐसी पढ़ाई कि गई है, कि मैं तो लड़कियों कि उन पढ़ाईयो का नाम तक ही नही सुना था, जिसे देखकर मुझे लगा कि मै तो इनके समकक्ष खड़ा भी नही हो सकता हूँ, मैने इन बायोडाटाओ से दूरी बनाना ही बेहतर समझा, फिर मैने कहाँ चलो पुनर्विवाह के बायोडाटा ही देख लेते है, वही पर ही मामला सेट हो जाए, मैने सबसे पहले तो यह तय किया कि तलाकशुदा से तो संपर्क नही करुगा, कारण, जब पहले वाले से नही पटी,तो मुझसे उसकी खाक पटेगी…. अब बायोडाटा देखना शुरु किया, तो तलाकशुदा के साथ कोई विधवा थी, तो कोई नाममात्र शादी वाले रिश्ते थे। जो बायोडाटा पसंद आता तो उसके दो दो बच्चे 8-10 साल के पहले से थे, मैने कहाँ शादी होते देर नही लगेगी, पिता का फर्ज शादी के दूसरे दिन से ही निभाना पड़ेगा। और कर्ई बायोडाटा देखा तो कँही मांगलिक आड़े आया, तो कही 15 से 20 लाख वाला पैकेज आड़े आया। एक बायोडाटा पर नजर डाला तो एक 35 वर्षीय विधवा को सरकारी जाँब वाला ही चाहिए, मैने माथा पकड़ लिया, ऐसी स्थिति के बाद भी लोगो कि ख्वाहिश कम नही हो रही है। मैने दो तीन दिन में 50+ बायोडाटा देखे, पर हर बायोडाटा में मामला कँही न कँही फँस जाता था। इस तरह कुछ दिन बीत गये, उधर वाट्सएप ग्रुप में बायोडाटा तो कम पर सुबह होते ही सुप्रभात संदेशो की बाढ़ आ जाती थी, शुरुआत में एडमिन पैनल के खामोश रहने की वजह सुप्रभात संदेश के साथ, सुविचार, शुभरात्रि, पकवान डिश, राजनीतिक व समाजिक पोस्ट भी डाले जाने लगे, जिस कारण एडमिन पैनल को एक्शन लेना पड़ा तथा उन्होने आदेश दिया कि ग्रुप में वैवाहिक पोस्ट के अलवा कोई भी पोस्ट नही पड़ेगी, फिर भी कुछ लोग नही मान रहे थे, इधर उधर की पोस्ट डालने से, मजबूरन एडमिन पैनल को वैवाहिक चर्चा के लिए अलग ग्रुप बनाना पड़ा, अन्य पोस्ट डालने पर रिमूव की चेतावनी भी देनी पड़ी। तब जाकर ग्रुप में कुछ शांति आई।

इधर वैवाहिक चर्चा ग्रुप से मैं भी जुड़ गया। अब कुछ लोग शादी की बात कैसे कर रहे है देखिए… एक महानुभाव कमेंट करके कहते है… बहराइच की तरफ कोई लड़की वाला है, तो मुझे काल करो….. तो एक महानुभाव कहते है कि बलिया की तरफ जिसको शादी करनी है, मुझे काल करो…. तो एक महानुभाव कहते है, लडका बिजली विभाग में है, 10 बीघा खेती है, नो डिमांड जैसी पोस्ट रोज डाल रहे है, यह सब देखकर मैने समाज के अनदेखे पहलुओ को समझा। थोड़े दिन बीतने के बाद एक और वाट्सएप ग्रुप से जुड़ गया, जिसमें एक एडमिन उपाध्याय जी बड़ी हाईफाई वैवाहिक बायोडाटा पोस्ट करते थे। मैं भी अपना बायोडाटा आये दिन डाल दिया करता था। मेरी खुशी का ठिकाना तब नही था, जब रिश्ते के लिए कानपुर से वाट्सएप आया तो मैने भी सधे अंदाज में जवाब दिया। मैने उसका बायोडाटा पहले ही ग्रुप में देखा था, वो 36 साल की लड़की एमबीए किए हुए थी, पर उसके टूटी फूटी अँग्रेजी से मुझे शंका हुई, फिर भी मैने उसके द्वारा बायोडाटा की और जानकारी व फोटो माँगने पर उसको और जानकारी सहित फोटो भी दी, मेरे फोटो माँगने पर उसने टूटी फूटी अँग्रेजी के माध्यम से मुझसे ही जवाब माँग रही थी कि Very less income…. मैने अपनी मासिक आय 25 हजार बताई थी। मैं उसकी टूटी फूटी अंग्रेजी देखकर समझ गया कि भगवान ही जाने इसने MBA किया है कि नही किया है ? किया है, तो कैसे किया है…. मैने भी तुरंत ही उत्तर दिया कि मैं अनजान लोगो से बात नही बात नही करता हूँ। यह कहकर मैने उससे पिंड छुड़ाया।इसी तरह दो- तीन महिने में मैं 10-12 वैवाहिक वाट्सएप ग्रुपो से जुड़ चुका था। इसमें किसी ग्रुप में राजस्थान का, तो किसी में बिहार के, तो किसी में यूपी के अधिकतर बायोडाटा आते थे। उसमें भी पूर्वांचल और मध्यांचल में भी कर्ई वाट्सएप ग्रुप थे।
इसी तरह वायोडाटाओ का अध्ययन करने पर पाया कि लोगो अपने विवरण के साथ चाचा, दादा, मौसा, मामा,नाना नानी , दमाद , जीजा आदि का भी पूर्व विवरण डाल देते थे। उनका नाम सहित उनके व्यवसाय और नौकरी का पूर्ण विवरण मिल जाता था। अब एक बायोडाटा में चाचा आस्ट्रेलिया में इनकम टैक्स आफिसर थे। मैंने कहा चाचा आस्ट्रेलिया के इनकम टैक्स आफिसर है, न कि हिन्दुस्तान के। जो किसी के काम आएगे। इसी प्रकार मामा सरकारी अध्यापक है, तो मौसा बिजली विभाग में है, मैने कहा इन सब का क्या औचित्य है, जैसे शादी इनसे नही मौसा , मामा, चाचा दादा से करनी हो।असल में परिवार के दूर की नातेदारों का विवरण इस कारण डाले जाते है, ताकि हैसियत से अधिक के परिवारो में रिश्ते जोड़े जा सके। इसी तरह मैने 37 वर्षीय गृहविज्ञान से एम. ए. की हुई महिला के परिवार से संपर्क किया। वैसे तो मैं उसका बायोडाटा बहुत दिन से देख रहा था, जो उसका भाई आये दिन ग्रुप में डाल देता था। पिता वकील थे, और वकील होशियार होते ही है, पर काफी दिन बीत जाने के बाद मैने कहा बात करने में क्या हर्ज है ? फोन पर अपना पूर्ण विवरण दिया, तो उनके होशियार पिता ने तुरंत मना कर दिया। मै भी मुँह सुखाकर रह गया।
असल में लड़की की चचेरी बहन DSP थी, और पिता चचेरी बहन की योग्यता पर अपनी बेटी की शादी करना चाहते थे। इसी प्रकार का हाल हर जगह था। अक्सर कुछ लोग अपने समकक्ष लड़की, लड़के का बायोडाटा देखते तो उस बायोडाटा में दिए गये फोन नंबर पर बात करने के बजाय उसके तुरंत बाद अपना बायोडाटा डाल देते थे। मतलब दोनो पक्ष एक दूसरे का बायोडाटा देखने के बाद भी गरज बस एक दूसरे से संपर्क नही करते थे। यानि कुल मिलाकर बायोडाटा – बायोडाटा खेला जा रहा था। लोगो की समय समय पर होने वाली चर्चा से ये साफ झलक रहा था कि बच्चो की बढ़ती उम्र माता पिता के लिए चिंता का विषय थी। पर वो बेहतर से बेहतर रिश्ते के चक्कर में अच्छे रिश्ते भी छोड़ रहे थे, उन्हे बात करने पर लगता था कि कुछ दिन रुको इससे भी बेहतर रिश्ता मिलेगा। वैवाहिक चर्चा ग्रुप में हो रही चर्चाओं से यह भी मालूम हुआ कि लड़के वालो का बायोडाटा और फोटो लेने के बाद लड़की वाले दुबारा लड़को वालो से कोई संपर्क ही नही करते थे, जबकि बायोडाटा की योग्यता के समकक्ष ही लड़के वालेलड़की के परिवार से संपर्क करते थे, इसी प्रकार एक महोदय ने खुद मेरा बायोडाटा माँगा और फिर शांत हो गये। तीन दिन जब कोई जवाब न मिला तो मैने उनसे खुद पूछा कि आखिर हुआ क्या ? तो उन्होने जवाब दिया कि यूपी की तरफ नही मुंबई की तरफ करनी थी। इसी तरह पीडीएफ में ऐसे बायोडाटाओ की भरमार होती थी, जिनकी शादी हो चुकी होती थी।
असल में सामान्य लोगो को न तो मैरिज ब्यूरो किया आवश्यकता पड़ती है, और न ही वैवाहिक वाट्सएप ग्रुपो की, उनके तो रिश्तेदार व जान पहचान वाले ही अच्छे रिश्ते ढूड़ लाते है, परेशानी तो बहुत अधिक पढ़े लिखे व अधिक ख्वाहिश पालने वाले व समझौता न करने वालो को ही झेलनी पड़ती है। इन सभी के साथ मेरी खोज भी निरंतर जारी है।
रोहित मिश्र, प्रयागराज
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