फोटो: कवर फोटो कुमारी परी उम्र 8 वर्ष चडीगढ़
*पात्र:*
1. वृक्ष (पेड़ का स्वर)
2. नदियाँ (नदी का स्वर)
3. पशु (जंगल के विभिन्न पशुओं का स्वर)
4. मानव (एक इंसान)
5. बच्चा (मानव का बच्चा)
दृश्य 1: जंगल का दृश्य
(मंच पर एक पेड़ के रूप में वृक्ष खड़ा है। उसके पास ही एक नदी बह रही है, और पास में ही कुछ जानवर चर रहे हैं।)
*वृक्ष:* (गंभीर स्वर में) मित्रो, हम पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हमारे पत्ते झड़ रहे हैं, हमारी शाखाएँ कमजोर हो रही हैं। ऐसा क्यों हो रहा है?
*नदी:* (दुखी स्वर में) हाँ, मेरे जल का स्तर भी कम होता जा रहा है। मेरी लहरें कमजोर हो गई हैं। लोग कचरा फेंकते हैं, और मेरे पानी को प्रदूषित कर देते हैं।
*पशु:* (चिंतित स्वर में) और हम भी संकट में हैं। हमारा भोजन और पानी कम हो रहा है। हमारे रहने के स्थान भी सिकुड़ते जा रहे हैं।
दृश्य 2: शहर का दृश्य
(मंच पर मानव और बच्चा खड़े हैं।)
मानव:* (अपने बच्चे से) देखो, बेटा, ये सारी दुनिया हमारे लिए कितनी सुंदर बनाई गई है। लेकिन हमें इसे संभालकर रखना होगा।
*बच्चा:* पापा, हम इसे कैसे बचा सकते हैं?
*मानव:* (सोचते हुए) हमें पर्यावरण का ख्याल रखना होगा। पेड़ नहीं काटने चाहिए, पानी को प्रदूषित नहीं करना चाहिए, और जानवरों के प्रति दया रखनी चाहिए।
*दृश्य 3: जंगल और शहर का मिलन*
(मानव और बच्चा जंगल में जाते हैं।)
*वृक्ष:* (खुशी से) देखो, ये मानव और उसका बच्चा आ रहे हैं। शायद ये हमारी मदद कर सकें।
*मानव:* (वृक्ष, नदी, और पशुओं से) हम समझते हैं कि हमने बहुत गलतियां की हैं। लेकिन अब हम सुधारना चाहते हैं। हम पेड़ लगाएंगे, पानी को साफ रखेंगे, और जानवरों का ख्याल रखेंगे।
*नदी:* (उत्साहित स्वर में) यदि तुम ऐसा करोगे, तो हम भी तुम्हें शुद्ध जल देंगे।
*पशु:* (खुशी से) और हम भी अपने जंगलों में खुशी से रहेंगे।
*बच्चा:* (खुशी से) पापा, हम मिलकर इस धरती को फिर से सुंदर बनाएंगे।
(सभी पात्र हाथ मिलाते हैं, एकता और सहयोग का संदेश देते हैं।)
*संयुक्त स्वर:* (एक साथ)
आओ मिलकर पेड़ लगाए
धरती अपनी हरी बनायें!
हमारी धरती, हमारा कर्तव्य
इसे बचाएं और संवारें।
(मंच पर सभी पात्र एक साथ खड़े होते हैं, और पर्दा गिरता है।)
सीमा सिन्हा
पटना 70046 45606