सत्येन्द्र कुमार पाठक
सनातन धर्म ,बौद्ध व जैन धर्म ग्रंथों , वेदों , स्मृति , उपनिषदों , वाल्मीकीय रामायण , पुराणों ,में बिहार के विभिन्न क्षेत्रों के संबंध में उल्लेख किया गया है । भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में बिहार राज्य की स्थापना 22 मार्च 1912 में हुई तथा गंगा नदी के तट पर अवस्थित पटना में बिहार की राजधानी है। बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल, और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है। निर्देशांक 25°24′N 85°06′E / 25.4°N 85.1°E पर स्थित बिहार को प्रान्त के दर्जा एवं 26 जनवरी 1950 को राज्य का दर्जा मिला है । क्षेत्रफल 94163 वर्गकीमि व 36357 वर्गमील में फैले बिहार की 2011 जनगणना के अनुसार 104099457 आवादी में 9 प्रमंडल , 38 जिले , विधानसभा के सदस्य 243 , विधान परिषद सदस्य 75 , लोक सभा सदस्य 40 और राज्यसभा सदस्य 16 सदस्य है । प्राचीन काल में विशाल साम्राज्यों, शिक्षा केन्द्रों एवं संस्कृति का गढ़ होने के कारण प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से ‘बिहार’ है। कीकट ने कीकट प्रदेश , मागध ने मगध , मुगल शासकों ने सूबे के विहार , बौद्धों ने विहार और ब्रिटिश सरकार ने बिहार नामकरण किया था । बिहार को मगध साम्राज्य , मुगलों द्वारा बिहार सूबा , ब्रिटिश काल में बिहार को प्रोविंस और स्वतंत्रता के बाद बिहार को राज्य अर्थात बिहार राज्य कहा गया है ।
गध, मिथिला , अंग और वज्जि सनातन , बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों एवं महाकाव्यों में बिहार का उल्लेख मिलता हैं। बिहार की भाषाओं में मगही , भोजपुरी , मैथिली , अंगिका और वज्जिका भाषा और हिंदी भाषी प्रमुख है । सारण जिले में गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर 4500 से 3345 ई.पू. का चिरांद, नवपाषाण युग और 2345 से 1726 ई.पू . के ताम्र युग का पुरातात्विक धरोहर है।मिथिला को प्रथम बार इंडो-आर्यन लोगों ने विदेह साम्राज्य की स्थापना ब एवं 1600 ई.पू में वैदिक काल के दौरान, विदेह् दक्षिण एशिया के प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्रों कुरु और पंचाल् के साथ था । विदेह साम्राज्य के राजा जनक थे। मिथिला के राजा सिरध्वज जनक की पुत्री माता सीता भगवान राम की पत्नी है। विदेह राज्य के वैशाली गणतंत्र शासन था । वज्जि को 6 ठी शताब्दी ई. पू . से गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया था,। 563 ई.पू. का पहला गणतंत्र राज्य वैशाली था। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वैशाली में हुआ था।आधुनिक-पश्चिमी पश्चिमी बिहार के क्षेत्र में मगध १००० वर्षों के लिए भारत में शक्ति, शिक्षा और संस्कृति का केंद्र बने। ऋग्वेदिक् काल मे मगध साम्राज्य बृहद्रथ वंश का शासन था। 684 ई.पू. में हरयंक वंश, राजगृह के शहर से मगध पर शासन किया। हर्यक वंश के राजा बिंबिसार , अजातशत्रु और उदयन थे । उदयन ने पाटलिपुत्र शहर की स्थापना कर मगध की राजधानी बनाई थी । हर्यक वंश के बाद शिशुनाग वंश का शासन था। नंद वंश ने बंगाल से पंजाब तक फैले विशाल साम्राज्य पर शासन किया।मगध साम्राज्य का शासक नंद वंश का घनानंद को मौर्य साम्राज्य द्वारा नंद वंश को समाप्त कर मगध साम्राज्य का शासक था। मौर्य साम्राज्य और बौद्ध धर्म का क्षेत्र होने से बिहार बना है। 325 ई.पू. में मगध से उत्पन्न मौर्य साम्राज्य, चंद्रगुप्त मौर्य ने स्थापित किया था । मौर्य सम्राजय का पश्चिम मे ईरान से लेकर पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य-एशिया से लेकर दक्षिण मे श्रीलंका तक फैला था। मगध सम्राजय के पूर्व राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने कै ग्रीक् को हराकर अफ़ग़ानिस्तां के हिस्से को जीता और ग्रीस से पश्चिम-एशिया के यूनानी राजा सेलेक्यूज़ निकेटर को हराकर पर्शिया का बड़ा हिस्सा जीत लिया और संधि मे यूनानी सेल्क्युस निकेटर की पुत्री राजकुमारी हेलेन से विवाह किया था । मगध साम्राज्य का प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र के रचनाकार एवं चंद्रगुप्त का गुरु और मार्गदर्शक थे। मगध साम्राज्य का सम्राट चंद्रगुप्त के पुत्र बिन्दुसार ने सम्राजय दक्षिण तक स्थापित किया था । मगध साम्राज्य का सम्राट अशोक को देवानामप्रिय प्रियादर्शी राजा महान सम्राट अशोक था। मगध सम्राट अशोक ने उपदेश स्तंभ, पहाद्, शीलालेख लिखाया तथा लेख् ब्राह्मी, ग्रीक, मे मगध सम्राज्य मे अंकित् किया था । मगध सम्राज्य का मौर्य वंशीय का अंतिम राजा वृहद्रथ को मगध साम्राज्य का सेनापति पुष्यमित्र शूंग ने मौर्य वंशीय शासक वृहद्रथ को मारकर वे मगध साम्राज्य पर शासन स्थापित किया। सन् 240 ई. में मगध में उत्पन्न गुप्त साम्राज्य को विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, वाणिज्य, धर्म और भारतीय दर्शन में भारत का स्वर्णिम युग कहा गया। गुप्त वंश के समुद्रगुप्त ने मगध सम्राजय को दक्षिण एशिया मे स्थापित किया। समुद्रगुप्त के पुत्र चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपना क्षेत्र का विकास किया था । गुप्त राजाओं मे स्कंदगुप्त ने पश्चिम मे पर्शिया , बग़दाद से पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य एशिया से लेकर दक्षिण मे कांचीपुरम तक फैला था। मगध की राजधानी पाटलिपुत्र था। मगध साम्राज्य का प्रभाव रोम, ग्रीस, अरब और दक्षिण-पूर्व एशिया तक था ।
मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के आक्रमण द्वारा 12वीं शताब्दी में बिहार के नालंदा और विक्रमशिला के विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया गया था । सासाराम के शेर शाह सूरी ने 1540 ई. में हुमायूं की मुगल सेना को हराकर मुगलों से उत्तरी भारत गया था । शेर शाह ने अपनी राजधानी दिल्ली की घोषणा की थी । बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने 1857 का सिपाही विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बंगाल का 1909 ई. में बंगाल विभाजन के फलस्वरूप बिहार राज्य का अस्तित्व में आया। बिहार से उड़ीसा राज्य 01 अप्रैल 1936 ई.में अलग कर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार में चंपारण के विद्रोह अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत फैलाने में अग्रण्य घटनऐं है। स्वतंत्रता के बाद बिहार का विभाजन 15 नवंबर 2000 ई. में झारखंड राज्य को अलग कर दिया गया था । 24 ° 20 ’10 ” ~ 27 ° 31 ’15 ” उत्तरी अक्षांश तथा 83 °19′ 50 ” ~ 88 ° 17 ‘ 40 ” पूर्वी देशांतर के बीच हिंदी भाषी राज्य बिहार का क्षेत्रफल 94163 वर्ग किलोमीटर में 92 25751 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र भूमि नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है। गंगा के पूर्वी मैदान में स्थित बिहार राज्य की औसत ऊँचाई 173 फीट है। भौगोलिक तौर पर बिहार का प्राकृतिक विभागो में उत्तर का पर्वतीय एवं तराई भाग, मध्य का विशाल मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा एवं उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी का हिस्सा है। सोमेश्वर श्रेणी की औसत उचाई 455 मीटर और सर्वोच्च शिखर 874 मीटर उँचा है। प्रदेश का वाल्मिकीनगर में स्थित अभ्यारण्य है। मध्यवर्ती विशाल मैदान बिहार के 95 % भाग को समेटे हुए हैं।
नदियां में उत्तरी बिहार की बागमती, कोशी, बूढी गंडक, गंडक, घाघरा और दक्षिण बिहार में सोन, पुनपुन, फल्गू , बटाने , आद्री , नीलांजन , मोरहर तथा किऊल नदी बिहार में दक्षिण से गंगा में मिलनेवाली सहायक नदियाँ है।
धान, गेंहूँ, दलहन, मक्का, तिलहन, तम्बाकू,सब्जी तथा केला, आम और लीची , मखाना फलों की खेती की जाती है। हाजीपुर का केला एवं मुजफ्फरपुर की लीची , गया का तिलकुट , मनेर का लड्डू , सिलाव का खाजा , लिट्टी चोखा , चूड़ा दही , मालपुआ ,प्रसिद्ध है । हिंदी बिहार की राजभाषा और संस्कृत , अंग्रेजी , उर्दू भाषा है। मैथिली भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में सम्मिलित बिहारी भाषा है। भोजपुरी, मगही, अंगिका तथा बज्जिका बिहार में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं और बोलियाँ हैं। पर्वों में छठ, होली, दीपावली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, वसंतपंचमी , बुद्ध पूर्णिमा , दीपावली , मुहर्रम, ईद,तथा क्रिसमस , सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना सिटी (पटना) में उनकी जयन्ती , जन्माष्टमी , रामनवमी , जानकी नवमी , कर्मा , जिउतिया , पितृपक्ष ,श्रद्धार्पण है। चावल-दाल-सब्जी और रोटी बिहार का सामान्य भोजन है। बिहार की मालपुआ काफी स्वादिष्ट होता है। बिहार की बाकी व्यंजनों में दालपूरी, खाजा, मखाना खीर, पुरूकिया (गुजिया), पीठा , ठेकुआ, भेलपुरी, खजुरी, बैगन का भरता आदि है। बिहार में क्रिकेट , फुटबॉल, हाकी, टेनिस, खो-खो और गोल्फ , कबड्डी है।
बिहार राज्य में 9 प्रमंडल तथा 38 जिला , 101 अनुमंडल, 534 प्रखंड व अंचल , 8,471 पंचायत, 45,103 गाँव , नगर निगमों की संख्या 19, नगर परिषदों की संख्या 49 और नगर पंचायतों की संख्या 80 है । पटना, तिरहुत, सारण, दरभंगा, कोशी, पूर्णिया, भागलपुर, मुंगेर तथा मगध प्रमंडल के तहत बिहार के जिले में अररिया , अरवल , औरंगाबाद कटिहार , किशनगंज , खगड़िया , गया , गोपालगंज , छपरा , जमुई , जहानाबाद ,दरभंगा , नवादा , नालंदा , पटना , पश्चिम चंपारण , पूर्णिया , पूर्वी चंपारण , बक्सर , बाँका , बेगूसराय , भभुआ , भोजपुर , भागलपुर , मधेपुरा , मुंगेर , मुजफ्फरपुर , मधुबनी , रोहतास , लखीसराय , वैशाली , सहरसा , समस्तीपुर , सीतामढी , सीवान , सुपौल , शिवहर, शेखपुरा है।
बिहार के कटिहार जिले के अंतर्गत कुर्सेला प्रखंड के कटरिया गांव के समीप गंगा , कोशी और कलबलिया नदी का त्रिमोहिनी संगम पर 12 फरवरी वर्ष 1948 में महात्मा गांधी के अस्थि कलश विसर्जित किया गया था । पटना के पटना के प्राचीन कुम्रहार परिसर, अगमकुआँ, महेन्द्रूघाट, शेरशाह के द्वारा बनवाए गए किले का अवशेष , ब्रिटिश कालीन भवन: जालान म्यूजियम, गोलघर, पटना संग्रहालय, विधान सभा भवन, हाईकोर्ट भवन, सदाकत आश्रम , महावीर मंदिर,बड़ी पटनदेवी,छोटी पटनदेवी,शीतला माता मंदिर,इस्कॉन मंदिर,हरमंदिर , गया जिले के बोधगया में महाबोधि मंदिर , गया में स्थित विष्णुपद , मंगलागौरी , बँगला माता , बागेश्वरी , पितमहेश्वर , प्रातःकाल बागवान सूर्य , मध्यकालीन भगवान सूर्य ,सांध्यकालीन भगवान सूर्य , ब्रह्मयोनि पर्वत समूह , जहानाबाद जिले का बराबर पर्वत समूह , राजगीर पर्वत समूह , कौवाडोल पर गुफा संस्कृति , गुहा लेखन , भित्तिचित्र , मूर्तिकला एवं वास्तुकला , सीतामढ़ी का माता सीता की जन्मस्थली, मधुबनी का कवि विद्यापति सह उगना महादेव मंदिर , सुपौल में द•भारत स्थापत्यकला विष्णु मंदिर , मधेपुरा में सिहेश्वरनाथ मंदिर , अररिया में सबसे ऊँची काली मंदिर , पूर्णियां में नृसिंह अवतार स्थल , सूर्य मंदिर,नवलख्खा मंदिर,थावे(गोपालगंज) में माँ दुर्गा माता मंदिर,नेचुआ जलालपुर रामबृक्ष धाम, दुर्गा मंदिर, अमनौर वैष्णो धाम ,आमी अम्बिका दुर्गा मंदिर,माँ दुर्गा की मंदिर छपरा, सीता जी का जन्म स्थान, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, बेगू ह्ज्जाम की मस्जिद, पत्थर की मस्जिद, जामा मस्जिद, फुलवारीशरीफ में बड़ी खानकाह, मनेरशरीफ – सूफी संत हज़रत याहया खाँ मनेरी की दरगाह, जहानाबाद जिले के काको में भारत की प्रथम महिला सूफी संत हजरत बीबी कमाल का मजार , सूर्य मंदिर , मखदुमपुर प्रखंड के बराबर पर्वत समूह पर सतघरवा गुफा , भित्तिचित्र , गुहलेखन , मूर्तिकला , वास्तुकला , बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर , घेजन में भगवान बुद्ध की मूर्ति , दबथु में प्राचीनमूर्तियाँ , जहानाबाद ठाकुरवाड़ी में पंचलिंगी शिव , मुजफ्फरपुर में गरीबनाथ मंदिर , अरवल जिले का करपी जगदम्बा स्थान में माता जगदम्बा , भगवान चतुर्भुज , भगवान शिव माता पार्वती विहार , मदसर्वा में चयवनेश्वर शिव मंदिर , है । सारण जिले का सोनपुर मेला , सारण जिला का नवपाषाण कालीन चिरांद गाँव , कोनहारा घाट, नेपाली मंदिर, रामचौरा मंदिर, १५वीं सदी में बनी मस्जिद, दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, महात्मा गाँधी सेतु, गुप्त एवं पालकालीन धरोहरों वाला चेचर गाँव वैशाली का छठी सदी ई.पू.में वज्जिसंघ द्वारा स्थापित विश्व का प्रथम गणराज्य के अवशेष, अशोक स्तंभ, बसोकुंड में भगवान महावीर की जन्म स्थली, अभिषेक पुष्करणी, विश्व शांतिस्तूप, राजा विशाल का गढ, चौमुखी महादेव मंदिर, भगवान महावीर के जन्मदिन पर वैशाख महीने में आयोजित होनेवाला वैशाली महोत्सव नालंदा जिले का राजगीर में राजगृह मगध साम्राज्य की पहली राजधानी तथा हिंदू, जैन एवं बौध धर्म का एक प्रमुख दार्शनिक , पावापुरी में जैन धर्म के 24 वन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी जी का मोक्षमन्दिर स्थल है । वेणुवन, सप्तपर्णी गुफा, गृद्धकूट पर्वत, जरासंध का अखाड़ा, गर्म पानी के कुंड, मख़दूम कुंड आदि राजगीर के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, पावापुरी में भगवान महावीर का परिनिर्वाण स्थल एवं जलमंदिर, बिहारशरीफ में मध्यकालीन किले का अवशेष एवं १४वीं सदी के सूफी संत की दरगाह (बड़ी दरगाह एवं छोटी दरगाह), नवादा के ककोलत जलप्रपात , आती में पातालेश्वर मंदिर , रूपौ में चंडी मंदिर , मछेन्द्र नाथ , अपसढ़ का वराह अवतार मूर्ति , दरियापुर पार्वती , गया का विष्णुपद मंदिर , मंगलागौरी , ब्रह्मयोनि पर्वत समूह में प्राचीन विरासत , , रामशिला , प्रेतशिला , रामशिला , बँगला माता , बागेश्वरी माता , बेल का विभूक्षणि मंदिर , बेलागंज का कौवाडोल पर्वत पर पशासन धर्मचक्र , वैदिक धर्म , बौद्ध धसर्म , भित्तिचित्र , हिंदू धर्म , बौद्ध धर्म , जैन धर्म का दार्शनिक स्थल है। पितृपक्ष के अवसर पर गया में विश्व के सनातन धर्म के लोग फल्गू नदी किनारे पितरों को तर्पण करते हैं। विष्णुपद मंदिर, बोधगया में भगवान बुद्ध से जुड़ा पीपल का वृक्ष तथा महाबोधि मंदिर के अलावे तिब्बती मंदिर, थाई मंदिर, जापानी मंदिर, बर्मा का मंदिर, बौधनी पहाड़ी { इमामगंज } , त्रेतायुग में राक्षसी तड़का , मारीच , सुबाहु का स्थल एवं सहस्त्रबाहु , महर्षि विश्वामित्र का कर्म स्थल बक्सर , पाल शासकों द्वारा बनवाये गये प्राचीन विश्व विख्यात विक्रमशिला विश्वविद्यालय का अवशेष, वैद्यनाथधाम मंदिर, सुलतानगंज, मुंगेर में बनवाया मीरकासिम का किला और मंदार पर्वत बौंसी बाँका एक प्रमुख धार्मिक स्थल जो तीन धर्मो का संगम स्थल है। विष्णुपुराण के अनुसार समुद्र मंथन संपन्न हुआ था । मंदार पर्वत व मंद्राचल पर्वत मथनी के रूप में प्रयुक्त हुआ था।
चंपारण में सम्राट अशोक द्वारा लौरिया में स्थापित स्तंभ, लौरिया का नंदन गढ़, नरकटियागंज का चानकीगढ़, वाल्मीकिनगर जंगल, बापू द्वारा स्थापित भीतीहरवा आश्रम, तारकेश्वर नाथ तिवारी का बनवाया रामगढ़वा हाई स्कूल, स्वतंत्रता आन्दोलन के समय महात्मा गाँधी एवं अन्य सेनानियों की कर्मभूमि तथा अरेराज में भगवान शिव का मन्दिर, केसरिया में दुनिया का सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप जो पूर्वी चंपारण में एक आदर्श पर्यटन स्थल है | .सीतामढी तथा पुनौरा में देवी सीता की जन्मस्थली, जानकी मंदिर एवं जानकी कुंड, हलेश्वर स्थान, पंथपाकड़, यहाँ से सटे नेपाल के जनकपुर जाकर भगवान राम का स्वयंवर स्थल है।सासाराम में अफगान शैली में बनाया गया अष्टकोणीय शेरशाह का मक़बरा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। औरंगाबाद जिले का देव सूर्य मंदिर की तस्वीर अद्भुत शिल्प कला है । देव सूर्य मंदिर, देवार्क सूर्य मंदिर या केवल देवार्क के नाम से प्रसिद्ध, बिहार के औरंगाबाद जिले में देव एवं उमगा पर्वत समूह पर स्थित भगवान सूर्य को समर्पित है। देव सूर्य मंदिर पश्चिमाभिमुख और उमगा सूर्यमंदिर पूर्वाभिमुख शिल्पकला के लिए है। पत्थरों को तराश कर बनाए गए सूर्य मंदिर की नक्काशी उत्कृष्ट शिल्प कला का नमूना है। त्रेता युगीन अथवा द्वापर युग के मध्यकाल में निर्मित देव और उमगा सूर्य मंदिर हैं। सनातन धर्म ग्रंथो एवं गजेटियर गया 1906 , 1957 के अनुसार कृष्ण के पुत्र, साम्ब द्वारा निर्मित बारह सूर्य मंदिरों में माना जाता है। देव माता अदिति ने की थी पूजा मंदिर को लेकर एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया। पुरुरवा ऐल, और शिवभक्त राक्षसद्वय माली-सुमाली से जुड़ी हुई है । यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत में बिहार राज्य का नालंदा जिले के नालंदा विश्वविद्यालय एवं गया जिले का बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर शामिल है । बिहार का प्रहम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह थे । बिहार के मगध साम्राज्य में गयासुर , वसु , करूष , मागध , बुध , इल , एल ,अंग , कर्ण , मिथिला का राजा जनक , वृहद्रथ , जरासंध , विशाल राजा हुए ।ऋषियों में च्यवन , भृगु , वाल्मीकि , करूष , शर्याति , यगवल्क्य , बाणभट्ट , मयूरभट्ट विदूषक में मिथिला में गोनू झा , मगध में देवन मिश्र , आध्यत्मिक संत राधाबाबा , 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी अरवल जिले का जीवधसिंह थे । बिहार का प्राचीन नाम 12 वीं शदी में बौद्ध भिक्षुओं का विश्राम गृह का कारण मुगल शासकों द्वारा विहार , मगध था ।
बिहार का वाद्ययंत्र नरसिंघ , लोक गीत में छठ गीत , कजरी , बारह मास , लोरिकायन , बिरहा , पराती , विवाहगीत आदि है । महिलाओं का सशक्तिकरण के लिए जीविका , मद्यनिषेद प्रारम्भ है । मधुबनी पेंटिंग प्रसिद्ध है। बिहार के चतुर्दिक विकास एवं ऐतिहासिक महत्व का रूप हेतु बिहार का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 22 मार्च 2010 ई. से बिहार दिवस प्रारम्भ किया गया है । प्रति वर्ष 22 मार्च को बिहार के वासियों द्वारा बिहार दिवस मानते हुए गौरवान्वित होते है ।
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