गीता जी अपने क्वार्टर के बरामदे में बैठीं हैं। “कुछ एकाग्रता से देख रही हैं, उनके सामने पेड़ के नीचे एक सकोरे में पानी भरा हुआ है, और एक गौरैया आकर पानी पी रही है और साथ में अपनी चोंच में पानी भरकर अपने छोटे से बच्चे की चोंच में डाल रही है”उनके मुंह से निकल गया देखो “मां की ममता हर जीव प्राणी में एक सी होती है”।तभी उनकी सहेली आरती आई और बोली क्यों आज सैर करने नहीं चलोगी?गीता जी बोली नहीं आज मेरा मन नहीं कर रहा आप सैर कराओ मैं नहीं चलूंगी। आज बच्चों की बहुत याद आ रही है, जब बच्चे विदेश में रहने लगते हैं तो मां का मन कभी-कभी ऐसे ही उदास हो जाता है।
आरती जी बोले क्यों क्या बात है? आपकी तबीयत तो ठीक है न, गीता जी बोले हां, बस आज बैठे बैठे मन बच्चों के पास चला गया। पता नहीं तीन दिन हो गए तीनों में से किसी बच्चे ने बात नहीं की वैसे तो रोज तीनों बच्चे मुझसे बात करते थे। “वहां पर सब सकुशल हो यही सोच सोच कर मन शंकित हो रहा है”। आरती जी बोली भाई साहब की मृत्यु के बाद तीनों बच्चों ने आपसे अपने साथ चलने के लिए कितनी जिद्द की थी पर आप ही नहीं गई? गीता जी बोली वहां पर अकेले अब मेरा मन नहीं लगता, पहले तो हम दोनों थे तो अकेले घर में रह लेते थे बच्चे तो अपनी अपनी नौकरी में व्यस्त रहते थे, सुबह गए शाम को घर आए।अब वहां जाओ दो-दो माह तीनों के पास रहो फिर वापस आ जाओ यह खानाबदोश जैसा जीवन मुझे रास नहीं आता, यहां पर मेरा अपना घर है पति की यादें बसी हुई हैं आस-पड़ोस है भाईचारा है सब में यह सब वहां कहां है?
तभी डोर बैल बजी, गीता जी झठ से उठ कर आईं तो देखते हैं दरवाजे पर कोरियर वाला खड़ा है बोला मां जी यह आपका कोरियर विदेश से आया है , गीता जी ने जैसे पैकेट लिया ऊपर लिखा था”हैप्पी मदर्स डे”गीता जी ने जैसे ही पैकेट रखा लगातार दो कोरियर और आ गए, जिसने बच्चों ने मां के लिए उपहार और केक भेजा था, गीता जी की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।आरती जी बोली गीता यह तो विदेशी संस्कृति है। इसे बच्चे कैसे भूल सकते हैं। आपको मदर्स डे की हार्दिक बधाई और अकेले ही सैर करने को चली गई।
शीला श्रीवास्तव भोपाल
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