कवर फोटो प्रियांशी कुमारी कक्षा 7 चडीगढ़
पात्र
रवि
रवि की मां
रवि के पिता
(रवि एक पेड़ की टहनी लिए घर में प्रवेश करता है)
रविः मां, आज खेलने में बहुत मजा आया। हम लोगों ने पेड़ की टहनी तोड़ तोड़ कर उससे युद्ध का खेल खेला।
मां : बेटा तुमको कितनी बार मना किया है कि पेड़ पौधों से छेड़खानी मत किया करो।
रवि : पर क्यों मां?
मां : बेटे तुम जानते हो कि पेड़ में भी जान होती है।
रवि : मां, अगर इनमें जान होती तो तोड़ने पर यह चीखते चिल्लाते। परंतु वह तो ऐसा नहीं करते
मां बेटा अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं। चलो पसीने से लथ पथ हो रहे हो। जल्दी से हाच पैर धोकर आओ। मैं तुम्हें खाना परोसती हूं।
रवि: ठीक है मां, में अभी आता हूं। (हाथ धोकर) मां कितनी गर्मी हो रही है। AC चलाओ ना।
मोः वहां रिमोट पड़ा है खुद चला लो।
(तभी बिजली चली जाती है)
रविः ओ मां यह क्या हुआ। अब मैं क्या करूं। मुझे बहुत गर्मी लग
(पिताजी का प्रवेश)
रविः कुछ ठीक नहीं है पापा। यह इतनी गर्मी पड़ती ही क्यों है?
पिता :और बेटे, क्या हाल है? सब ठीक तो है? बेटे इतनी गर्मी पड़ने के लिए हम सब ही दोषी हैं।
रविः यह कैसे?
पिताजी: बेटा आज से 20 साल पहले इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी, क्योंकि हमारे चारों ओर हरियाली थी, पेड़ पौधे थे, हरे भरे
जंगल थे। परंतु आज मनुष्य ने अपने स्वार्थ के कारण जंगलों को काटना शुरु कर दिया है। अपना रहवास बनाने के लिए पेड़
पौथों को काटकर वहां घर कालोनियां बनाना शुरू कर दिया है। विकास के नाम पर पेड़ों को काटकर सड़के बनाना शुरू कर
दिया है।
रवि: तो पिताजी उससे गर्मी का क्या संबंध है?
पिता: सीधा संबंध है। तुम्हें पता है ये पेड़ पौधे सूर्य से आने वाली गर्म करना और तापमान को खुद झेलते हैं और पृथ्वी का
तापमान बढ़ने से रोकते हैं। केवल इतना ही नहीं यह पेड़ जमीन पर मिट्टी का कटाव भी रोकते हैं और मिट्टी की उर्वरा शक्ति
को बनाए रखते हैं। इन पेड़ों की पत्तियां जमीन पर गिर कर खाद का रूप ले लेती है। ये पेड़ असंख्य जीव जंतुओं के घर होते
हैं। ये पेड़ वर्षा करने में भी सहायक होते हैं। और सबसे बड़ी चीज यह हमें जीवन देने वाली ऑक्सीजन देते हैं।
रवि ऑक्सीजन? वह क्या होता है?
पिताजी: हा हा हा हा….. अच्छा एक काम करो तुम 1 मिनट के लिए अपने हाथ से अपनी नाक को बंद करो।
(रवि ऐसा करता है और जल्दी ही नाक से हाथ हटाकर हांपने लगता है)
पिताजी: क्यों क्या हुआ?
रवि: पिताजी अगर थोड़ी देर और में है नाक बंद करना, तो मैं मर ही जाता।
पिताजी: तुम जानते हो जब तुमने अपनी नाक बंद की तो तुम्हारे अंदर ऑक्सीजन जाना बंद हो गई। अब सोचों बिना ऑक्सीजन के तुम 1 मिनट भी नहीं रह सकते। यही ऑक्सीजन पेड़ों के द्वारा हमें मिलती है। अब सोचो यदि पेड़ ही नहीं रहेंगे तो धीरे-धीरे ऑक्सीजन भी मिलना हमे बंद हो जाएगी और हमारा जीवन मुश्किल हो जाएगा।
रविः अच्छा। तभी मां बोलती थी कि पेड़ों से छेड़खानी मत किया करो। अब मुझे समझ में आ गया पिताजी। में अपने दोस्तों को भी समझाऊंगा की हमें पेड़ नहीं तोड़ना है, बल्कि में अपने पूरे दोस्तों के साथ अपने मोहल्ले के बगीचे में बहुत सारे पौधे लगाऊंगा और रोज में पानी भी दूंगा।
पिताजीः शाबाश मेरे बेटे। काश जो बात तुम्हें समझ में आई उसे सभी लोग समझ पाते।
पर्दा गिरता है
नीता चतुर्वेदी
विदिशा लेखिका संघ
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