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पर्यावरण दिवस पर निवेदिता रश्मि की कहानी

प्रथम रात को 2:30 बजे अचानक से डर कर उठ बैठा।बगल के कमरे में उसके मम्मी पापा सो रहे थे ।वह इतना डरा हुआ था की लाइट ऑन करने का भी उसे होश नहीं था। मम्मी – मम्मी की आवाज सुन बगल के कमरे से मम्मी दौड़ कर आई। क्या हुआ बच्चे ? क्या कोई सपना देखा ? पानी का गिलास बढ़ाते हुए मम्मी ने धीरे से पूछा। ओह मॉम !एक राक्षस मेरा गला दबा रहा है। वह मुझे सोने देता ही नहीं । मुझे आकाश में कभी बहुत ऊपर उड़ा कर ले जाता है, कभी नीचे जमीन पर पटक देता है । मॉम वह बहुत भयानक हंसी हंस रहा है। मुझे बहुत डर लग रहा है। ऐसा कह वह अपनी मम्मी से चिपक के बैठ गया।

मम्मी ने उसकी पीठ को सहलाते हुए आराम से उसे अपने गोद में बिठा लिया और मिस्टर रोहित को आवाज लगने लगी। ” रोहित यहां आओ प्रथम ने शायद कोई भयानक सपना देख लिया है, इसीलिए काफी डर गया है।” रोहित भी अब तक कमरे में आ चुका था। उसने प्रथम को गले से लगाकर सुला दिया और खुद भी वही सो गया । आज सुबह स्कूल जाते समय तक उसे वह राक्षस दिखता रहा। तीसरी घंटी में वर्ग शिक्षिका पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव के बारे में बता रही थीं । प्रथम को अपना सपना याद आ गया । उसने खड़े होकर वर्ग शिक्षिका से उसे भयंकर दैत्य के बारे में बताना शुरू किया, जिसे उसने सपने में देखा था।

“मैम! आज रात को मैंने एक डरावना राक्षस देखा। उस राक्षस का रंग नीला था। उसका पेट बहुत बड़ा था जैसे पृथ्वी ही उसके पेट को की जगह पर फिट हो गई हो । उसकी छोटी-छोटी आंखों से इतना पानी निकल रहा था कि बाढ़ आ गई थी । उस पानी में हम सब बह जाते उसके सिर पर ठूंठ पेड़ लगे थे। उसकी आवाज ऐसी थी कि कुत्ता और बिल्ली एक साथ लड़ रहे हो , सियार के चिंघाड़ने की आवाज भी वह निकल रहा था। उसके पास ऐसी शक्ति थी कि कभी वह हाथी बन जाता और अपनेसूड से सारे बच्चों को उठा उठा पृथ्वी पर पटकता । कभी वह अपने नाखूनों से मिट्टी खोदता और उसमें मुझे गाड़ देता। कभी समुद्र में मुझे फेंक देता । मुझे अभी भी ऐसा लग रहा है कि वह इसी क्लास में हमारे बीच मौजूद है ।”मैडम उसकी बात को बड़े ध्यान से सुन रही थीं। उन्होंने प्रथम के पास जाकर उसे शांत कराया। उन्हें लग रहा था कि वह अभी भी डरा हुआ है। वह कहने लगीं –तुम बिल्कुल चिंता मत करो । उस दैत्य का कोई ना कोई इलाज हम ढूंढेंगे । पर वह दैत्य सिर्फ इस क्लास में ही नहीं हर जगह मौजूद है । उस दैत्य का नाम प्रदूषण है ।उसका नीला रंग हवा के दूषित होनेका संकेत है।

पेड़ों की कटाई तथा कल कारखाने की अधिकता के कारण हमने हवा को जानलेवा बना दिया है।ऑक्सीजन जिसे हम प्राण वायु कहते हैं वह हमारे फेफड़ों में जहर युक्त होकर जा रहा है ।जो पानी बहते देखा वह इस बात का संकेत है कि हम लगातार अपने जल के संसाधनों को दूषित कर रहे हैं।नदी तालाब आदि को दूषित करने के साथ-साथ जल का संरक्षण करने के बजाय उसे रोज बर्बाद कर रहे हैं । क्या आप लोग जानते हैं कि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में जल है।उसे भी हम ऐसे बर्बाद कर रहे हैं जैसे वह कभी खत्म नहीं होगा।राक्षस तुम्हारे सपने में इसलिए आया ताकि वह अपनी व्यथा तुम्हें बता सके ।हम पर्यावरण को अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए देवता से दैत्य में परिवर्तित कर रहे हैं।कहीं भी खुशहाली के लिए संतुलन का होना आवश्यक है।
अत हमें अपने पर्यावरण को बचाने का पूरा प्रयास करना होगा। तभी सना बोल उठी – मैम! मैं जानती हूं कि हमें इसके लिए क्या-क्या करना होगा । हां सना बताओ हम अपने पर्यावरण को कैसे संतुलित रख सकते हैं और इस दैत्य से छुटकारा पा सकते हैं।”सबसे पहले तो हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे।फिर अपने भौतिक जरूरत को सीमित करना होगा। अधिकतर फैक्ट्री का धुआं और उनसे निकलने वाले अपशिष्ट हमारे पृथ्वी को हार्म करते हैं।फिर मिट्टी को दूषित होने से बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए ।ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित करना चाहिए ।जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए ।तभी अलीशा ने कहा –मैम ! एक बार मेरे मामा ने मुझे 4R के बारे में बताया था जिसके मदद से हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं । 4R रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल और रिकवर को प्रेजेंट करता है। यदि हम इसे अपने जीवन में उतार ले तो हम पर्यावरण को संरक्षित रख सकते हैं। सभी लोगों ने तालियों से अलीशा का स्वागत किया।शिक्षिका ने पूरे वर्ग को विस्तार से 4R के बारे में बताया और सभी बच्चों के साथ स्वयं भी इसे अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।प्रथम ने एक नारा दिया।
आओ करें 4R का महा उपाय
प्रदूषण रूपी दैत्य से हमें बचाए

निवेदिता रश्मि
शिक्षिका , रा मध्य विद्यालय धर्मपुर
समस्तीपुर

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